दशमयीबालात्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रम्
दशमयीबालात्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रम् श्रीकाली बगलामुखी च ललिता धूम्रावती भैरवी मातंगी भुवनेश्वरी च कमला श्रीवज्रवैरोचनी। तारा पूर्वमहापदेन कथिता विद्या स्वयं शम्भुना लीलारूपमयी च
Astrology, Mantra and Dharma
दशमयीबालात्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रम् श्रीकाली बगलामुखी च ललिता धूम्रावती भैरवी मातंगी भुवनेश्वरी च कमला श्रीवज्रवैरोचनी। तारा पूर्वमहापदेन कथिता विद्या स्वयं शम्भुना लीलारूपमयी च
{योगनिद्रास्तुति:} ऊँ विश्वेश्वरीं जगद्धात्रीं स्थितिसंहारकारिणीम्। निद्रां भगवतीं विष्णोरतुलां तेजस: प्रभु:।।1।। अर्थ – जो इस विश्व की अधीश्वरी, जगत को धारण
वशिष्ठजी कहने लगे कि हे राजा दिलीप! बहुत से जन-समूह सहित अच्छोद सरोवर में स्नान करके सुखपूर्वक मोक्ष को प्राप्त
प्रेत कहने लगा कि हे पथिक! मैं इस समय तुम्हारे पास जो यह गंगा जल हैं, उसे माँगता हूँ क्योंकि
पथिक कहने लगा कि हे प्रेत! तुमने सारस के वचन किस प्रकार और क्या सुने थे. सो कृपा करके कहिए.
पिशाच कहने लगा कि हे मुनि! केरल देश का ब्राह्मण किस प्रकार मुक्त हुआ यह कथा कृपा करके विस्तारपूर्वक कहिए.