नक्षत्रों के चन्द्र मास तथा उनकी तिथियाँ

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हर नक्षत्र का अपना एक चन्द्र मास होता है तथा हर नक्षत्र का संबंध तिथियों से भी होता है. नक्षत्रों के चन्द्र मासों में एक बात का विशेष ध्यान यह रखना चाहिए कि नक्षत्र तो 27 हैं लेकिन मास केवल 12 ही होते हैं तब ऎसे में एक नक्षत्र को 2 सप्ताह से भी कम का समय मिलता है. नक्षत्रों के चन्द्रमास तथा उनसे संबंधित तिथियाँ निम्नलिखित हैं :-

 

अश्विनी नक्षत्र/Ashvini Nakshatra

अश्विनी मास अथवा आश्विन माह का पूर्वार्ध (पहले का भाग) इस नक्षत्र का महीना माना जाता है. यह माह सितंबर अथवा अक्तूबर में पड़ता है. जब पितृपक्ष का आरंभ होता है और उस पितृपक्ष में पितरों के निमित्त श्राद्ध किया जाता है तब वही माह अश्विनी नक्षत्र का होता है.

अश्विनी नक्षत्र का संबंध शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से है क्योंकि शुक्ल प्रतिपदा से चन्द्रमा नया आरंभ करता है और अश्विनी नक्षत्र आरंभ दर्शाता है.

 

भरणी नक्षत्र/Bharani Nakshatra

अश्विनी अथवा आश्विन मास का उत्तरार्ध भरणी नक्षत्र का माह माना जाता है. अधिकाँशत: यह अक्तूबर महीने में पड़ता है. प्राचीन विद्वानों ने इस नक्षत्र की तिथि दोनों पक्षों की चतुर्थी को माना है.

 

कृत्तिका नक्षत्र/Krittika Nakshatra

कार्तिक माह के पूर्वार्ध को कृत्तिका नक्षत्र का मास माना जाता है. दोनों पक्षों की (शुक्ल व कृष्ण पक्ष) षष्टी तिथि को कृत्तिका नक्षत्र की तिथि माना जाता है.

 

रोहिणी नक्षत्र/Rohini Nakshatra

कार्तिक महीने का उत्तरार्ध (बाद वाला भाग) रोहिणी नक्षत्र का माह माह माना गया है. यह माह अकसर नवंबर माह में पड़ता है. शुक्ल व कृष्ण दोनों पक्षों की द्वित्तीया तिथि को रोहिणी नक्षत्र की तिथि माना गया है.

 

मृगशिरा नक्षत्र/Mrigshira Nakshatra

मृगशिरा नक्षत्र के माह को मार्गशीर्ष कहा जाता है, कहीं अगहण अथवा अग्रहायण भी कहा जाता है. मार्गशीर्ष महीने का पहला भाग अथवा पूर्वार्ध मृगशिरा नक्षत्र का मास है. दोनों पक्षों की पंचमी तिथि को इस नक्षत्र की तिथि माना गया है. प्रचीनकाल में हिन्दु नववर्ष का आरंभ अगहन के मास से होता था.

 

आर्द्रा नक्षत्र/Ardra Nakshatra

मार्गशीर्ष माह का उत्तरार्ध जो दिसंबर माह में पड़ता है, को आर्द्रा नक्षत्र का मास माना जाता है और दोनों पक्षों की एकादशी तिथि को इस नक्षत्र की तिथि माना गया है जो आर्द्रा नक्षत्र की आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि के लिए उपयोगी है.

 

पुनर्वसु नक्षत्र/Punarvasu Nakshatra

पौष माह का पूर्वार्ध अथवा पहला भाग पुनर्वसु नक्षत्र का मास है. अकसर यह दिसंबर के अंतिम भाग में पड़ता है. दोनों पक्षों की अष्टमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र की तिथि माना गया है.

 

पुष्य नक्षत्र/Pushya Nakshatra

पौष मास के उत्तरार्ध को पुष्य नक्षत्र का चन्द्र मास माना गया है और दोनों पक्षों की दशमी तिथि को इस नक्षत्र की तिथियाँ माना जाता है.

 

आश्लेषा नक्षत्र/Aashlesha Nakshatra

माघ महीने के पूर्वार्ध को आश्लेषा नक्षत्र का महीना माना जाता है, यह जनवरी माह में आता है. शुक्ल व कृष्ण नवमी को आश्लेषा नक्षत्र की तिथि माना जाता है.

 

मघा नक्षत्र/Magha Nakshatra

माघ महीने के उत्तरार्ध को मघा नक्षत्र का चन्द्र मास माना गया है. यह अकसर फरवरी में पड़ता है. इस माह को अत्यधिक पवित्र माना जाता है और माघ स्नान का माहात्म्य भी सभी स्थानों में माना जाता है. भारत के कई भागों में माघ माह में पितृ पूजन किया जाता है.

अमावस्या तिथि अथवा कृष्ण पक्ष की समाप्ति को मघा नक्षत्र की तिथि माना जाता है. अमावस्या तिथि को पितृ विसर्जन के लिए शुभ माना जाता है और इस दिन आज भी श्राद्ध कर्म करने की परंपरा चली आ रही है.

 

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र/Purvaphalguni Nakshatra 

फाल्गुन माह के पूर्वार्ध को पूर्वाफाल्गुनी माह का मास माना गया है. यह फरवरी महीने के अंतिम भाग में पड़ता है. शुक्ल व कृष्ण त्रयोदशी को इस नक्षत्र की तिथि माना गया है.

 

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र/Uttaraphalguni Nakshatra

फाल्गुन महीने के उत्तरार्ध को जो प्राय: मार्च माह में आता है, को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का महीना माना जाता है. कृष्ण तथा शुक्ल द्वादशी को इस नक्षत्र की तिथि माना जाता है.

 

हस्त नक्षत्र/Hasta Nakshatra

चैत्र माह के पहले नौ दिनों का संबंध हस्त नक्षत्र से माना जाता है यह मार्च महीने के उत्तरार्ध में पड़ता है (कभी-कभी अप्रैल महीने आरंभ में भी पड़ जाता है). कृष्ण तथा शुक्ल द्वादशी अथवा प्रदोष तिथि को हस्त नक्षत्र से संबंधित माना गया है.

 

चित्रा नक्षत्र/Chitra Nakshatra

चैत्र महीने के मध्य के नौ दिनों को चित्रा नक्षत्र का चान्द्र मास माना जाता है. यह अप्रैल माह में पड़ते हैं. कृष्ण तथा शुक्ल पक्ष की द्वितीय़ा तिथि को इस नक्षत्र की तिथि माना जाता है.

 

स्वाति नक्षत्र/Swati Nakshatra

चैत्र का महीना अप्रैल माह में पड़ता है और चैत्र माह के अंतिम नौ दिनों को स्वाति नक्षत्र से जोड़ा गया है. यह नौ दिन कभी-कभार मई माह के आरंभ में भी पड़ जाते हैं. दोनों पक्षों की सप्तमी तिथि को इस नक्षत्र की तिथि माना जाता है.

 

विशाखा नक्षत्र/Vishakha Nakshatra

वैशाख माह के पूर्वार्ध को विशाखा नक्षत्र का चान्द्र मास माना गया है. दोनों पक्षों की षष्टी तथा सप्तमी तिथि को इस नक्षत्र से जोड़ा गया है. एक विशेष बात यह है कि वैशाख माह की पूर्णिमा को चंद्रमा विशाखा नक्षत्र में ही होता है..

 

अनुराधा नक्षत्र/Anuradha Nakshatra

वैशाख माह के उत्तरार्ध को अनुराधा नक्षत्र का मास माना जाता है. इस नक्षत्र की तिथि कृष्ण व शुक्ल पक्ष की द्वादशी को माना गया है.

 

ज्येष्ठा नक्षत्र/Jyeshtha Nakshatra

ज्येष्ठ माह के पूर्वार्ध अर्थात पहले भाग को इस नक्षत्र का चान्द्र मास माना गया है. यह माह अकसर मई के अंत में या जून के आरंभ में पड़ता है. कृष्ण व शुक्ल पक्ष की सप्तमी तथा चतुर्दशी तिथि को इस नक्षत्र की तिथियाँ माना गया है.

 

मूल नक्षत्र/Mool Nakshatra

जून माह में ज्येष्ठ मास का उत्तरार्ध पड़ता है जो मूल नक्षत्र का चन्द्र मास माना गया है. दोनों पक्षों की प्रथमा तथा चतुर्थी तिथि को इस नक्षत्र की तिथि माना गया है. इस नक्षत्र की पूजा के लिए यह मास तथा तिथि अत्यधिक श्रेष्ठ फल प्रदान करने वाला माना गया है.

 

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र/Purvashadha Nakshatra

आषाढ़ मास के पूर्वार्ध को इस नक्षत्र का मास माना गया है, यह जून माह में पड़ता है. दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को इस नक्षत्र की तिथि माना गया है.

 

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र/Uttarashadha Nakshatra

आषाढ़ महीने के उत्तरार्ध को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का चान्द्र मास माना गया है. अकसर यह जुलाई महीने में पड़ता है. पूर्णिमा को इस नक्षत्र की तिथि माना गया है.

 

अभिजित नक्षत्र/Abhijit Nakshatra

अभिजित नक्षत्र का चान्द्र मास आषाढ़ माह की शुक्ल दशमी से पूर्णिमा तक माना जाता है. पूर्णिमा को अभिजित नक्षत्र की तिथि माना गया है. उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का मास तथा तिथि भी यही मानी गई हैं.

 

श्रवण नक्षत्र/Shravan Nakshatra

श्रवण या श्रावण या सावन मास के पहले नौ दिनों का संबंध श्रवण नक्षत्र से है. यह जुलाई महीने के अंत में या अगस्त माह में पड़ता है. कृष्ण व शुक्ल तृतीया तिथि को श्रवण नक्षत्र से जोड़ा जाता है.

 

धनिष्ठा नक्षत्र/Dhanishtha Nakshatra

श्रावण मास के मध्य के नौ दिनों को जो कृष्ण दशमी से श्रावण शुक्ल तृतीया (हरियाली तीज तक) तक पड़ते हैं, को इस नक्षत्र का चान्द्र मास माना जाता है. सभी महीनों की कृष्ण व शुक्ल अष्टमी को धनिष्ठा नक्षत्र की तिथि माना गया है.

 

शतभिषा नक्षत्र/Shatbhisha Nakshatra

श्रावण माह के अंतिम नौ दिनों को शतभिषा नक्षत्र से जोड़ा गया है. यह समयावधि बहुधा अगस्त माह में आती है. चतुर्दशी तिथि जिसे रिक्ता तिथि भी कहा जाता है, का संबंध शतभिषा नक्षत्र से है. दोनों पक्षों की चतुर्दशी तिथि को इस नक्षत्र की तिथि माना गया है.

 

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र/Purvabhadrapad Nakshatra

भाद्रपद माह जो अकसर सितंबर में पड़ता है, की कृष्ण पक्ष की प्रथमा से नवमी तक की तिथि के नौ दिनों को पूर्वा भाद्रपद माह के चान्द्र मास से जोड़ा जाता है. दोनों पक्षों की चतुर्दशी तिथि को इस नक्षत्र की तिथि माना गया है.

 

उत्तराभाद्रपद नक्षत्र/Uttarabhadrapad Nakshatra

भाद्रपद महीने की कृष्ण दशमी से शुक्ल चतुर्थी तक के भाग को उत्तराभाद्रपद नक्षत्र का मास माना जाता है. यह सितंबर माह में पड़ता है. दोनों पक्षों की नवमी को इस नक्षत्र की तिथि माना गया है.

 

रेवती नक्षत्र/Revati Nakshatra

भाद्रपद महीने के अंतिम नौ दिन जो सितंबर माह में ही पड़ते हैं, को रेवती नक्षत्र से जोड़ा जाता है. हर माह की पूर्णिमा तिथि को रेवती नक्षत्र की तिथि माना गया है.