दशमयीबालात्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रम्

दशमयीबालात्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रम् श्रीकाली बगलामुखी च ललिता धूम्रावती भैरवी मातंगी भुवनेश्वरी च कमला श्रीवज्रवैरोचनी। तारा पूर्वमहापदेन कथिता विद्या स्वयं शम्भुना लीलारूपमयी च

Continue reading

तन्त्रोक्तं रात्रिसूक्तम्

{योगनिद्रास्तुति:} ऊँ विश्वेश्वरीं जगद्धात्रीं स्थितिसंहारकारिणीम्। निद्रां भगवतीं विष्णोरतुलां तेजस: प्रभु:।।1।। अर्थ – जो इस विश्व की अधीश्वरी, जगत को धारण

Continue reading

माघ माहात्म्य – अठ्ठाईसवाँ अध्याय

वशिष्ठजी कहने लगे कि हे राजा दिलीप! बहुत से जन-समूह सहित अच्छोद सरोवर में स्नान करके सुखपूर्वक मोक्ष को प्राप्त

Continue reading

error: Content is protected !!