शतभिषा नक्षत्र का उपचार

Posted by

शतभिषा नक्षत्र अगर जन्म नक्षत्र होकर पीड़ित अथवा अशुभ प्रभाव में है तब व्यक्ति को शारीरिक कष्ट प्रदान करेगा जैसे टाँग से जुड़े कष्ट या मुँह या जाँघ से संबंधित रोग. इस नक्षत्र पर पाप प्रभाव व्यक्ति को व्यसन भी प्रदान करता है. यदि जन्म कुंडली में यह नक्षत्र शुभ प्रभाव में है और बली अवस्था में हैं तब व्यक्ति सिनेमा के क्षेत्र में अथवा दूरदर्शन के क्षेत्र में या फिर रेडियो के क्षेत्र में काफी मान-सम्मान, धन, यश तथा सफलता पाएगा.

अगर यह नक्षत्र पाप प्रभाव में होकर परेशानी तथा बाधाएँ उत्पन्न कर रहा है तब इस नक्षत्र के बीज मंत्र “ऊँ लं” का 108 बार जाप करना चाहिए. यह मंत्र जाप शनिवार के दिन या चतुर्दशी तिथि को या श्रावण मास के जब अंत के 9 दिन बच जाते हैं तब शुरु करना चाहिए या फिर जब चंद्रमा का गोचर शतभिषा नक्षत्र में हो रहा हो तब इस बीज मंत्र का जाप आरंभ करना चाहिए. बीज मंत्र के जाप से व्यक्ति को शुभ परिणाम मिलते हैं.

सावन का महीना भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय होता है. काँवड़ियों की यात्रा व अमरनाथ यात्रा दोनों ही शतभिषा नक्षत्र के मास में जाती है. शतभिषा नक्षत्र का स्वामी ग्रह राहु है और राहु को सर्प का मुख कहा गया है एवं सर्प माला के रुप में भगवान शिव के गले में रहता हैं इसलिए इस नक्षत्र की शुभता में वृद्धि के लिए भगवान शिव की पूजा अचूक उपाय होती है. भगवान शिव की पूजा-उपासना करने तथा “ऊँ नम: शिवाय” मंत्र की तीन माला या पाँच माला का जाप भी इस नक्षत्र के शुभ फलों में वृद्धि करता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति यश पाता है तथा सफलता उसके कदम चूमती है.

नीलापन लिए वस्त्र अथवा वस्तुएँ अथवा गाढ़ा या हल्का हर प्रकार के नीले रँग के उपयोग से शतभिषा नक्षत्र की अशुभता में कमी आती है. इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह वरुण देव को माना गया है इसलिए शतभिषा नक्षत्र के दिन वरुण देव की पूजा अर्चना पूरे विधि-विधान से करनी चाहिए. इस नक्षत्र के उपचार के लिए व्यक्ति कमल का फूल चांदी के ताबीज में गले में अथवा बाजू में पहन सकता है. इसके अलावा इस नक्षत्र की शुभता में वृद्धि के लिए होम करते हुए शतभिषा नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए. होम करना संभव ना हो तो केवल वैदिक मंत्र का जाप 108 बार प्रतिदिन करें, मंत्र है :-

ऊँ व्वरुणस्योत्तम्भनमसि व्वरुणस्यस्कम्भ सर्जनिस्थो व्वरुणस्य ऋतसदन्यसी

व्वरुणस्यऋत सदनमसि व्वरुणस्य ऋतसदनमासीद ।।

ऊँ वं वरुणाय अपांपतये नम: ।।

 

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के उपचार अथवा उपायों के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें :- 

https://chanderprabha.com/2019/06/21/remedies-for-poorva-bhadrapad-nakshatra/