हिन्दू तिथियों का अपना एक स्वभाव भी माना जाता है. चाहे कृष्ण पक्ष हो या शुक्ल पक्ष, यहां दोनों पक्षों की तिथियों की बात कही गई है.
- प्रतिपदा को वृद्धिप्रदा अर्थात वृद्धि करने वाली या उत्थान करने वाली तिथि कहा जाता है.
- द्वित्तीया तिथि को मंगलप्रदा या शुभ घटनाएं देने वाली कहा गया है.
- तृतीया तिथि को बलप्रदा या शक्ति देने वाली तिथि कहा गया है.
- चतुर्थी तिथि को खल कहा गया है जो की शुभ नहीं है.
- पंचमी तिथि लक्ष्मीप्रदा या संपत्ति देने वाली कही गई है.
- षष्टी तिथि यशप्रदा अथवा प्रसिद्धि देने वाली कही गई है.
- सप्तमी तिथि को मित्र कहा गया है.
- अष्टमी तिथि द्वंद्व अथवा विरोध देने वाली कही गई है.
- नवमी तिथि को उग्र अथवा उत्तेजना देने वाली कहा गया है.
- दशमी तिथि सौम्य अर्थात शांत कही गई है.
- एकादशी तिथि आनन्दप्रदा अथवा सुख देने वाली तिथि मानी गई है.
- द्वादशी तिथि यशप्रदा अथवा प्रसिद्धि देने वाली तिथि कही गई है.
- त्रयोदशी तिथि जयप्रदा अर्थात विजय देने वाली कही गई है.
- चतुर्दशी तिथि को उग्र अर्थात उत्तेजना देने वाली तिथि कहा गया है.
- पूर्णिमा तिथि सौम्य अर्थात शांत तिथि है.
- अमावस्या तिथि पूर्वजों को दर्शाती है.