चित्रा नक्षत्र का उपचार

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चित्रा नक्षत्र के देवता “विश्वकर्मा” जी हैं. यदि जन्म कुंडली में चित्रा नक्षत्र पीड़ित है अथवा इस नक्षत्र में पाप ग्रह स्थित है तब यह अपने शुभ फलों में कमी कर सकता है तथा व्यक्ति को जीवन में कई प्रकार की बाधाओं तथा परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इस नक्षत्र के शुभ परिणाम पाने के लिए माँ भवानी, जगदम्बा अथवा देवी दुर्गा की उपासना करनी चाहिए जिससे कि इस नक्षत्र का अरिष्ट भंग हो और शुभ फल प्राप्त हो सकें. दूसरी बात ये कि देवी को शक्ति माना जाता है और शक्ति की पूजा-उपासना जातक को पथ भ्रष्ट होने से बचाती है. जातक उचित-अनुचित समझकर सही रास्ते पर चलता है. जीवन में उन्नति करता है, सफलता पाता है और सुयश पाता है.

जातक देवी की आराधना किसी भी रुप में कर सकता है जैसे – दुर्गा सप्तशती का पाठ, सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ, देवी सहस्त्रनाम का पाठ अथवा देवी का कोई अन्य पाठ नियमित रुप से करे. दुर्गा पूजा के समय विशेष उपासना कर सकते हैं, इससे भी इस नक्षत्र के शुभ परिणामों में बढ़ोतरी होगी. शक्तिपीठों की यात्राएँ करने से भी इस नक्षत्र के शुभ फल बढ़ते हैं और अनिष्ट प्रभाव कम होते हैं.

चित्रा नक्षत्र का स्वामी ग्रह मंगल है तो मंगलवार के दिन घी और सात प्रकार के अनाजों का दान करने से भी इस नक्षत्र के दुष्परिणाम कम होते हैं. गुड़ तथा तिल का दान भी इस नक्षत्र के लिए शुभ माना गया है. इस नक्षत्र के देवता विश्वकर्मा जी हैं तो उनकी पूजा करने से भी शुभ फल मिलते हैं अथवा किसी वृद्ध ब्राह्मण को दान करने से इस नक्षत्र के बल को बढ़ाया जा सकता है.

चित्रा नक्षत्र के लिए तिल, पान का पत्ता तथा घी मिलाकर होम करना चाहिए और होम करते समय इस नक्षत्र के वैदिक मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए. यदि होम करना संभव ना हो तब केवल चित्रा नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप प्रतिदिन 108 बार करना चाहिए, वैदिक मंत्र हैं :-

ऊँ त्वष्टा तुरीयो अद्भुत इन्द्राग्नी पुष्टिवर्द्धनम् ।

द्विपदाछन्दsइन्द्रियमुक्षा गौत्रवयोदध: ऊँ विश्वकर्म्मणे नम: ।।

 

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