विशाखा नक्षत्र का उपचार

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अगर विशाखा नक्षत्र आपका जन्म नक्षत्र होकर पीड़ित अथवा अशुभ प्रभाव में हैं तब बहुत सी परेशानियों और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है. जीवन की गाड़ी पटरी से उतर सकती है जिससे शारीरिक तथा मानसिक तनाव हो सकता है. विशाखा नक्षत्र के पीड़ित होने पर उसका उपचार अत्यंत आवश्यक हो जाता है. अगर आप अष्ट वसुओं की पूजा, अर्चना, उपासना व आराधना करते हैं तब इस नक्षत्र का पापत्व मिटकर इसकी शुभता में वृद्धि होती है. विष्णु भगवान, शिव भगवान अथवा हरि-हर की पूजा-अर्चना करने से भी व्यक्ति शुभ फल पाता है. हरि-हर अथवा विष्णु भगवान की उपासना को इस नक्षत्र के लिए अचूक तथा राम बाण उपाय माना गया है

यदि कोई व्यक्ति कुंडलिनी जागरण करना जानता है तो उसके प्रभाव से भी विशाखा नक्षत्र के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है. नीले रंग के उपयोग से भी इस नक्षत्र के अशुभ फल कम होते हैं. लाल अथवा सुनहरी पीले रंग के उपयोग से भी शुभ फल मिलते हैं.

मंत्र जाप के द्वारा भी इस नक्षत्र के शुभ तथा कल्याणकारी फल प्राप्त किए जा सकते हैं. जैसे – “ऊँ यम्” अथवा “ऊँ राम” मंत्र की एक माला अर्थात 108 बार जाप करना चाहिए. इन दोनों में से किसी एक मंत्र का जाप किया जा सकता है. इन मंत्रों का जाप विशाखा नक्षत्र में चंद्रमा के गोचर के समय करना चाहिए. यदि प्रतिदिन जाप आरंभ करना है तब चंद्रमा जब विशाखा नक्षत्र में हो उस दिन से प्रारंभ करना चाहिए. इन मंत्रों के जाप से अनिष्टकारी फल मिटने आरंभ हो जाते हैं.

इस नक्षत्र के अशुभ प्रभाव को खतम करने के लिए भगवान इन्द्राग्नि की मूर्ति की प्रतिदिन पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. मूर्ति सोने की होनी चाहिए अथवा अपनी सामर्थ्यानुसार पीतल की भी बनाई जा सकती है. अगर बृहस्पतिवार के दिन विशाखा नक्षत्र पड़ रहा है तब उस दिन लाल व पीले रंग के वस्त्रों का दान किसी सुपात्र को करना चाहिए. अगर किसी की सामर्थ्य हो तो वह काली भैंस का दान भी इस दिन कर सकता है.

विशाखा नक्षत्र की शुभता में वृद्धि के लिए इस नक्षत्र के वैदिक मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए, मंत्र है :-

ऊँ इन्द्राग्नी आगत गूं सुतं गीभिर्नमोवरेण्यम् ।

अस्य पातं धिये षिता ऊँ इन्द्राग्निभ्यां नम: ।।

 

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https://chanderprabha.com/2019/06/15/remedies-for-anuradha-nakshatra/