हर वर्ष फाल्गुन महीने में होली का त्यौहार मनाया जाता है. होली का यह त्यौहार दो दिन मनाया जाता है. पहले दिन पूर्णिमा को होली की पूजा होलिका के रूप में की जाती है और होलिका दहन किया जाता है. सुबह के समय अथवा कहीं-कहीं होलिका दहन से पहले होली की पूजा सभी वर्ग के लोग अपने-अपने रीत-रिवाज से करते हैं और संध्या समय में होली जलाकर उसका दहन करके इसे मनाया जाता है लेकिन होलिका दहन से एक सप्ताह पहले अर्थात फाल्गुन माह की शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा तक होलाष्टक भी आरंभ हो जाते हैं. होलाष्टक जब शुरु हो जाते हैं तब किसी प्रकार का कोई शुभ काम नहीं करते हैं क्योंकि आम बोलचाल की भाषा में इन आठ दिनों को जले-कटे दिन माना जाता है.
होलिका दहन के अगले दिन सुबह से ही रंग खेलने वाली होली मनाई जाती है जिसे “फाग” अथवा “धुलैण्डी” कहते हैं. इसके विषय में एक बात यह प्रचलित है कि होलिका दहन के अगले दिन होलिका की राख को एक-दूसरे को लगाया जाता था और फिर धीरे-धीरे राख की जगह फूलों से बनने वाले रँगों ने ले ली और वर्तमान समय में तो रंगों की होली खेलने के कई विकल्प मौजूद हैं.
इस साल 2020 में होलिका दहन 9 मार्च को सोमवार के दिन किया जाएगा और उससे पहले 3 मार्च से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएगा जो 9 मार्च को समाप्त होगा. 10 मार्च को धुलैण्डी का त्यौहार मनाया जाएगा.
होलिका दहन मुहूर्त्त 2020
होलिका दहन में भद्रा को वर्जित माना गया है तो 9 मार्च को भद्रा दोपहर में 01:11 मिनट तक रहेगी. होलिका दहन में प्रदोषकाल को लिया जाता है. जिसका अर्थ है कि सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि रहे. इस प्रकार जो होलिका दहन का मुहूर्त निकलकर आता है वह है –
शाम को 6 बज कर 22 मिनट से 08 बज कर 49 मिनट तक
होली पर कुछ उपाय जानने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें:-
https://chanderprabha.com/2016/03/21/miracle-remedy-related-to-holi-worship/
Astro Prabha परिवार की ओर से हमारे सभी पाठकों को होली की बहुत-2 शुभकामनाएँ. रंगों का ये त्यौहार आप सभी के जीवन में ढेर सारी खुशियाँ भर दे.