राहु जन्म कुंडली में कितना ही शुभ क्यूँ ना हो तब भी शुभफल देने में बहुत ज्यदा सक्षम नहीं कहा जा सकता. इसकी दशा में व्यक्ति मानसिक रुप से भ्रम में बना रहता है, उसे पता ही नहीं चल पाता कि क्या अच्छा तो क्या बुरा है! इसकी दशा में व्यक्ति के सुख का तथा धन का नाश होता है. कई प्रकार के रोग व व्याधियाँ मनुष्य को जकड़ लेती है. यदि शारीरिक कष्ट नहीं भी हों लेकिन मानसिक कष्टों से नहीं बचा जा सकता है. इस दशा में मनुष्य प्रवासी हो जाता है.
राहु की दशा में पिता को कष्ट होता है, पिता से वियोग भी हो सकता है तथा परिवार के कुछ लोग विरोधी हो सकते हैं और उनके द्वारा कष्टों की प्राप्ति हो सकती है. अपने घर-परिवार के प्रति आसक्ति रहती है लेकिन घर का वाताचरण सुखमय नहीं कहा जा सकता. मानसिक सुख का अभाव सदैव रहता है. असंतोष, सन्ताप, बुद्धिहीनता आदि इस दशा में देखने को मिलता है. विषम परिस्थितियों से सामना होता है जो कई बार मृत्युतुल्य कष्ट देने वाली साबित होती हैं. इस दशा में विष का भय भी बना रहता है क्योंकि राहु स्वयं विष है. व्यक्ति का जीवन संशयपूर्ण स्थिति में रहता है.
उच्च राशि में स्थित राहु दशा फल
वृष राशि में राहु को उच्च का माना जाता है तो कुछ अन्य मत से मिथुन में राहु को उच्च का माना गया है. यदि जन्म कुंडली में राहु अपनी उच्च राशि में अच्छे भाव में स्थित है तब इसकी दशा में सुखों की प्राप्ति होती है. मित्रों का सुख अथवा उनसे लाभ होता है. जातक के धन-धान्यादि में बढ़ोतरी होती है.
मूलत्रिकोण राशि में स्थित राहु दशा फल
मूलत्रिकोण राशि तय नहीं है कि कौन सी मानी जाएंगी लेकिन मेष व कर्क राशि के राहु को भी अच्छा माना गया है इसलिए इन दोनों को मूलत्रिकोण जैसी राशियाँ राहु की मान सकते हैं क्योंकि इनमें स्थित राहु की दशा में धन का लाभ होता है, विद्या से लाभ अथवा विद्या का लाभ होता है. सरकार से सम्मान, स्त्री-पुत्र का सुख तथा दासादि का सुख भी मिलता है.
कन्या, धनु और मीन राशि में राहु का फल
अगर इनमें से किसी भी एक राशि में राहु स्थित है तब इसकी दशा में व्यक्ति को स्त्री-पुत्र का लाभ व सुख मिलता है. किसी स्थान का स्वामित्व भी व्यक्ति को मिलता है. वाहन आदि का सुख भी व्यक्ति पाता है लेकिन इन राशियों में स्थित राहु की दशा जब समाप्त होने लगती है तब जो कुछ इस दशा ने दिया है वह जाते-जाते वापिस ले भी जाती है अर्थात जो उपलब्धियाँ व्यक्ति पाता है वह नष्ट हो जाती हैं.
कुछ अन्य विद्वानों के मत से सिंह, वृष, कन्या और कर्क राशि में जब राहु स्थित होता है तब अपनी दशा में व्यक्ति को जीवन की सभी सफलताएँ प्रदान कराता है. हर प्रकार की सुख-सुविधाएँ, सभी ऎश्वर्य, धन-धान्य आदि व्यक्ति को मिलते हैं. व्यक्ति परोपकार करने वाला होता है तथा वाहनादि के सुखों का भी भोग करता है.
पाप राशि में राहु का फल
यदि जन्म कुंडली में राहु किसी पाप ग्रह की राशि में स्थित है तब देह की दुर्बलता होती है. कुल का विनाश इस दशा में कहा गया है. सरकार से भय होता है, शत्रु का भय भी बना रहता है और अकसर व्यक्ति को धोखे मिलते हैं. मूत्र संबंधी व्याधियाँ होने की संभावना बनी रहती है.
शुभ-अशुभ से दृष्ट राहु का फल
यदि जन्म कुंडली में राहु किसी शुभ ग्रह से दृष्ट है तब इसकी दशा में कार्य सिद्ध होते हैं. सरकार की ओर से अथवा उच्चाधिकारियों के द्वारा व्यक्ति सम्मानित होता है. धन का आगमन भी इस दशा में रहता है लेकिन किसी स्वजन का निधन भी इस दशा में होने की संभावना बनती है.
यदि राहु किसी पाप अथवा अशुभ ग्रह से दृष्ट है तब इसकी दशा में कार्य असफल रहते हैं. जो अपना उद्योग चलाते हैं उनमें बाधा आती है. मानसिक व शारीरिक कष्ट बना रहता है. परिवार वाले ही परेशानियाँ व कष्ट उत्पन्न करने वाले बन जाते हैं. चोर व अग्नि का भय भी इस दशा में बना रहता है. सरकार अथवा सरकारी अधिकारियों से उत्पीड़न मिल सकता है जिससे कष्ट में वृद्धि ही होती है.
उच्च ग्रह से युक्त राहु दशा फल
यदि जन्म कुंडली में राहु उच्च के ग्रह के साथ स्थित है तब इसकी दशा में सरकार की ओर से लाभ होता है, स्त्री-पुत्र की ओर से सुख की अनुभूति होती है. धन-संपदा, वस्त्र तथा आभूषण आदि का सुख भी इस दशा में मिलता है. इस दशा में व्यक्ति मालिश का सुख काफी उठाता है.
नीच ग्रह से युक्त राहु दशा फल
यदि जन्म कुंडली में राहु नीच के ग्रह के साथ स्थित है तब इसकी दशा में व्यक्ति नीच कार्यों को करके अपना जीवनयापन करता है. ऎसे कार्य जिन्हें नीच वृत्ति का समझा जाता है वह जातक करता है. किसी दुष्ट स्त्री से संबंध रख सकता है जिससे कष्ट की प्राप्ति होती है अथवा अपनी स्त्री भी दुष्टा हो सकती है और पुत्र भी कुपुत्र हो जाता है.
नीच राशि में स्थित राहु दशा फल
कुछ विद्वानों के मत से राहु वृश्चिक राशि में नीच का कहा जाता है तो कुछ अन्य के मत से राहु को धनु राशि में नीच का माना गया है. यदि जन्म कुंडली में राहु अपनी नीच राशि में स्थित है तब अग्नि व चोर का भय रहता है. सरकार, सरकारी व्यक्ति अथवा उच्चाधिकारियों की ओर से भी कष्ट की प्राप्ति होती है. व्यक्ति विदेश गमन करता है और कई विद्वान तो इस दशा में वनवास की बात भी करते हैं. विष तथा फाँसी का भय भी इस दशा में बना रह सकता है.