आपका जन्म नक्षत्र पूर्वाफाल्गुनी है और वह अशुभ अथवा पाप प्रभाव में है तब इसे शुभ बनाने के लिए अथवा इसे बल प्रदान करने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए जिससे कि आपको जीवन में रुकावटों का सामना ना करना पड़े. यदि आपको दु:खों ने घेर रखा है, क्लेश आपका दामन नहीं छोड़ रहे हैं और जीवन में बाधाएँ तथा रुकावटों का दौर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है तब इन सबसे मुक्ति पाने के लिए माता लक्ष्मी की आराधना नियम से करनी चाहिए.
कुछ विद्वानों के मतानुसार भगवान शिव की पूजा तथा उनके शिवलिंग की आराधना करके भी इस नक्षत्र के बुरे प्रभाव से बचा जा सकता है. जिस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र पड़ रहा हो उस दिन भगवान शिव की आराधना और शिवलिंग की पूजा करना इस नक्षत्र को शुभ तथा कल्याण देने वाला बनाता है. इस नक्षत्र को और अधिक कल्याणकारी बनाने के लिए इसके वैदिक मंत्र का जाप करना चाहिए.
इस नक्षत्र के देवता “भग” है जिन्हें भोर के तारे के रूप में भी जाना जाता है. यदि कोई इस नक्षत्र के अशुभ प्रभाव से बचना चाहता है तब माँ कामाख्या अथवा “ओमकार” का पूजन करना चाहिए जिन्हें भग का ही रुप माना गया है. इनका पूजन प्रतिदिन नियम से किया जाना चाहिए तभी पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र शुभ प्रभाव प्राप्त कर सकता है. इस नक्षत्र को बल प्रदान करने के लिए कपटकारी जड़ को ताबीज के रुप में बाजू में बाँधना चाहिए या दिल के पास धारण करना चाहिए.
“भग” देवता की प्रसन्नता के लिए व्यक्ति को कंगनी, तिल तथा घी का दान सुपात्र को करना चाहिए. तिल और घी को मिश्रित कर होम करना चाहिए और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के वैदिक मंत्र का 108 बार जाप होम करते हुए करना चाहिए. यदि होम संभव ना हो तब केवल इस नक्षत्र के वैदिक मंत्र का 108 बार प्रतिदिन जाप करना चाहिए, मंत्र है :-
ऊँ भगप्रणेतर्भगसत्यराधो भगेमंधियमुदवाददन्न: ।
भगप्रणोजनयगोभिरश्वैप्रभिर्नृबंत स्याम ऊँ भगाय नम: ।।
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