इस नक्षत्र के देवता विष्णु जी है और विष्णु जी को संसार के पालन-पोषण का कार्य भार सौंपा गया है. यदि श्रवण नक्षत्र किसी व्यक्ति की कुंडली में पाप अथवा अशुभ प्रभाव में है तब उसे विष्णु जी की पूजा-उपासना प्रतिदिन नियमित रूप से करनी चाहिए. विष्णु जी का मंत्र, विष्णु जी की 108 नामावली अथवा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ प्रतिदिन करने से श्रवण नक्षत्र की अशुभता दूर होती है और शुभ परिणाम मिलते हैं. भगवान विष्णु जी के कई अवतार हुए हैं तो उनमें से किसी एक की आराधना करने से भी इस नक्षत्र के शुभ फलों में वृद्धि की जा सकती है. व्यक्ति अपने इष्टदेव की पूजा-आराधना से भी श्रवण नक्षत्र के अशुभ प्रभाव को खतम कर सकता है.
कुछ विद्वानों का मत है कि चंद्रमा का गोचर जब श्रवण नक्षत्र में हो या तृतीया तिथि हो तब विष्णु भगवान या उनके अवतारों की उपासना करने से विशेष शुभ फल मिलते हैं या श्रावण महीने के पहले नौ दिनों में विष्णु भगवान की पूजा करने से भी अति विशिष्ट फलों की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु अथवा उनके अवतारों की उपासना करने से भी शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं. हल्के नीले रंग का उपयोग करने से भी इस नक्षत्र के शुभ फलों में वृद्धि होती है.
श्रीमद्भागवत गीता का प्रतिदिन पाठ करने से भी श्रवण नक्षत्र शुभ फल प्रदान करता है और व्यक्ति सुखी व संपन्न होता है. खीर व अपामार्ग की लकड़ी से होम करते हुए श्रवण नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए. यदि मंत्र करना संभव ना हो तब केवल वैदिक मंत्र का ही जाप 108 बार रोज करना चाहिए, मंत्र है :-
ऊँ विष्णोरराटमसि विष्णो: रनप्त्रेस्थो विष्णो: स्यूरसि विष्णोर्ध्र् वोsसि
वैष्णवमसि विष्णवेत्वा ।। ऊँ महाविष्णवे नम: ।।
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