श्री सरस्वती वंदना

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वर्तमान समय प्रतिस्पर्धा का समय है. हर क्षेत्र में व्यक्ति को प्रतिस्पर्धा से निकलकर ही आगे बढ़ना होता है. चाहे वह नौकरी हो या शिक्षा का क्षेत्र ही क्यूँ न हो. बचपन से ही बच्चो के ऊपर पढ़ाई का बहुत ही ज्यादा दबाव रहता है. कुछ तो समय ही ऎसा है कुछ अभिभावकों ने शिक्षा को लेकर हौवा बनाकर रखा है. हर कोई चाहता है कि उसका बच्चा सबसे आगे रहे. सभी बच्चों की अपनी स्वतंत्र विचारधारा होती है. हर बच्चे की अपनी विशिष्ट पहचान होती है. यदि उसे उसकी पसंद के क्षेत्र में डाला जाए तो अवश्य ही बच्चा कोई ना कोई पद प्राप्ति अथवा अपने मनपसंद क्षेत्र में नाम ऊँचा करता है.

कई बार चाहते हुए भी कुछ बच्चे पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं इसके कई कारण होते हैं. यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा पढ़ाई में अव्वल रहे तो सरस्वती वन्दना और सरस्वती मंत्र का जाप प्रतिदिन करना चाहिए. सरस्वती मंत्र को यदि आपका बच्चा स्वयं करेगा तो बहुत अधिक लाभ होगा. जब भी बच्चा पढ़ाई आरंभ करे तब कम से कम दो बार सरस्वती मंत्र पढ़ने के बाद ही शुरु करें. इसे नियमित रुप से करने पर लाभ मिलता है. सरस्वती मंत्र यदि बच्चा नहीं पढ़ पाए तो माता-पिता बच्चे के लिए कर सकते हैं.

सरस्वती मंत्र – Saraswati Mantra
सरस्वती महाभागे विद्ये कमललोचने ।
विद्यारुपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते ।।

सरस्वती वन्दना – Saraswati Vandana
रविरुद्र पितामह विष्णुनुतम, हरिचन्दन कुड़्कुम पड्कयुतम ।
मुनिवृन्दगणेन्द्र समानयुतम, तव नौमि सरस्वति पादयुगम ।।1।।
शशि शुद्ध सुधा हिमधामयुगम, शूरदाम्बरबिम्बसमानकरम ।
बहुरत्न मनोहर कान्तियुतम, तव नौमि सरस्वति पादयुगम ।।2।।
कनकाब्जविभूषित भूतिपदम, भवभावविभाषित भिन्नपदम ।
प्रभुचित समाहित साधुपदम, तव नौमि सरस्वति पादयुगम ।।3।।
भवसागरभंजन धीतिनुतम, प्रतिपादित सन्तति कारमिदम ।
विमलादिक शुद्ध-विशुद्धपदम, तव नौमि सरस्वति पादयुगम।।4।।
मतिहीन जनाश्रय पादमिदम, सकलागम भाषित भिन्नपदम ।
परिकारित विश्वमनेकभवम, तव नौमि सरस्वति पादयुगम ।।5।।
परिपूर्णमनेकं धामनिधिम, परमार्थ – विचार – विवेकनिधिम ।
सुरयादिक – सेवितपादतलम, तव नौमि सरस्वति पादयुगम ।।6।।
सुरमौलि गणिद्युति शुभकरम, विषयादि महामय पापहरम ।
निजकान्ति – विलेसित चन्द्रसिवम, तव नौमि सरस्वति पादयुगम ।।7।।
गुणनेक कुलासित भीतिपदम, गुव गौरव गौर्वित सकलपदम ।
कमलोदर कोमल पादतलम । तव नौमि सरस्वति पादयुगम ।।8।।

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