पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र का उपचार

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पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र की अधिष्ठात्री देवी “अप:” को माना गया है जिसका अर्थ है – जल. यहाँ जल को अमृत के समान माना गया है क्योंकि जल के बिना जीवन संभव नहीं है. यदि यह नक्षत्र पाप प्रभाव में है तब इसके पापत्व को मिटाने के लिए लक्ष्मी माता, ललिता देवी या त्रिपुर सुन्दरी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. पूजा में ललिता सहस्त्रनाम या लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ करने से भी शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं. कनकधारा स्तोत्र, महालक्ष्मी अष्टक भी अति उत्तम फल प्रदान करते हैं.

इस नक्षत्र को बल प्रदान करने के लिए सुन्दर व कीमती वस्त्र धारण किए जा सकते हैं, रंगीन कपड़े जो व्यक्तित्व को आकर्षण प्रदान करें, उन्हें धारण कर के भी इस नक्षत्र को बल दिया जा सकता है. व्यक्ति खुद को सजा-संवारकर रखे तो इससे भी इस नक्षत्र के बल में वृद्धि होती है. यदि कोई व्यक्ति महंगे वस्त्र नहीं खरीद सकता तब हल्के नीले रंग के वस्त्र या हल्के गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करके इस नक्षत्र की शुभता में वृद्धि कर सकता है.

यदि किसी का जन्म नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा है तब उस व्यक्ति को जीवन के महत्वपूर्ण कार्य इस नक्षत्र के दिन आरंभ करने चाहिए. जिस दिन चंद्रमा का गोचर इस नक्षत्र से हो रहा हो उस दिन आरंभ करें या इस नक्षत्र के चांद्र मास में शुरु करे या इस नक्षत्र की तिथि में आरंभ करे. इस नक्षत्र के महीने, तिथि तथा नक्षत्र के दिन पूजा करने से भी शुभ फल मिलते हैं, जैसे – “ऊँ बं” बीज मंत्र की एक माला का जाप करने से शुभता बढ़ती है.

जैसा कि शुरु में बताया गया है कि इस नक्षत्र की देवी अप: है जिसका अर्थ जल है. इस नक्षत्र के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए किसी तालाब, झील, कुएं अथवा किसी नदी की पूजा करनी चाहिए. सफेद चंदन, कमल का फूल, धूप, खुश्बू, घी, गुग्गल, शुद्ध घी का दीपक, खीर आदि से पूजा करनी चाहिए. पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के बीज मंत्र के अतिरिक्त इसके वैदिक मंत्र का जाप करने से भी परेशानियाँ तथा बाधाएँ दूर होती हैं. वैदिक मंत्र का जाप होम करते हुए कर सकते हैं और होम करना संभव ना हो तब केवल वैदिक मंत्र का 108 बार नियमित जाप करना चाहिए, मंत्र है :-

ऊँ अपाघमप किल्विषमपत्यामपोरप: ।

अपामार्गत्वमस्मदप: दु:ष्वप्न्यगूंसुव ऊँ अद्भ्योनम: ।।

 

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