सूर्य द्वादशनाम स्तोत्र

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आदित्यं प्रथमं नाम द्वितीयं तु दिवाकर:।

तृतीयं भास्कर: प्रोक्तं चतुर्थं तु प्रभाकर:।।1।।

 

पंचमं तु सहस्त्रांशु षष्ठं त्रैलोक्यलोचन:।

सप्तमं हरिदश्वश्य अष्टमं च विभावसु:।।2।।

 

नवमं दिनकर: प्रोक्तों दशमं द्वादशात्मक:।

एकादशं त्रयोमूर्ति द्वादशं सूर्य एव च।।3।।

 

यदि किसी जातक(Native) की जन्म कुण्डली में सूर्य की महादशा चली हुई है अथवा सूर्य की अन्तर्दशा चली हुई है तब उसे “सूर्य द्वादश नाम स्तोत्र” का प्रतिदिन जाप करना चाहिए और स्तोत्र के जाप के बाद प्रतिदिन सूर्य भगवान की पूजा भी करनी चाहिए. ऎसा करने पर सूर्य की महादशा/अन्तर्दशा में हर प्रकार की समस्या का निवारण हो जाएगा.