महालक्ष्म्यष्टकम्
इन्द्र उवाच नमस्तेSस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते । शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोSस्तु ते ।।1।। अर्थ – इन्द्र बोले – श्रीपीठ पर स्थित
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इन्द्र उवाच नमस्तेSस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते । शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोSस्तु ते ।।1।। अर्थ – इन्द्र बोले – श्रीपीठ पर स्थित
ध्यानम् गलदरक्तमुण्डावलीकण्ठमाला महाघोररावा सुदंष्ट्रा कराला। विवस्त्रा श्मशानालया मुक्तकेशी महाकालकामाकुला कालिकेयम्।।1।। अर्थ – ये भगवती कालिका गले में रक्त टपकते हुए
जिन लोगों को नौकरी नहीं मिल पा रही है या मनचाही नौकरी नहीं मिल रही है या सरकारी नौकरी मिलने
चिदाकारो धाता परमसुखद: पावनतनु- र्मुनीन्द्रैर्योगीन्द्रैर्यतिपतिसुरेन्द्रैर्हनुमता । सदा सेव्य: पूर्णो जनकतनयांग: सुरगुरू रमानाथो रामो रमतु मम चित्ते तु सततम्।।1।। मुकुन्दो
नमस्ते श्रियै राधिकायै परायै नमस्ते नमस्ते मुकुन्दप्रियायै। सदानन्दरूपे प्रसीद त्वमन्त:- प्रकाशे स्फुरन्ती मुकुन्देन सार्धम् ।।1।। अर्थ – श्रीराधिके! तुम्हीं श्री
त्वत्तीरे मणिकर्णिके हरिहरौ सायुज्यमुक्तिप्रदौ वादं तौ कुरुत: परस्परमुभौ जन्तौ: प्रयाणोत्सवे। मद्रूपो मनुजोSयमस्तु हरिणा प्रोक्त: शवस्तत्क्षणात् तन्मध्याद् भृगुलाण्छनो गरुडग: पीताम्बरो निर्गत:।।1।।