स्वाति नक्षत्र का उपचार

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स्वाति नक्षत्र के देवता पवन देव अर्थात वायु को माना गया है और इस नक्षत्र के स्वामी ग्रह राहु हैं. स्वाति नक्षत्र अगर आपका जन्म नक्षत्र है और पीड़ित है तब इसके अत्यधिक अशुभ फल मिल सकते हैं. इस नक्षत्र की शुभता में वृद्धि करने के लिए विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा करनी चाहिए. माता सरस्वती की प्रतिदिन नियमित रूप से पूजा करने से इस नक्षत्र की अशुभता दूर होती है और व्यक्ति अनिष्टकारी फलों से मुक्ति पाता है. माँ सरस्वती के मंत्र “ऊँ ऎं हृीं क्लीं सरस्वत्यै नम:” का जाप प्रतिदिन 108 बार करने से इस नक्षत्र के अनिष्टकारी प्रभाव से मुक्ति मिलती है.

स्वाति नक्षत्र के जातक को बहुत हल्के वस्त्रों का उपयोग करना चाहिए, सफेद वस्त्रों का उपयोग भी किया जा सकता है. सफेद व हल्के रंग के उपयोग से जातक मान-सम्मान, यश, धन तथा सफलता पाता है. जब सप्तमी तिथि (दोनों पक्षों में से कोई भी हो) में चंद्रमा स्वाति नक्षत्र में गोचर कर रहा हो उस समय माता सरस्वती की उपासना से जातक को विशेष शुभ फल मिलते हैं. इसी तरह से चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से पूर्णिमा तिथि तक माता सररस्वती की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति विशेष लाभ अर्जित करता है.

हर वर्ष बसंत पंचमी को सरस्वती पूजन का विधान है तो माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा पूरे विधान के साथ अवश्य करनी चाहिए. इससे स्वाति नक्षत्र के अनिष्टकारी फल खतम होते हैं और व्यक्ति शुभ परिणाम प्राप्त करता है. इस नक्षत्र के देवता वायु हैं तो उनकी पूजा करके भी इस नक्षत्र के अशुभ प्रभाव दूर किए जा सकते हैं. शिव भगवान अथवा हनुमान जी की पूजा करने से भी इस नक्षत्र के शुभ परिणाम पाए जा सकते हैं.

स्वाति नक्षत्र के शुभ फल प्राप्त करने के लिए तिल, जौ तथा घी मिश्रित सामग्री से होम करते हुए इस नक्षत्र के वैदिक मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए. यदि होम करना संभव नहीं हो तब प्रतिदिन वैदिक मंत्र का 108 बार जाप अवश्य करना चाहिए. ऎसा करने से स्वाति नक्षत्र के अशुभ परिणाम खतम होते हैं. स्वाति नक्षत्र का वैदिक मंत्र है :-

ऊँ वायो ये सहस्त्रिणे रथा सस्ते चिरागहि नियुत्वाम सोम पीतये ऊँ वायवे नम: ।।

 

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