मस्तिष्क रेखा में परिवर्तन

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मस्तिष्क रेखा प्राय: अपने मार्ग में अनेकों प्रकार के परिवर्तन करती है और उसमें से रेखाएँ निकलकर ऊपर या नीचे की ओर जाती हैं. इन परिवर्तनों से भी मस्तिष्क रेखा के प्रभाव के संबंध में महत्वपूर्ण सूचना प्राप्त होती है. उदाहरण के लिए यदि एक नीचे की ओर मुड़ती रेखा अपने मार्ग में किसी स्थान पर कुछ ऊपर की ओर उठ जाती है है तो इसका अर्थ है कि जातक के जीवन की उस अवस्था में उसके मस्तिष्क पर किसी प्रकार असाधारण दबाव पड़ेगा. यदि ऊपर उठता हुआ रेखा का यह भाग स्पष्ट और गहरा हो जाए और उस पर किसी प्रकार के धब्बे ना हों तो यह समझना चाहिए कि जातक व्यवहारिक स्वभाव का ना होने पर भी अपने को संतुलित बनाकर दृढ़ता से परिस्थिति का सामना करेगा.

यदि उपरोक्त कथन की बजाय रेखा कुछ ऊपर को उठे, उसमें से एक रेखा निकलकर ऊपर की ओर जाए तो जातक के जीवन में ऎसा प्रभाव पड़ेगा जिसका अनुभव उसे जीवन भर होता रहेगा. ऎसा भी होता है कि इस प्रकार यह रेखा बढ़कर दूसरी मस्तिष्क रेखा बन जाती है. इससे यह प्रकट होता है कि जातक के जीवन में व्यवहारिकता ने अमिट स्थान बना लिया है.

यदि करतल में सीधी मस्तिष्क रेखा किसी स्थान में नीचे की ओर मुड़ जाए और उसमें से कोई रेखा नीचे की ओर जाए तो उसका स्वाभाविक अर्थ यह होगा कि अपने जीवन की उस अवस्था में जातक कम व्यवहारिक स्वभाव का हो गया और उसमें कल्पनाशीलता का प्रादुर्भाव होगा. “कीरो” के अनुसार ऎसे योग में प्राय: देखा गया है कि आयु के इस भाग में जातक पहले से अधिक धनवान हो गया और उसमें कलात्मक रूचियाँ जागृत हो उठी. इस बात को और भी निश्चित रुप से कहा जा सकेगा यदि उसी आयु के भाग में सूर्य रेखा भी स्पष्ट रुप से अंकित दिखाई दे या सहसा प्रगट हो जाए.

यदि मस्तिष्क रेखा स्वयं ऊपर की ओर मुड़ जाए विशेषकर अपने अन्त पर और बुध क्षेत्र की तरफ तो बिना किसी अपवाद के यह कहा जा सकता है कि जातक जितने अधिक दिन जीवित रहता है उतना ही धन अर्जित करने की और उसको अधिकार में रखने की आकाँक्षा बढ़ती जाती है.  

यदि मस्तिष्क रेखा अपने स्वाभाविक स्थान को छोड़ दे(इसे आप बाएँ हाथ में देख सकते हैं) और इस तरह से उठ जाए जैसे वह हृदय रेखा हो तो जातक में किसी विशेष आकाँक्षा को पूर्ण करने की पूर्ण दृढ़ता आ जाएगी. वह निश्चित रुप से अपनी स्नेह भावनाओं पर इच्छा शक्ति से ये नियंत्रण करता है और अपने लक्ष्य की पूर्त्ति के लिए कोई बात उठाता नहीं है. यदि यह चिन्ह किसी दृढ़ चौकोर हाथ में हो तो यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि व्यक्ति धन जैसी किसी भौतिक वस्तु को प्राप्त करने का निश्चय कर चुका है और उसको पाने के लिए वह अपराध तक करने में संकोच नहीं करेगा.

यदि यह चिन्ह लम्बे आकार के हाथ में हो तो आकाँक्षा अपने आप में बौद्धिक बड़प्पन स्थापित करने की होगी. इस प्रकार की रेखा को उस स्पष्ट रेखा से भिन्न समझना चाहिए जो करतल में सीधी एक ओर से दूसरी ओर जाती है. इस प्रकार की मस्तिष्क रेखा अपने स्थान पर ही होती है. इसके प्रभाव से जातक एक अत्यन्त गहन प्रकृति प्राप्त करता है जो अच्छाई या बुराई दोनों के लिए हो सकती है. ऎसे व्यक्ति में अपने कार्य या लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित करने की विलक्षण शक्ति होती है.

यदि वह अपनी मानसिक शक्ति किसी कार्य पर केन्द्रित करे तो उसका हृदय भी उसका साथ देगा. परन्तु यदि उसने अपना स्नेह या प्रेम भावनाएँ किसी व्यक्ति पर केन्द्रित कर दी हो तो मानसिक शक्ति भी उन भावनाओं का साथ देगी. कहने का भाव यह है कि इस परिस्थिति में हृदय और मस्तिष्क दोनों परस्पर मिलकर काम करते हैं. इसमें भावुकता और मानसिक शक्ति का मिलान होता है.

यद्यपि इस प्रकार की रेखा से जातक में कार्य पूर्ण करने की अत्यधिक क्षमता आ जाती है परन्तु “कीरो” करतल में इस प्रकार की रेखा को सुखद चिन्ह नहीं मानता. इस प्रकार का व्यक्ति अपनी विलक्षण प्रकृति के कारण समाज से अलग-सा हो जाता है, उसका कोई साथी नहीं होता और वह अपने आपको एकाकी पाता है. वह आवश्यकता से कहीं अधिक भावुक होता है और उसकी भावनाओं को बहुत सरलता से चोट पहुँच जाती है. ऎसा व्यक्ति अपने क्षेत्र में अकेला ही रहकर सफलता प्राप्त करता है. यदि वह किसी के साथ साझेदारी में काम करे तो अपने व्यक्तित्व को दबाया हुआ समझता है. उसकी इस प्रकार की भावना के कारण और इस धारणा से कि वह अपने स्वयं के विचारों को स्वतंत्रता से कार्यान्वित नहीं कर सकता है, इसलिए साझेदारी असफल प्रमाणित हो जाती है.

इस रेखा पर विचार करते समय पाठकगण इस बात पर ध्यान दें कि यह रेखा उसी स्थान पर हैं जहाँ मस्तिष्क रेखा होती है या अंगुलियों के निकट है जहाँ पर हृदय रेखा स्थित होती है. यदि स्थिति पहले जैसी हो तो मस्तिष्क का प्रभाव ज्यादा होगा, हृदय का कम. यदि स्थिति हृदय के समान है, मानसिक शक्ति के मुकाबले में हार्दिक भावनाओं का प्रभाव अधिक होगा.