किसी भी जातक की कुंडली में हर ग्रह की अपनी भूमिका होती है, कोई अच्छे तो कोई बुरे फल देने वाला होता है. अच्छे भावों के स्वामी यदि पीड़ित हैं तो उन्हें बली बनाने के लिए उन ग्रहों से संबंधित रत्न धारण करने की सलाह दे दी जाती है लेकिन जब बुरे भाव अथवा बुरे भाव में स्थित ग्रह की दशा आती है तब उनका रत्न बिलकुल भी धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि वह और अधिक बली हो जाते हैं. ऎसे में संबंधित ग्रह का यंत्र धारण किया जाना चाहिए.
यंत्र नौ खानों की आकृति है जिसके सभी नौ खानों में हर ग्रह के लिए कुछ अंक निर्धारित किए गए हैं. सभी नौ ग्रहों के बने बनाए यंत्र बाजार में भी उपलब्ध हैं. इन यंत्रों को लॉकेट के रुप में गले में धारण किया जा सकता है. जैसे गुरु, सूर्य अथवा बुध का यंत्र सोने में बनवाकर लॉकेट के रुप में धारण किया जा सकता है. चंद्रमा का यंत्र चाँदी में धारण किया जा सकता है. राहु, केतु अथवा मंगल का यंत्र ताँबे में धारण किया जा सकता है. शनि यंत्र को भी स्टील में धारण किया जा सकता है.
यदि कोई व्यक्ति गले में लॉकेट के रुप में यंत्र नहीं पहनना चाहता है तब वह बाजार से बना बनाया यंत्र लाकर घर में सुबह शाम उसकी पूजा कर सकता है. यदि कोई व्यक्ति यंत्र लॉकेट के रुप में पहनना चाहता है लेकिन लॉकेट खरीदने की सामर्थ्य नहीं है तब वह एक सादा कागज ले और नीचे दिए तरीके से मनचाहे ग्रह का यंत्र बना ले और फिर उसकी पुड़िया बनाकर ताबीज के रुप में दाएँ बाजू में पहन ले.
यदि आप बुध का यंत्र कागज पर बनाकर पहन रहे हैं तो कागज की पुड़िया बना उसे हरे वस्त्र में सिलकर दाएँ बाजू में बाँध ले. इस तरह से सूर्य के लिए नारंगी वस्त्र ले, चंद्रमा के लिए श्वेत, मंगल के लिए लाल, गुरु के लिए पीला, शुक्र के लिए सफेद, राहु के लिए काला या नीला, केतु के लिए धूम्र वर्ण तथा शनि के लिए काला अथवा नीला वस्त्र ले सकते हैं.
सूर्य का यंत्र रविवार को, चंद्रमा का सोमवार, मंगल का मंगलवार, बुध का बुधवार, गुरु का बृहस्पतिवार, शुक्र का शुक्रवार को, शनि का शनिवार, राहु का शनिवार तथा केतु का मंगलवार के दिन ग्रहण करे. यदि आप बाजार से बना बनाया यंत्र लाते हैं तब उनकी पूजा भी दिए वार से ही आरंभ करें.
यंत्रों को धारण करने के साथ इनके नीचे दिए मंत्रों का जाप भी 108 बार प्रतिदिन करना चाहिए. लगातार यंत्र की पूजा तथा मंत्र जाप से शुभ फलों में अवश्य ही वृद्धि होगी.
सूर्य ग्रह यंत्र – 15
6 | 1 | 8 |
7 | 5 | 3 |
2 | 9 | 4 |
सूर्य ग्रह मंत्र
जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम
तमोSअरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोSस्मि दिवाकरम
चन्द्र ग्रह यंत्र – 18
7 | 2 | 9 |
8 | 6 | 4 |
3 | 10 | 5 |
चन्द्र ग्रह मंत्र
दधिशड़्खतुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम्
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुटभूषणम्
मंगल ग्रह यंत्र – 21
8 | 3 | 10 |
9 | 7 | 5 |
4 | 11 | 6 |
मंगल ग्रह मंत्र
धरणी गर्भ संभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्
कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम्
बुध ग्रह यंत्र – 24
9 | 4 | 11 |
10 | 8 | 6 |
5 | 12 | 7 |
बुध ग्रह मंत्र
प्रियड़्गुकलिकाश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम्
सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्
गुरु(बृहस्पति) ग्रह यंत्र – 27
10 | 5 | 12 |
11 | 9 | 7 |
6 | 13 | 8 |
गुरु ग्रह मंत्र
देवानां च ऋषिणां च गुरुं कांचनसन्निभम्
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्
शुक्र ग्रह यंत्र – 30
11 | 6 | 13 |
12 | 10 | 18 |
7 | 14 | 9 |
शुक्र ग्रह मंत्र
हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम्
सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्
शनि ग्रह यंत्र – 33
12 | 7 | 14 |
13 | 11 | 9 |
8 | 15 | 10 |
शनि ग्रह मंत्र
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्
छायामार्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम्
राहु ग्रह यंत्र – 36
13 | 8 | 15 |
14 | 12 | 10 |
9 | 16 | 11 |
राहु ग्रह मंत्र
अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम्
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्
केतु ग्रह यंत्र – 39
14 | 9 | 16 |
15 | 13 | 11 |
10 | 17 | 12 |
केतु ग्रह मंत्र
पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रह मस्तकम
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्
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