आरती का महत्व
जब भी किसी पूजा का आयोजन होता है तब अंत में आरती जरुर की जाती है. जिस भी देवता का
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जब भी किसी पूजा का आयोजन होता है तब अंत में आरती जरुर की जाती है. जिस भी देवता का
जगजननी जय ! जय ! माँ ! जगजननी जय ! जय ! भयहारिणि, भवतारिणि, भवभामिनि जय ! जय !! जगo
जय जानकिनाथा, जय श्रीरघुनाथा । दोउ कर जोरें बिनवौं प्रभु ! सुनिये बाता ।।टेक।। तुम रघुनाथ हमारे प्रान, पिता-माता ।
अति सुख कौसिल्या उठि धाई । मुदित बदन मन मुदित सदनतें, आरति साजि सुमित्रा ल्याई ।। जनु सुरभी बन बसति
आरती कीजै हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ जाके बल से गिरवर काँपे | रोग दोष
ऊँ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।। टेक ।। भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे ।।