श्री शनि अष्टोत्तर शतनामावली
ऊँ श्री शनैश्चराय नमः। ऊँ शान्ताय नमः। ऊँ सर्वाभीष्टप्रदायिने नमः। ऊँ शरण्याय नमः। ऊँ वरेण्याय नमः। ऊँ सर्वेशाय नमः। ऊँ
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ऊँ श्री शनैश्चराय नमः। ऊँ शान्ताय नमः। ऊँ सर्वाभीष्टप्रदायिने नमः। ऊँ शरण्याय नमः। ऊँ वरेण्याय नमः। ऊँ सर्वेशाय नमः। ऊँ
ऊँ ऎं हृीं श्रीं 1) ऊँ ऎँ हृीं श्रीं रजताचलश्रृंगाग्रममध्यस्थायै नमो नम: 2) ऊँ ऎँ हृीं श्रीं हिमाचलमहावंशपावनायै नमो नम:
अस्य श्रीललितात्रिशतीस्तोत्रमालामन्त्रस्य हयग्रीवऋषये नम: । (शिरसि) अनुष्टुपछन्द से नम: । (मुखे), श्रीललिताम्बादेवतायै नम: । हृदये, क. 5 बीजाय नम: ।
श्री बालात्रिपुरसुन्दर्यै नम: श्रीललिताष्टोत्तरशतनामावलि: ऊँ ऎं हृीं श्रीं 1) ऊँ ऎं हृीं श्रीं रजताचलश्रृड्गाग्रमध्यस्थायै नमो नम: । 2) ऊँ
जिन व्यक्तियों की कुंडली में राहु कर्क राशि में स्थित है या केतु व मंगल की युति कर्क राशि में
जिन जातकों की जन्म कुंडली में राहु/गुरु का चांडाल योग बन रहा हो या गुरु किसी भी प्रकार से पीड़ित