दशमहाविद्या – कमला
श्रीमद्भागवत के आठवें स्कन्ध के आठवें अध्याय में कमला के उद्भव की विस्तृत कथा आती है। देवताओं तथा असुरों के
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श्रीमद्भागवत के आठवें स्कन्ध के आठवें अध्याय में कमला के उद्भव की विस्तृत कथा आती है। देवताओं तथा असुरों के
मतंग शिव का नाम है, इनकी शक्ति मातंगी है। मातंगी के ध्यान में बताया गया है कि ये श्यामवर्णा हैं
व्यष्टि रूप में शत्रुओं को नष्ट करने की इच्छा रखने वाली तथा समष्टि रूप में परमात्मा की संहार-शक्ति ही वगला
धूमावती देवी महाविद्याओं में सातवें स्थान पर मानी जाती हैं। इनके बारे में जो कथा आती है उसके अनुसार एक
श्रीभगवानुवाच ज्ञानं परमगुह्यं मे यद्विज्ञानसमन्वितम् । सरहस्यं तदंग च गृहाण गदितं मया ।।1।। अर्थ – श्रीभगवान बोले – (हे चतुरानन!)
शिखाग्रं सततं पातु मम त्रिपुर-सुन्दरी। शिर: कामेश्वरी नित्या तत् पूर्वं भग-मालिनी।।1।। नित्य-क्लिन्नाSवताद्दक्षं भेरुण्डा तस्य पश्चिमम् । वह्नि-वासिन्यवेद् वामं मुखं विद्येश्वरी