कार्तिक माह में नौ ग्रह की कहानी

Posted by

bhai_dooj

किसी गाँव में दो भाई-बहन रहते थे. एक बार भाई अपनी बहन से मिलने जा रहा था. रास्ते में एक साँप बैठा थो जो भाई को डसने को तैयार था. भाई ने साँप से विनती की, तू मुझे मत डस क्योंकि मैं अपनी माँ का एकलौता बेटा हूँ और अपनी बहन का भी एक भाई हूँ. साँप नहीं माना उसने कहा कि तेरी नौ ग्रह की दशा चल रही है, मैं तो तुझे डसूँगा ही. भाई बोला कि ठीक है तुझे डसना ही है तो डस लेना लेकिन मुझे अपनी बहन से मिलकर आने दे. साँप फिर बोला कि क्या पता तू इस रास्ते से आए कि ना आए इसलिए मुझे तो अभी डसने दो.

भाई ने साँप से कहा कि ठीक है तुझे मुझ पर विश्वास नहीं तो तू मेरे साथ मेरे थैले में बैठ जा. उसने साँप को अपने थैले में रखा और ऊपर से उस पर फूल पत्ते रख दिए. भाई, बहन के घर पहुँचा तो उस समय बहन नौ ग्रह की कहानी कह रही थी. बहन ने कहा कि भाई तू पहले बैठ जा पहले मेरी कहानी कहेगें फिर दोनों बात करेगें. बहन ने कहानी शुरु की. जीव की जानवर की हाथी की घोड़े की भाई बहन की घर के धनी की. लड़की के जमाई की देवरानी की जेठानी की सास की ससुर की संग की सहेलियों की सबके नौ ग्रह शांत हो जाओ. ग्रह चाले आठ पग बन्दा चाले चार पग साँप बिच्छू भँवरे सब आग में जल जाएँ. कहानी कहकर बहन खड़ी हो गई.

बहन ने अब भाई की सुध ली और कहा कि भाई इस थैले में क्या लाया है? भाई बोला बहन कुछ नहीं लाया हूँ लेकिन बहन ने जबर्दस्ती थैला छीन लिया और जब खोला तो उसमें रखे बेल, पत्ते व फूल केले-संतरे बन गए और जो साँप रखा था वह हार बन गया. केले-संतरे उसने बच्चों को दे दिए और हार खुद पहन लिया. हार पहन घर से बाहर आई तो भाई बोला कि बहन तू तो बहुत गरीब थी फिर यह हार कहाँ से आया? बहन बोली कि हाँ भाई मैं तो गरीब थी और ये हार तो तू अपने थैले में रखकर लाया है.

भाई को आश्चर्य हुआ उसने कहा कि थैले में तो मैं अपनी मौत का सामान लाया था. ये हार तो मैं तेरे लिए नहीं लाया था. फिर उसने कहा कि मेरे थैले में तो साँप था और तेरी कहानी कहने से यह साँप हार में बदल गया है. भाई बोला कि ये तेरे भाग्य का है इसे तू ही रख. बहन ने भाई से कहा कि तेरी नौ ग्रह की दशा चल रही है, तू घर जाकर भाभी से कहना कि वह नौ ग्रह की कहानी कहेगी. भाई घर पहुंचा और अपनी पत्नी से उसने कहा कि मेरी नौ ग्रह की दशा चल रही है इसलिए हम नौ ग्रह की कहानी कहेगें.

भाई पत्नी से बोला तू कहे मैं सुनूँगा, मैं कहूँ तू सुनना, चावल-चीनी के दाने ला, लोटा भर पानी ला. उसकी पत्नी एक लोटे में चावल व चीनी के दाने डालकर ले आई. कहानी कही जीव की, जानवर की, हाथी की, घोड़े की, कुत्ते की, बिल्ली की, देवरानी की, जेठानी की, सास की, ससुर की, घर के धनी की, बहन की, भाई की, सबके नौ ग्रह शांत हो जाए. ग्रह चले आठ पग, बन्दा चले चार पग, साँप, बिच्छू, भँवरे सब आग में जल जाएँ.

आज वार रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार सातों वार को नमस्कार ! धरती माता को नमस्कार ! नौ ग्रह को नमस्कार ! जैसे नौ ग्रह की दशा बहन की, भाई की उतारी ऎसे सबकी उतारना.