कार्तिक माह माहात्म्य – सत्रहवां अध्याय

भक्ति से भरे भाव हे हरि मेरे मन उपजाओ। सत्रहवां अध्याय कार्तिक, कृपा दृष्टि कर जाओ।। उस समय शिवजी के

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कार्तिक माह माहात्म्य – पंद्रहवाँ अध्याय

श्री विष्णु भगवान की कृपा, हो सब पर अपरम्पार। कार्तिक मास का ‘कमल” करे पन्द्रहवाँ विस्तार।। राजा पृथु ने नारद

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कार्तिक माह माहात्म्य – चौदहवाँ अध्याय

कार्तिक मास का आज, लिखूं चौदहवाँ अध्याय। श्री हरि कृपा करें, श्रद्धा प्रेम बढाएँ।। तब उसको इस प्रकार धर्मपूर्वक राज्य

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कार्तिक माह माहात्म्य – तेरहवाँ अध्याय

कार्तिक कथा को सुनो, सभी सहज मन लाय। तेरहवाँ अध्याय लिखूँ, श्री प्रभु शरण में आय।। दोनो ओर से गदाओं,

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कार्तिक माह माहात्म्य – बारहवाँ अध्याय

सुख भोगे जो कथा, सुने सहित विश्वास। बारहवाँ अध्याय लिखे, ‘कमल’ यह दास।। नारद जी ने कहा – तब इन्द्रादिक

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