पुष्य नक्षत्र का उपचार

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अगर पुष्य नक्षत्र जन्म नक्षत्र होकर अशुभ प्रभाव में है, पाप प्रभाव में है या कमजोर है तब इस नक्षत्र का उपाय अवश्य करना चाहिए ताकि इसके शुभ फलों में वृद्धि हो. पुष्य नक्षत्र के शुभ बल को बढ़ाने के लिए गायों की सेवा करनी चाहिए, इसके लिए गौशाला जाकर भी सेवा की जा सकती है. गाय को रोटी देनी चाहिए और हरा चारा भी दे सकते हैं. किसी गरीब ब्राह्मण को दान अथवा अन्य किसी प्रकार से उसकी सेवा कर के भी पुष्य नक्षत्र के शुभ फल में वृद्धि की जा सकती है. देवी की पूजा-अर्चना कर के भी इस नक्षत्र को बल दिया जा सकता है. ऎसा करने पर सुख, समृद्धि तथा यश की प्राप्ति होती है.

नारंगी, पीले तथा सफेद रँगों का उपयोग वस्त्रों के रुप में किया जा सकता है जिससे पुष्य नक्षत्र को बल प्रदान किया जा सकता है. इस नक्षत्र के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए बृहस्पति देव अथवा विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए. कुमकुम अथवा केसर, धूप, घी, कमल का फूल, खुश्बू, शुद्ध घी से बनी मिठाई और शुद्ध घी के दीपक के साथ पूजा करनी चाहिए. अगर हो सके तो शुद्ध घी से बनी जौ के आटे की मिठाई बृहस्पति देव को अर्पित करनी चाहिए.

घी और खीर को मिलाकर होम करते हुए पुष्य नक्षत्र के वैदिक मंत्र का 108 बार जाप करने से भी इस नक्षत्र का अशुभ प्रभाव कम होता है. यदि होम करना संभव नहीं हो पा रहा है तब आप प्रतिदिन नियम से इस नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप जरुर करें, मंत्र हैै :-

ऊँ बृहस्पते अतियदर्यो अर्हाद्द्युमद्विमाति क्रतु मज्जनेषु ।

यद्दीदयच्छ वसऋत प्रजाततदस्मासु द्रविणंधेहिचित्रम् ।।

ऊँ बृहस्पतये नम: ।।

 

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