यदि किसी जातक का भरणी जन्म नक्षत्र है और उसे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तब ऎसे में व्यक्ति को महाकाली अथवा यमराज की उपासना करनी चाहिए. ऎसा करने पर जातक अपनी खोई ऊर्जा पुन: प्राप्त करके नए जोश के साथ जीवन में आगे बढ़ता है. कुछ विद्वानों के मतानुसार भरणी जन्म नक्षत्र होने पर व्यक्ति को “ऊँ हीं” मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए जिससे हर प्रकार की बाधा व परेशानी स्वत: ही दूर हो जाती है. इस नक्षत्र के जातकों के लिए लाल, सफेद तथा काले रंग के कपड़े अथवा गाढ़े रंग के कपड़े भी शुभ फल देने वाले होते हैं.
भरणी नक्षत्र के स्वामी यमराज हैं तो जिस दिन भरणी नक्षत्र हो उस दिन यमराज के नाम से दान करना चाहिए. दान में खिचड़ी का दान, चीनी या शक्कर, शुद्ध घी और बरतन देना चाहिए. जिस दिन भरणी नक्षत्र पड़ता हो उस दिन भगवान शिव की आराधना धूप, दीप, पुष्प, घी, गुग्गल, गुड़ आदि से करनी चाहिए. ऎसा करने से भरणी नक्षत्र के अशुभ प्रभाव में कमी आती है.
भरणी नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप करके भी इस नक्षत्र के शुभ फलों में वृद्धि की जा सकती है जो इस प्रकार से है :-
ऊँ यमायत्वान्गिरस्वते पितृमते स्वाहा, स्वाहा धर्माय धर्म: पित्रे स्वाहा ऊँ यमाय नम: ।।
कृत्तिका नक्षत्र के उपचार अथवा उपायों के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें :-
https://chanderprabha.com/2019/06/07/remedies-for-krittika-nakshatra/