श्री शनि अष्टोत्तर शतनामावली
ऊँ श्री शनैश्चराय नमः। ऊँ शान्ताय नमः। ऊँ सर्वाभीष्टप्रदायिने नमः। ऊँ शरण्याय नमः। ऊँ वरेण्याय नमः। ऊँ सर्वेशाय नमः। ऊँ
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ऊँ श्री शनैश्चराय नमः। ऊँ शान्ताय नमः। ऊँ सर्वाभीष्टप्रदायिने नमः। ऊँ शरण्याय नमः। ऊँ वरेण्याय नमः। ऊँ सर्वेशाय नमः। ऊँ
इस अध्याय में देवताओं द्वारा कार्तिकेय की वन्दना, ब्रह्माजी के साथ कार्तिकेय का अपने माता-पिता के पास कैलास आना, भगवान
इस अध्याय में कार्तिकेय जी द्वारा तारकासुर का वध, देवसेना में हर्षोल्लास का वर्णन किया गया है. श्रीमहादेवजी बोले –
इस अध्याय में देवासुर-संग्राम में देवसेनापति कार्तिकेय तथा तारकासुर के भीषण युद्ध का वर्णन है. श्रीमहादेवजी बोले – तुरही के
इस अध्याय में कुमार कार्तिकेय का तारकासुर के विनाश के लिए ससैन्य उद्यत होना है, ब्रह्माजी द्वारा उन्हें वाहन के
इस अध्याय में देवताओं द्वारा देवी पार्वती की स्तुति, भगवान शंकर के तेज से षण्मुख कार्तिकेय का प्रादुर्भाव, देवताओं के