षष्ठी देवी स्तोत्र
षष्ठी देवी पूजा महत्व भगवती षष्ठी देवी शिशुओं की अधिष्ठात्री देवी हैं. जिन्हें संतान नहीं होती, उन्हें यह संतान देती
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षष्ठी देवी पूजा महत्व भगवती षष्ठी देवी शिशुओं की अधिष्ठात्री देवी हैं. जिन्हें संतान नहीं होती, उन्हें यह संतान देती
प्रात: स्मरामि ललितावदनारविन्दं विम्बाधरं पृथुलमौक्तिकशोभिनासम् । आकर्णदीर्घनयनं मणिकुण्डलाढ़्यं मन्दस्मितं मृगमदोज्ज्वलभालदेशम् ।।1।। प्रातर्भजामि ललिताभुजकल्पवल्लीं रक्तांगुलीयलसदंगुलिपल्लवाढ़्याम् । माणिक्यहेमवलयांगदशोभमानां पुण्ड्रेक्षुचापकुसुमेषुसृणीदधानाम् ।।2।।
श्रीमहाभागवत पुराण के अन्तर्गत वेदों द्वारा की गई दुर्गा स्तुति श्रुतय ऊचु: दुर्गे विश्वमपि प्रसीद परमे सृष्ट्यादिकार्यत्रये ब्रह्माद्या: पुरुषास्त्रयो
महेश्वर उवाच जयस्व देवि गायत्रि महामाये महाप्रभे । महादेवि महाभागे महासत्त्वे महोत्सवे ।।1।। दिव्यगन्धानुलिप्ताड़्गि दिव्यस्त्रग्दामभूषिते । वेदमातर्नमस्तुभ्यं त्र्यक्षरस्थे महेश्वरि ।।2।।
स्वामिपुष्करिणीतीर्थं पूर्वसिन्धुः पिनाकिनी। शिलाह्रदश्चतुर्मध्यं यावत् तुण्डीरमण्डलम् ।।1।। मध्ये तुण्डीरभूवृत्तं कम्पा-वेगवती-द्वयोः। तयोर्मध्यं कामकोष्ठं कामाक्षी तत्र वर्तते ।।2।। स एव
कुंभ पर्व के स्नान का हिन्दु धर्म में बहुत महत्व माना गया है लेकिन यह पर्व क्यों आरंभ हुआ और