शनि पर्वत अथवा शनि क्षेत्र

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इस पर्वत का आधार मध्यमा अंगुली (Middle Finger) के मूल में होता है अर्थात मध्यमा अंगुली का आरंभ हथेली के जिस स्थान से होता है उस स्थान को शनि क्षेत्र अथवा शनि पर्वत कहा जाता है। हथेली में इस पर्वत के विकास को असाधारण प्रवृत्तियों का सूचक माना जाता है। अगर किसी व्यक्ति के हाथ में इस पर्वत का अभाव रहता है तो ऎसे व्यक्ति को जीवन में कोई खास सम्मान अथवा कोई विशेष सफलता नहीं मिल पाती है। कई स्थानों पर मध्यमा अंगुली को “भाग्य की देवी” भी गया है क्योंकि अधिकाँश हाथों में भाग्य रेखा की समाप्ति इसी शनि क्षेत्र अथवा शनि पर्वत पर होती है।

यदि शनि ग्रह पूर्ण रूप से विकसित होता है तो व्यक्ति प्रबल रूप से भाग्यवान होता है और जीवन में अपने प्रयत्नों से बहुत ऊँचा उठता है। विकसित पर्वत होने पर ऎसा व्यक्ति एकान्तप्रिय तथा निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने वाला होता है। व्यक्ति अपने कार्यों अथवा लक्ष्यों में इतना डूब जाता है कि वह घर-गृहस्थी की चिंता ही नहीं करता है। स्वभाव से ऎसे व्यक्ति चिड़चिड़े तथा संदेहशील प्रवृत्ति के होते हैं। ज्यों-ज्यों उम्र बढ़ती जाती है वैसे-वैसे ही ऎसे व्यक्ति रहस्यमयी बनते जाते हैं। शनि पर्वत प्रधान व्यक्ति जादूगर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, साहित्यकार अथवा रसायनशास्त्री बनते हैं।

ऎसे व्यक्ति अपने जीवन में पूर्ण रुप से मितव्ययी होते हैं और अचल संपत्ति में ज्यादा विश्वास रखते हैं। संगीत, नृत्य आदि कार्यों में इनका रुझान कम रहता है। संदेहशीलता इनके जीवन में बचपन से ही रहती है और बड़े होकर ये अपनी पत्नी तथा संतान पर भी संदेह करते हैं। अगर किसी हाथ में ये शनि पर्वत अत्यधिक विकसित होता है तो ऎसा व्यक्ति आत्महत्या तक कर सकता है। डाकू, ठग, लुटेरे आदि व्यक्तियों के हाथों में यह पर्वत जरुरत से अधिक विकसित होता देखा गया है। ऎसे व्यक्तियों का पर्वत साधारणत: पीलापन लिए हुए होता है। इनकी हथेलियाँ तथा चमड़ी पीली होती हैं और इनके स्वभाव से चिड़चिड़ापन स्पष्ट दिखाई देता है।

शनि पर्वत का गुरु पर्वत की ओर झुका होना शुभ माना गया है। ऎसे व्यक्तियों को समाज में आदरणीय स्थान पाते हुए देखा गया है तथा इन्हें श्रेष्ठ रुप से देखा जाता सकता है। अगर हथेली में शनि पर्वत का झुकाव सूर्य पर्वत की ओर हो तो ऎसा व्यक्ति आलसी, निर्धन तथा भाग्य के भरोसे जीवित रहने वाला होता है। ऎसे व्यक्तियों में आवश्यकता से अधिक निराशा रहती है और ये हर काम का नकारात्मक पहलू ज्यादा देखते हैं अथवा यूँ कहे कि किसी भी काम का अप्रकाशित भाग ज्यादा देखते हैं। ऎसे लोग बिजनेस में भी ज्यादा लाभ नहीं कमाते और परिवार वालों से भी इन्हें लाभ नहीं मिल पाता है।

अगर किसी व्यक्ति की हथेली में शनि पर्वत पर आवश्यकता से अधिक रेखाएँ हों तो व्यक्ति कायर होने के साथ अत्यधिक भोगी होता है। यदि शनि पर्वत के साथ बुध पर्वत भी विकसित हो तो व्यक्ति एक सफल वैद्य अथवा सफल व्यापारी बनता है और आर्थिक दृष्टि से भी ऎसा व्यक्ति प्रबल होता है, किसी तरह का कोई अभाव नहीं रहता।

अगर किसी व्यक्ति की हथेली में शनि पर्वत का अभाव है तो उस व्यक्ति का जीवन महत्वहीन-सा हो जाता है। यदि यह पर्वत सामान्य रूप से उभरा हुआ हो तो वह व्यक्ति जरुरत से ज्यादा भाग्य पर विश्वास करने वाला तथा अपने कार्यों में असफलता प्राप्त करने वाला होता है। ऎसे लोगों के जीवन में मित्रों की संख्या भी बहुत कम होती है। ऎसे लोग स्वभाव से हठी होते हैं और धर्म में बिलकुल भी आस्था नहीं रखते।

यदि किसी हाथ में मध्यमा अंगुली का सिरा नुकीला हो तथा शनि पर्वत विकसित हो तो व्यक्ति कल्पना-प्रिय होता है अर्थात व्यक्ति को कल्पनाओं में रहना अच्छा लगता है लेकिन अंगुली का सिरा वर्गाकार है तब ऎसा व्यक्ति कृषि अथवा रसायन क्षेत्र में विशेष उन्नति करता है।