शनि कवच
शनि ग्रह की पीड़ा से बचने के लिए अनेकानेक मंत्र जाप, पाठ आदि शास्त्रों में दिए गए हैं. शनि ग्रह
Astrology, Mantra and Dharma
शनि ग्रह की पीड़ा से बचने के लिए अनेकानेक मंत्र जाप, पाठ आदि शास्त्रों में दिए गए हैं. शनि ग्रह
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय। नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषितायगौरीसुताय गणनाय नमो नमस्ते।।1।। गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।।2।। एकदन्तं महाकायं
ऊँ नमश्चण्डिकायै नम: अथ श्री दुर्गा सप्तशती भाषा पहला अध्याय – Chapter First – Durga Saptashati (महर्षि ऋषि का राजा
संवत 1664 विक्रमाब्द के लगभग गोस्वामी तुलसीदास जी की बाहुओं में वात व्याधि की गहरी पीड़ा उत्पन्न हुई. फोड़े-फुंसियों
अंगं हरे: पुलकभूषणमाश्रयन्ती भृंगांगनेव मुकुलाभरणं तमालम् अंगीकृताखिलविभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया: ।।1।। मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारे: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि । माला
मुदा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं कलाधरावतंकसकं विलासिलोकरंजकम् अनायकैकनायकं नमामि तं विनायम् नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायम् नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं नमत्सुरारिनिर्जरं नताधिकापदुद्धरम्