हर शनिवार को शनि महाराज की पूजा करने के बाद शनि आरती भी करनी चाहिए. इसलिए शनिदेव की कृपा उनके श्रद्धालुओ पर बनी रहती है. जिन पर शनि देव का प्रकोप जारी रहता है या शनि की ढैय्या अथवा शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहता है उन्हे हर शनिवार को शनि आरती अवश्य पढ़नी चाहिए.
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ।। जय-जय…………
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलांबर धार नाथ गज की असवारी ।। जय-जय……..
क्रीट मुकुट शीश सहज दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माल गले शोभित बलिहारी ।। जय-जय…..
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ।। जय-जय………
देव दनुज ऋषि मुनि सुरत नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ।। जय-जय……….
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