गुरु ग्रह ज्ञान, संतान तथा धन के नैसर्गिक कारक माने जाते हैं. जन्म कुंडली में इनकी स्थिति कमजोर होने से इनसे संबंधित बातों में कमी का अनुभव हो सकता है. इसलिए इनकी स्थिति को मजबूत करने के लिए गुरु ग्रह से संबंधित किसी भी एक मंत्र का जाप करना चाहिए. मंत्र जाप शुक्ल पक्ष के बृहस्पतिवार से आरंभ करें. मंत्र जाप संध्या समय में करें. एक माला प्रतिदिन मंत्र जाप की करनी चाहिए.
गुरु का वैदिक मंत्र
ऊँ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेधु ।
यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविण देहि चित्रम । ।
गुरु के लिए तांत्रोक्त मंत्र
- ऊँ ऎं क्रीं बृहस्पतये नम: ।
- ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम: ।
- ऊँ श्रीं श्रीं गुरवे नम: ।
गुरु के लिए नाममंत्र
ऊँ बृं बृहस्पतये नम:
गुरु के लिए पौराणिक मंत्र
ऊँ देवानां च ऋषीणां गुरुं कांचनसन्निभम ।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम ।।
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