कालसर्प योग या दोष – अच्छा या बुरा

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kaal sarp

ज्योतिष में बहुत से अच्छे अथवा बुरे योगों का उल्लेख किया गया है. इन्हीं योगो में से एक योग कालसर्प योग भी है. इस योग के बारे में बहुत सी भ्रांतिया लोगो के मध्य फैली हुई है. किन्तु सही क्या है यह कहना बहुत ही कठिन काम है. कई ज्योतिषियो का यह भी मानना है कि यह कालसर्प योग जितना ऎश्वर्य प्रदान करने वाला होता है उतना ही कष्ट भी प्रदान करता है. कई लोगों का मानना है कि इस योग के बनने पर व्यक्ति धन संपदा से संपन्न होता है लेकिन उसे कुछ ना कुछ कष्ट जीवन में अवश्य उठाने पड़ सकते हैं. वैसे तो कुण्डली के सभी बारह भावों में बनने वाले कालसर्प योगों का फल भिन्न होता है लेकिन कुण्डली के छ: भाव ऎसे भी है जिनमें बनने वाले कालसर्प योग जातक को कष्ट प्रदान करते हैं. इन छ: भावों में बनने वाले कालसर्प योग का व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है.

 

1) प्रथम से सप्तम तक – 1st House to 7th House

पहले भाव से लेकर सातवें भाव तक बनने वाले इस कालसर्प योग में अल्ग्न और सप्तम भाव प्रभावित होता है. इस योग में जातक का वैवाहिक जीवन अत्यधिक प्रभावित हो जाता है. अपने खराब वैवाहिक जीवन के कारण व्यक्ति सन्यासी तक बन जाता है. जातक को अपने जीवन के आरंभ काल में संघर्ष करना पड़ जाता है. मध्यकाल में भी परेशानियाँ पीछा नहीं छोड़ती है, जकड़े रहती हैं. यदि जीवन में कभी किसी महिला की सहायता मिल भी जाए तो किसी अन्य महिला के कारण जातक फिर पीछे हो जाता है.

 

2) द्वित्तीय से अष्टम भाव तक – 2nd House to 8th House

दूसरे भाव से धन का आंकलन किया जाता है. इसलिए इस भाव में कालसर्प योग के बनने पर जातक जीवनभर निर्धन रहता है. जो भी धन जातक के पास होता है वह सभी वह बुरे कामों में खर्च कर देता है. ऎसे जातक के ऊपर से सभी का भरोसा उठ जाता है. कामी होता है और बहुत सी स्त्रियों के सम्पर्क में रहता है. व्यक्ति की वाणी भी बहुत खराब रहती है. ऎसे आदमी को लोग काली जुबान का भी मानते हैं.

 

3) तृतीय से नवम भाव तक – 3rd House to 9th House

तीसरे भाव से लेकर नवम भाव तक बनने वाले कालसर्प योग में व्यक्ति के बिजनेस का संबंध विदेशों से स्थापित होता है लेकिन जातक को बहुत सी हानि का सामना करना पड़ सकता है. जातक के बहुत से शत्रु भी बढ़ सकते हैं. कई उच्चाधिकारियों से संबंध बिगड़ सकते हैं और हानि भी होने की संभावना बनती है.

 

4) चतुर्थ भाव से दशम भाव तक – 4th House to 10th House

चौथे भाव से दसवें भाव तक बनने वाले इस कालसर्प योग में व्यक्ति को जीवन में मान सम्मान की बजाय मान हानि ज्यादा उठानी पड़ जाती है. यदि कोई संतान गोद ली हुई है तब उस से अपमान का सामना करना पड़ सकता है. व्यक्ति कई बार अपनी पैतृक धन सम्पदा को भी खो सकता है. कार्यक्षेत्र में भी पूर्ण रुप से सफलता हासिल नही होती है.

 

5) पंचम से एकादश भाव तक – 5th House to 11th House

पांचवे भाव से लेकर एकादश भाव तक बनने वाले कालसर्प योग में जातक को अपने मित्रों से धोखा मिलने की संभावना बनती है. इस कारण कई बार व्यक्ति निष्ठुर बन जाता है और सभी पर से अपना विश्वास खो देता है. अपनी मनमर्जी अधिक करता है दूसरों की नहीं सुनता है. अपनी इस बुरी आदत के कारण अपमान सहना पड़ सकता है. लाभ के स्थान पर हानि का सामना करना पड़ता है.

 

6) षष्ठ भाव से द्वादश भाव तक – 6th House to 12th House

छठे भाव से बारहवें भाव तक बनने वाले कालसर्प योग से व्यक्ति को जीवन में अत्यधिक कष्टों का सामना करना पड़ सकता है. रोग, ऋण तथा शत्रुओं से घिरा रह सकता है. इन भावों में बनने वाला यह योग अति घातक सिद्ध हो सकता है. जातक जेल तक जा सकता है. जातक का स्वास्थ्य भी खराब रह सकता है. आपके छिपे हुए शत्रु आपको परेशान कर सकते हैं.

 

छठे भाव से लेकर बारहवें तक बनने वाले इस कालसर्प योग से व्यक्ति या तो एकदम सुखी रहता है या एकदम दुखी रहता है. इस योग के प्रभाव से व्यक्ति लेखक भी बन सकता है. कलाक्षेत्र से भी व्यक्ति अच्छी आजीविका अर्जित कर लेता है.