सूर्य की पहली किरण को सविता कहा गया है और इसी “सविता” को हस्त नक्षत्र का देवता माना गया है. यदि हस्त आपका जन्म नक्षत्र है और पाप अथवा अशुभ प्रभाव में है तब आपको सूर्य की उपासना व आराधना अवश्य करनी चाहिए. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं, सूर्य नमस्कार कर सूर्य के बारह नामों का जाप कर सकते हैं. सूर्य के 108 नामों का जाप कर के भी इस नक्षत्र के बल में वृद्धि की जा सकती है तथा शुभ परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं. सूर्य के वैदिक मंत्र का 108 बार जाप कर के भी हस्त नक्षत्र के अनिष्ट प्रभाव को दूर किया जा सकता है और शुभ परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं.
प्रतिदिन नियम से सूर्य को जल अर्पित करने से भी इस नक्षत्र के दुष्परिणामों को कम किया जा सकता है. यदि सूर्योदय के समय जल अर्पित किया जाए तो अत्यधिक शुभकारी होता है. जल किसी तांबे के बरतन से देना चाहिए और जल देते समय जल में चावल अथवा कुछ मीठा जैसे शक्कर अथवा चीनी के कुछ दाने अवश्य मिला लेने चाहिए. सफेद अथवा पीला फूल भी जल के साथ सूर्य देव को अर्पित कर सकते हैं. जल देते हुए सूर्य का कोई भी एक मंत्र बोलना चाहिए, जैसे – “ऊँ घृणि सूर्याय नम:” भी आप बोल सकते हैं. जल देने के बाद उसी स्थान पर खड़े होकर तीन बार घूमकर सूर्य की परिक्रमा कर लेनी चाहिए. ऎसा करने पर भी हस्त नक्षत्र शुभ फल प्रदान करता है.
यदि इस नक्षत्र के अशुभ प्रभाव के कारण आप आध्यात्मिकता के क्षेत्र में सफल नहीं हो पा रहे हैं तब भगवान विष्णु की किसी भी रुप में आराधना अथवा उपासना करने से भी आप आध्यात्मिक क्षेत्र में सफल हो सकते हैं और इस नक्षत्र की अलौकिक शक्तियों से लाभ पा सकते हैं. अगर रंगों की बात करें तो हल्का हरा रंग, सफेद, नीला तथा आसमानी रंग लाभ प्रदान करने वाला होता है.
जैसे कि पहले बताया कि इस नक्षत्र के देवता भगवान “सविता” हैं तब इनकी सोने की मूर्ति बनवाकर अथवा सोने जैसी धातु की मूर्ति बनवाकर उसकी प्रतिदिन पूरे विधि विधान से पूजा करनी चाहिए, जिससे कि यह नक्षत्र बली हो सके. पूजा की वस्तुओं में लाल चंदन, धूप, घी, केसर, कमल का फूल, खुश्बू, गुग्गल, दूध से बनी वस्तु तथा दीपक अवश्य होने चाहिए. कोई भी एक मिठाई भी मूर्ति को अवश्य अर्पित करनी चाहिए.
घी तथा दही को मिलाकर होम करना चाहिए और होम करते समय हस्त नक्षत्र के वैदिक मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए. यदि होम करना आपके लिए संभव ना हो पा रहा हो तब केवल वैदिक मंत्र का जाप ही 108 बार प्रतिदिन करना चाहिए, ऎसा करने पर अत्यधिक शुभ फल प्राप्त होगें. हस्त नक्षत्र का वैदिक मंत्र हैं :-
ऊँ बिभ्राड्वृहत्पिबतु सौम्यं मध्वायुर्दधद्यज्ञपत्तावविहुतम् ।
वातजूतो यो अभिरक्षतित्मना प्रजा: पुपोषपुरूधा विराजति ऊँ सवित्रे नम: ।।
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