प्रेम अथवा अंतर्जातीय विवाह के ज्योतिषीय योग – भाग 3
इससे पहले हम भाग 1 और भाग 2 में प्रेम अथवा अन्तर्जातीय विवाह के योगों के विषय में चर्चा कर
Astrology, Mantra and Dharma
इससे पहले हम भाग 1 और भाग 2 में प्रेम अथवा अन्तर्जातीय विवाह के योगों के विषय में चर्चा कर
भाग एक में कई तरह के ज्योतिषीय योगों की चर्चा की गई हैं जिनके जन्म कुंडली में होने पर जातक
वर्तमान समय में युवक-युवतियाँ जहाँ हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहें है वहाँ एक-दूसरे के प्रति
प्राचीन काल के विद्वानों ने आठ प्रकार के विवाहों का उल्लेख किया है जो निम्नलिखित प्रकार के होते थे.
अश्लेषा नक्षत्र कर्क राशि में 16 अंश 40 कला से 30 अंश तक रहता है. इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह
प्राचीन समय से ही विद्वानों का मत रहा है कि इस सृष्टि की संरचना पांच तत्वों से मिलकर हुई है.