ये भजनों की पुस्तक मेरी माताजी द्वारा लिखी गई हैं जिसका नाम “भजनावली संग्रह 108” रखा गया है. इसके सभी भजनों को मैं अपने ब्लॉग पर भी पोस्ट करना चाहती हूँ, जो सभी पाठकों को समर्पित रहेगें.
जीवन है एक जुआ, जीत गए तो भव को उतर गए नहीं तो अपने जीवन का प्राणी कर ले पल्ला पूरा। हम अपने अतीत को कभी भी झांककर नहीं देखते। जाने – अनजाने पता नहीं कितने अपराध हमसे होते रहते हैं पर हम है कि अपनी धुन में खोये ही रहते हैं ओर पता ही नहीं चल पाता। इसी भागती दौड़ती जिंदगी में से कुछ समय यदि हम “हरि” नाम में लगा लें तो कुछ अंश सुख का हमारी झोली में आ गिरे लेकिन हम है कि इस बिजी और मशीनी जिंदगी से समय निकालना ही नहीं चाहते हैं क्योंकि हम इतने ज्यादा भोगी हो चुके हैं कि भगवान भजन में समय बिताना रास ही नहीं आता है। यदि हम दृढ़ संकल्प कर लें तब सरलता से समय भी निकाला जा सकता है। वर्तमान समय में यदि मोह माया से थोड़ा सा अलग कर के स्वयं का आकंलन किया जाए तब शायद चक्षु खुलने में देर ना लगे।
यह भागदौड़ वाली जिंदगी जब एक दिन अचानक रुक जाती है तब हमें अहसास होता है कि प्रभु को तो पाया ही नहीं! इसलिए देर ना करते हुए यदि समय पर प्रभु भक्ति का थोड़ा भी अहसास होता है तब अपना कुछ समय इसमें लगाना चाहिए। किसी भी मनुष्य के साथ ना माया जाएगी ना ही मोह ही काम आएगा। यदि कुछ काम आएगा तो वह प्रभु की भक्ति ही होगी, बाकी सब तो यही धरा रह जाएगा।
आज और अभी से हमें यह प्रण करना चाहिए कि पाप कर्म का त्याग कर, मोह माया का जाल भूलकर सत्संग में मन लगाएं। प्रभु के साथ एक बार जो प्रीत लग गई तब किसी भी दूसरी चीज में कभी मन नहीं रमेगा।
संतोष देवी
गणेश वंदना
हे! गणपति गणनाथ तुम मेरे अंगना कब आओगे………2
1) तुम बिन कोई काज ना होवे, तुम बिन कोई राज ना होवे
मेरी विनती आन सुनो, तुम मेरे अंगना……….
2) लड्डुओं का तेरा भोग लगाउँ, माथे आके तिलक लगाउँ
हे शंकर के लाला….तुम मेरे अंगना कब आओगे……..
3) तुम विघ्नों को हरने वाले, तुम दुखो को तारने वाले
मेरी बिगड़ी आन हरो, तुम मेरे अंगना कब आओगे………
4) मूषक की तुम करो सवारी, रिद्धि सिद्धि के देने वाले
हे सुख संपत्ति के दाता, तुम मेरे अंगना कब आओगे…….
भजन – 1 श्याम तेरा शुक्रिया
तर्ज – बहुत प्यार करते है तुमको सनम
श्याम तेरा शुक्रिया है………..2
मेरे अंगना में आए – 2 मेरे श्यामा
1) दुनिया ने मुझको कभी नहीं जाना, आपने मुझको है पहचाना
मेरे श्याम मुझ पर – 2 अहसां तुम्हारा,
मेरे अंगना में…………
2) तेरे दर पर आके श्याम शीश मैं नवाउँ, शीश को नवाउँ श्याम झोली मैं फैलाउँ
दो फूल श्रद्धा के – 2 डालो मेरे श्याम
मेरे अंगना में…………
3) तन-मन की मिट्टी से आसन बनाउँ, हृदय की कलियों से उसको सजाउँ
अपनी चरण धूली से – 2 मेरी कुटिया रंग दो
मेरे अंगना में……..
4) आपने आके प्रभु मुझको संभाला, मंझधार में थी नैया दे दिया सहारा
मेरे श्याम तुम पर – 2 बली-बली जाउँ
मेरे अंगना में……..
भजन – 2 राधे रानी आई रे
राधे रानी आई रे……महारानी
आगे-आगे ललिता पीछे विशाखा है
बीच में राधे आई रे…….महारानी
1) माथ राधे के टीका सोहे, बिन्दिया पे मन मेरा है
बिन्दिया पे बहार आई रे……..महारानी
आगे-आगे ललिता……….
2) कान राधे के झुमका सोहे, बाली पे मन मेरा है
बाली पे बहार आई रे……महारानी
आगे-आगे ललिता……….
3) गल राधे के हरवा सोहे, माला पे मन मेरा है
माला पे बहार आई रे……….महारानी
आगे-आगे ललिता……….
4) हाथ राधे के चूड़ा सोहे, मेहंदी पे मन मेरा है
मेहंदी पे बहार आई रे………महारानी
आगे-आगे ललिता………..
5) अंग राधे के लहंगा सोहे, चुनरी पे मन मेरा है
चुनरी पे बहार आई रे……..महारानी
आगे-आगे ललिता……….
6) पैर राधे के पायल सोहे, बिछवों पर मन मेरा है
बिछवो पर बहार आई रे…………महारानी
आगे-आगे ललिता……..
भजन – 3 नंद दुलारे आजा
तर्ज – मेरा दिल ये पुकारे आजा
ओ नंद दुलारे आजा, तुम्हे भक्त पुकारे आजा
तुम हो भक्तो के सखा, ज्ञान गीता का सुना
ओ कुंज बिहारी आजा……….
ओ नंद दुलारे आजा……………
1) तेरे दर्श बिना हम दुखी हो रहे, हो रहे
झूठ, पाप में हम लीन हो रहे, हो रहे
ऎसी भक्तों की पुकार सुननी होगी बार-बार
ओ श्यामा तू दर्श दिखा जा
ओ नंद दुलारे आजा……………
2) गउओ की बुरी दशा हो रही, हो रही
तेरी याद में श्यामा रो रही, रो रही
ऎसी बंसी तु बजा, इन्हें दुष्टो से बचा
इनका तु कष्ट मिटा जा
ओ नंद दुलारे आजा………..
3) द्रुपद सुता की लाज बचा, लाज बचा
जो थी सभा में आन गिराई, आन गिराई
उसका चीर बढ़ा, उसकी लाज बचा
ओ नंद दुलारे आजा……….
भजन – 4 चरणों का आसरा
तर्ज – तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ
तेरे चरणों का आसरा चाहता हूँ
मैं तेरा हूँ, तेरी दया चाहता हूँ, तेरी दया चाहता हूँ
1) तू सबका दाता मैं तेरा भिखारी-2
तू ठाकुर है मेरा, मैं तेरा शिकारी -2
तेरे नाम की-2 आस मुझ को है भारी
मैं तेरा हूँ……..
2) मगर मैं तो हूँ पापहारी-2
शरण में ले ले मुझको बांके बिहारी-2
तेरे चरणों में -2 बैठना चाहता हूँ
मैं तेरा हूँ………..
3) था जो रंग शीशे पर तूने चढ़ाया-2
वो मेरा प्रभु है, जो मुझ में समाया-2
मैं उसी प्यार में -2 डूबना चाहता हूँ
मैं तेरा हूँ……….
4) मैं तेरे दर का एक छोटा सा पुजारी -2
दर पे बुला ले मुझे मेरे गिरधारी – 2
मैं तेरे दर पे – 2 रहना चाहता हूँ
मैं तेरा हूँ…………
भजन – 5 ओ संसार बनाने वाले
तर्ज – मेरा जूता है जापानी
ओ संसार बनाने वाले, तेरे जलवे अजब निराले
खूब कमाल किया है तूने सब को अचरज में है डाले
ओ संसार बनाने वाले……….
1) आसमान पर पानी का कहीं मिलता निशां नहीं, मिलता निशान नहीं है.
पल में तेरी माया बदले फिर अनुमान नहीं है, फिर अनुमान नहीं है
आए बादल काले – पीले, उमड़ – घुमड़ कर वो मतवाले
लगा बरसने मूसलाधार, थल पर जल के बह जाए नाले…….
ओ संसार बनाने वाले…………
2) आप बना सागर का पानी, बादल बन कर छाया – 2
लगा पिघलने फिर सागर पर, सीप ने था मुँह बाया – 2
पी के बूँद वो मोती ढ़ाले चमक दमक में बड़े हदवाले
हार बनाते जिनके जोहरी, उसको पहने लक्की लाले
ओ संसार बनाने वाले…………
3) बड़ा जिस्म हाथी को दिया पर दी क्यूँ छोटी आँखे – 2
हिरन बनाया एक छोटा सा जिसकी मोटी आँखे – 2
कोयल काली, कौए काले, किसके बच्चे किसने पाले
कैसा भेद रचाया तुमने, ताकत किस में भेद निराले
ओ संसार बनाने वाले………..
4) बाग लगाए, फूल खिलाए, महक रही फुलवारी
सूरज चांद सितारे खिलाए, ज्योति झलाझल झारी
हरे-भरे जंगल हरियाले, रचे समुंदर पहाड़ विशाले
रची जमीन, बसाई दुनिया तूने काम तमाम संभाले
ओ संसार बनाने वाले………….
5) लख चौरासी जीव रचाए, मानव बड़ा बनाया
कर्मों के अनुसार भाग्य का चक्कर खूब चलाया
कोई राज खजाना पाले कोई भूखा जान गंवा ले
ओ प्रभु मतवाले प्यारे, सारे जग को नाच नचा ले
ओ संसार बनाने वाले………….
भजन – 6 मेरे श्याम सलोने
तर्ज – तेरी प्यारी-2 सूरत को किसी की नजर ना लगे
मेरे श्याम सलोने नटवर को किसी की नजर ना लगे
माता यशोदे………
1) बंसी श्याम बजाते हैं, सब के मन को लुभाते हैं – 2
सुन के बंसी श्याम सलोने की भक्त दीवाने हो जाते हैं
बंसी को बजाना धीरे से भक्तों की नजर ना लगे
माता यशोदे……..
2) होली के दिन आने लगे, श्याम भी खुशियाँ मनाने लगे
भर पिचकारी सखियों पर मारी, सखियाँ रंग उड़ाने लगी
सखी रंग उड़ाना धीरे से, माता को पता ना चले……..
माता यशोदे…………
3) यमुना पर गउए चराते हैं, ग्वालों के मन को लुभाते हैं
देख के भक्त प्रेम तुम्हारा झूम झूमकर गाते हैं
भक्तों को दिखाना लीला प्रभु, गोकुल और ब्रज में चले
माता यशोदे……..
4) गीता पाठ पढ़ाते हैं, अर्जुन को ज्ञान सीखाते हैं
देख के संगत प्रेम तुम्हारा नाच – नाचकर आते हैं
हमको भी नचाना संगत में पापों की घड़ी से बचें
माता यशोदे………..
भजन – 7 श्री मदन मोहन
श्री मदन मोहन गोपाल काट महाजाल गोवर्धनधारी, हम आए शरण तिहारी
1) तु नंद गांव के नटखट हो और नंद बाबा के नटवर हो
आओ मोहन गैय्या लाओ प्यारी, हम आए शरण तिहारी………
2) माथे पर मुकुट बिराजत है, कानों में कुंडल साजत है
मुख में सोहे मुरली प्यारी, हम आए शरण तिहारी………
3) अंग पीतांबर पहनत है, हाथों में हथफ़ूल साजत है
ये गल कुंजन मालाधारी, हम आए शरण तिहारी………
4) भोजन तैयार कराती हूं और छप्पन भोग बनाती हूं
आओ भोग लगाओ गिरवरधारी, हम आए शरण तिहारी……………
भजन – 8 ब्रज की गली
तर्ज – लेके पहला-पहला प्यार
ब्रज की गली-गली में शोर, आयो-आयो माखन चोर
आयो-आयो री आयो री आयो माखन चोर
1) मथुरा से इक चोर है आया, चोर जेल से भाग कर आया
मामाजी से चोरी आया, सांकल कुंडे तोडकर आया
आधी रात मथुरा में काटी, गोकुल में मच गया शोर
ब्रज की गली-2 में शोर……………
2) चोर भी कारो रैन भी कारी, धन्य-धन्य मेरे कृष्ण मुरारी
तेरी लीला अजब कन्हाई, बाबा को चोरी सिखलाई
चोरो के सिर में मोर, ब्रज की गली -2 में शोर…………………
3) वासुदेव ने कदम बढाया, यमुना ने है फ़न फ़ैलाया
पैर को छू के नीचे आई, धन-धन हो गई यमुना माई
जाओ कान्हा जी जाओ यशोदा मां के पास
ब्रज की गली-गली में शोर………………
4) यशोदा मां ने गले से लगाया, बदले में उसके लडकी ले आए
सोए पडे है पहरेदार, जाओ बाबा जाओ देवकी मां के पास
ब्रज की गली-गली में शोर…………………
भजन – 9 कैसा खेल रचाया
कैसा खेल रचाया मेरे दाता, जित देखूं उत तुम ही तुम
कैसी भूल जगत पर डाली, सारी करनी कर रहा तू
1) नर और नारी में एक तू ही, सारे जगत में दरसे तू
बालक बन कर रोने लगा है, माता बन कर पुचकारे तू
कैसा खेल रचाया मेरा दाता…………
2) कीड़ी में छोटो बन बैठा, हाथी में है मोटो तू
होके मगन मस्ती में झूमे, महावत बन के बैठे तू
कैसा खेल रचाया मेरा दाता……………
3) राज घरों में राजा बन बैठा, भिखारियों में मंगता तू
झगड़ा हो तो झगड़न लागे, फ़ौजदारी में थाणेदार तू
कैसा खेल रचाया मेरे दाता………………
4) देवों में देवता बन बैठा पूजा करन में पुजारी तू
चोरी करन में चोरटा है तू, खोज करन में खोजी तू
कैसा खेल रचाया मेरे दाता…………………
5) राम ही करता राम ही भरता, सारा खेल रचाया तू
कहे कबीर सुने भई साधो उलट-पुलट करै पल में तू
कैसा खेल रचाया मेरे दाता……………………
भजन – 10 चरखा
चरखा खूब घुमाया, चरखे का भेद ना पाया
हीरा जन्म गंवाया री, चरखे का भेद ना पाया
कौन देश से आया तेरा चरखा, कौन देख में जाएगा
चरखे का भेद ना पाया……….
अवधपुरी से आया मेरा चरखा, मृत्युलोक में जाएगा
चरखे का भेद ना पाया…..
जब मेरे चरखे ने जन्म लिया है, देखे दुनिया सारी
चरखे का भेद ना पाया……..
जब मेरा चरखा छोटा बालक सौ-सौ लाड़ लड़ाए री
चरखे का भेद ना पाया………..
जब मेरे चरखे पे आई जवानी, चरखा खूब घुमाया री
चरखे का भेद ना पाया………
जब मेरे चरखे पे आया बुढ़ापा, ले कोने में बिठाया री
चरखे का भेद ना पाया………
टूट गई माल उधड़ गई जिंदगी, काया ने बल खाया री
चरखे का भेद ना पाया…………
चार जनों ने उठाया मेरा चरखा, ले जंगल में उतारा री
चरखे का भेद ना पाया……..
चुन – चुन लकड़ी चिता बनाई, चरखा ठोक जलाया री
चरखे का भेद ना पाया………….
तुम क्या सोचो बहना, चरखा गाया, काया का हाल सुनाया
चरखे का भेद ना पाया…….
भजन – 11 किस विधि उतरूँ पार
मैं किस विधि उतरू पार, मेरी भवसागर में नैय्या
प्रभु आप ही तारण हार, मेरी भवसागर में नैय़्या
1) ये मात-पिता और भ्राता, मेरा कोई नहीं है नाता
सब मतलब का संसार, मेरी भवसागर में नैय्या…………
2) मेरी नाव बहुत है पुरानी, भर गया है इसमें पानी
प्रभु आप ही खेवनहार, मेरी भवसागर में नैय्या…………
3) मेरी नाव बही है जाती, मेरा कोई नहीं है साथी
प्रभु आप पार लगाओ, मेरी भवसागर में नैय्या…………
भजन – 12 हरि चोला
बड़े जन्मों के बाद चोला पाया, नी देखी कित्ते दाग ना लगे
1) चोला जो रंगों हरि नाम विच रंग लो, नाम वाला रंग अपने गुरुओं ते मंग लो
चढ़ जूगा रंग सवाया, नी देखी कित्ते दाग ना लगे………..
2) चोला जो पाया ऎनू रखियों संभाल के, कागज जो मांगू ओनू जाइयों ना गाल के
सत गुरुओं ने ऎही फरमाया, नी देखी कित्ते दाग ना लगे…………
3) चोले दी कदर कोई विरला ही जाणदां, जेड़ा कोई जाणदां सदा सुख पांवदा
साड्डे गुरुओं ने ऎही बतलाया, नी देखी कित्ते दाग न लगे……….
भजन – 13 श्याम बड़ा नटखट
तर्ज – कंकरिया मार के जगाया
यमुना के तट पे तू आया, सखियों का मन भरमाया
सांवरे तू बड़ा नटखट, ओ श्यामा रे तू बड़ा नटखट
1) हां हां जान गई मैं, पहचान गई मैं
तू छलिया जमाने भर का मान गई मैं
मेरी मटकी को – 2 फोड़ गिराया
श्यामा रे! तू बड़ा………………..
2) आया तू चोरी – 2 करे तू सीना जोरी
तूने पकड़ी कलईया गोरी-गोरी
मेरे माखन को – 2 तूने लुटाया
श्यामा रे! तू बड़ा नटखट……………
3) तू भाग किधर, जरा तू ठहर इधर
तेरी मैय्या को दूंगी, अभी जाके खबर
तेरे लाला ने – 2 हमको सताया
श्यामा रे! तू बड़ा नटखट………..
4) आया तू सखियों के घर हुआ तू बेखबर
तूने बंसी बजाई बड़ी मधुर-मधुर
तूने संतोष का मन है लुभाया
श्यामा रे! तू बड़ा बेखबर………
भजन – 14 काली कमली वाले
ओ काली कमली वाले रे! मेरा दिल तो दीवाना हो गया – 2
1) बड़े शौक से नहाना मंगाया, हे श्यामा तेरे लिए
हाय नहाते-नहाते चल दिए, जाने क्या गम पैदा हो गया – 2
मेरा तो दिल दीवाना हो गया…………..
2) बड़े शौक से पीना मंगाया, हे मोहन तेरे लिए – 2
हाय पीते-2 चल दिए, जाने क्या रंज पैदा हो गया – 2
मेरा तो दिल दीवाना हो गया………
3) बड़े शौक से खाना मंगाया, हे गिरधर तेरे लिए
हाय खाते-2 चल दिए, जाने क्या याद उनको आ गया – 2
मेरा तो दिल दीवाना हो गया…………
4) बड़े शौक से सेज बिछाई, रे कृष्णा तेरे लिए
रे आते-2 रह गए, जाने क्या सोच कर वो रुक गए
मेरा तो दिल दीवाना हो गया…………
भजन – 15 तेरी दुनिया से दाता
तर्ज – तूने खूब रचा भगवान खिलोना
तेरी दुनिया से मेरे दाता, निराश होकर आया हूँ
कड़की इतनी थी मेरे भगवन मैं देख देख घबराया
कड़की……….
1) मजबूरी का कड़वा घूँट हर रोज ही पीना पड़ता
क्या अजब सी बात थी, मर मर कर भी जीना पड़ता
भू लोक के लोगो को देख प्रभु मैं तो घबराया
कड़की…………
2) झूठ वहां पर हंसता है, सच्चाई वहाँ पर रोती
कहीं अंधेरा कहीं रोशनी कहीं थी किस्मत खोटी
ये कैसा था तेरा इंसाफ प्रभु जी मैं तो शर्माया
कड़की……….
3) इस रंग बदलती दुनिया के रुप है निराले
पैसे से प्यार मिलता लीला तू रचा ले
मैं तो आज आ गया ब्रह्म लोक, रुप अब अपना दिखा
कड़की……….
भजन – 16 शुभ अवसर
तर्ज – आने से उसके आई बहार
शुभ अवसर शुभ मंगलाचार
सभी सुनावे शुभ समाचार
खुशियाँ लाई हैं मेरी दुर्गे मैय्या – 2
1) माथ मैय्या के टीका, बिंदिया भी सजाए हुए है
नथनी पर नजर पड़ी-2 काजल भी लगाए है
मेरी दुर्गे मैय्या…………
2) गल मैय्या के हरवा, पैंडल भी सजाए हुए है – 2
नेकलेस पर नजर पड़ी-2 माला भी सजाए हुए है
मेरी दुर्गे मैया………..
3) हाथ मैया के चूड़ा, गजरे भी सजाए हुए है-2
कंगने पर नजर पड़ी-2 मेहंदी भी रचाए हुए है
मेरी दुर्गे मैया……….
4) अंग मैया के चोला लहंगा भी सजाए हुए है-2
चूनर पर नजर पड़ी-2 घोटा भी सजाए हुए है
मेरी दुर्गे मैया………..
5) संग मैया के संगत, भवन भी सजाए हुए है-2
भक्तों को नजर लगी-2 मैया ने उतारी हुई है
मेरी दुर्गे मैया……………..
भजन – 17 ऊधो
सताओ ना हमें ऊधो, हमें दिल की बीमारी है
हमारा वैद्य दुनिया में तो एक बांके बिहारी है
1) ना ही हम नैन खोलेंगे, ना ही हम मुख से बोलेंगे
उन्हीं की इंतजारी है, उन्ही की बेकरारी है
हमारा वैद्य दुनिया में………..
2) ना ही जालिम ने मारा है, ना ही जालिम ने छोड़ा है
चलाए तीर नैनों से, श्याम ऎसा शिकारी है
हमारा वैद्य………..
3) ना हमने भांग खाई है, ना ही विषपान कीन्हा है
हमारे मन के मंदिर में बसे बांके बिहारी है
हमारा वैद्य……….
4) ना ही हम भोज बनाएंगे, ना ही हम कुछ भी खाएंगे
तुम्हारी याद में मोहन उमर सारी बितानी है
हमारा वैद्य………..
5) मेरे हृदय में आ जाओ, मेरे नैनों में बस जाओ
मेरे मोहन ये मनवा तो तुम्हारा ही पुजारी है
हमारा वैद्य………….
भजन – 18 महलों में रहने वाली
अरी ओ महलों में रहने वाली, आज तेरे कहाँ की तैयारी है
आज तेरी कहा की तैयारी है, आज तेरे कहा की तैयारी है
अरी ओ………..
1) श्री रामचंद्र वर प्रणाए मैं जनक दुलारी हूँ
अवधपुरी में ब्याही आई मैं सीता रानी हूँ
अरी ओ…………
2) माता कैकेयी ने वचन लिए, राजा दशरथ की आज्ञा है
छोटे लक्ष्मण साथ हुए मेरी वनों की तैयारी है
अरी ओ…………
3) महल छोड़े, चौबारे छोड़े, छोड़ा सारा घर बार
छूट गए मेरे सास ससुर भी, छोड़ा अयोध्या का राज
अरी ओ………
4) हार उतारा, सिंगार उतारा, उतारे सोलह सिंगार
भगवा बाणा पहन लिया, मैने फूल लिए अपनाए
अरी ओ………..
5) 13 वर्ष बीत चले, 14वें मिले हनुमान
लंका सारी फूंक गिराई, विभीषण मिलाए श्रीराम
अरी ओ………..
6) कुंभकर्ण मारे, मेघनाद मारे, रावण गए सिधाए
भक्त विभीषण राज दिया तब की सब ने जयकार
अरी ओ…………..
भजन – 19 किशोर गौर सलोना
हम पे चलाय दियो टोना
किशोर गौर सांवला सलोना
1) राम लखन को फूल बगिया में देखा -2
हाथ लिए फूल दोना, किशोर गोर सांवला सलोना…………
2) राम लखन को जनकपुर में देखा – 2
हाथ लिए सोहन सेहरा, किशोर गोर सांवला सलोना…………
3) सीता जब सखियां संग आई -2
धीरे चलो मृग नैना, किशोर गोर सांवला सलोना……..
4) राम जी को देखा घूंघट पट कीन्हा
खुला रहा एक कोना, किशोर गोर सांवला सलोना………….
5) मंद मुस्काय राम सीता ओर देखे
हो गया जो कुछ होना, किशोर गोर सांवला सलोना…………
भजन – 20 ससुराल गलियाँ
सिया धीरे चलो ससुराल गलियाँ
ससुराल गलियाँ सुकुमार गलियाँ
सिया धीरे चलो…………
1) तेरी सास भी आवे तो पे वारी-वारी जावे
तेरे ससुर तो वारे सोने की गिन्नियाँ
सिया धीरे चलो………..
2) देवर लखन जी आए अपनी गोद बैठाए
सगुन दे दे भवजिया अपनी गोद बिठाई
सिया धीरे चलो………..
3) अयोध्या वासी भी आए और मंगल गाए
मैया दे दे बधाई हम तेरे अंगना आए
सिया धीरे चलो………..
4) सीता राम जी की जोड़ी कैसी अजब बनाई
चरत भरत सारे भाई मिल आए
सिया धीरे चलो……….
5) देवी और देवता फूल बरसाए
देख अयोध्या का नजारा देव सब हरषाए
सिया धीरे चलो………….
भजन – 21 श्याम चले आओ
मेरे श्याम चले आओ, तेरी याद सताती है
बिरहा की अग्नि में मेरे दिल को जलाती है
1) आँखों में आई लाली मैं समझी रोग लगा
मैं कमली क्या जानू ये श्याम का नूर आया
मेरे श्याम…………..
2) दिल धधक करने लगा, मेरी सांसों ने नाम जपा
श्याम – श्याम गाने लगा, मोहन सब जान गया
मेरे श्याम……..
3) इकतारा ले बैठूँ और मीरा बन जाऊँ
पर शक्ति नहीं इतनी प्याला जहर का पी जाऊँ
मेरे श्याम……..
4) मुझे समझ मेरे दाता, मैं अबला नार आई
चरणों में जगह दे दो मैं घर बार छोड़ आई
मेरे श्याम……..
भजन – 22 श्यामा चलाओ ना बाण रे
श्यामा चलाओ ना नैनों से बाण रे
श्यामा निकले हैं जान रे……….
1) जब ये बाण मेरे माथे पर लागा
मेरी बिंदिया की बढ़ गई शान रे
श्यामा निकले है जान………..
2) जब ये बाण मेरे मुखड़े पे लागा-2
मेरी नथनी की बढ़ गई शान रे
श्यामानिकले है जान रे…………..
3) जब ये बाण मेरे गले पे लागा -2
मेरी माला की बढ़ गई शान रे
श्यामा निकले है जान रे……..
4) जब ये बाण मेरे हाथों पे लागा – 2
मेरी मेहंदी की बढ़ गई शान रे
मेरी निकले है जान रे………
5) जब ये बाण मेरे अंगे पे लागा – 2
मेरी साड़ी की बढ़ गई शान रे
श्यामा निकले है जान रे…………
6) जब ये बाण मेरे पैरों पे लागा – 2
मेरी पायल की बढ़ गई शान रे
श्यामा निकले है जान रे……….
7) जब ये बाण मेरे दिल पे लागा – 2
मेरी तो बढ़ गई शान रे, दिल में आ गए श्याम रे……
भजन – 23 बंसी वाले का दरबार
तर्ज – मैं तो लाई हूँ दाने अनार के
मैं तो सींचूगी सुबह और श्याम रे
बंसी वाले तेरा दरबार रे………….
1) मैं गंगा जल भर लाई हूँ – 3
बंसी वाले को नहलाने आई हूँ
मैं तो सींचूगी………..
2) घिस-घिस चंदन भरी कटोरी – 3
मुरली वाले को तिलक लगाउंगी
मैं तो…………
3) मैं चुन-चुन कलियाँ लाई हूँ – 3
बंसी वाले को सजाने आई हूँ
मैं तो………
4) पीला पीतांबर, टसर की धोती
बंसी वाले को पहनाने आई हूँ
मैं तो…………
5) छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन
मैं भोग लगाने आई हूँ
मैं तो…………..
भजन – 24 लेकर खड़ी जयमाला
तर्ज – मुरली बाज रही मधुबन में
लेकर खड़ी जयमाला राम को साजन बनाने को
तरसे मेरा मनवा उनकी दुल्हनिया बन जाने को
1) बात थी ये जनकपुर की, कैसी आई शुभ घड़ी
श्री राम गले में सुन मेरे साधो, कैसे आन माला पड़ी
हम सब मिलकर आए यही बात बताने को
तरसे मेरा मन…………
2) ऊँचे सिंहासन पर बैठे थे मेरे श्री राम जहाँ
सीता जी के नहीं पहुंचे थे किसी भी विधि भी हाथ वहाँ
देख नजारा सखियाँ आई श्रीराम जी को मनाने को
तरसे मेरा मन…………
3) तिरछा देखा सीता माँ ने लखन के इशारे को
आँखों ही आँखों में किया इशारा सीता को समझाने को
सीता माता भाँप गई थी लखन के इशारे को
तरसे मेरा मन………..
4) सखियाँ बोली सुनो राम जी थोड़ा सा उपकार करो
थोड़ा झुककर सीता जी की जय माला स्वीकार करो
छोटी पड़ती हमारी सीता तुम तक हाथ जाने को
तरसे मेरा मन……..
5) लखन राम के पास आए थे आशीर्वाद लेने को
लखन बेटा कह कर झुक गए आशीर्वाद देने को
जरा देर ना करी सीता ने गल जयमाला डालन को
तरसे मेरा मन………
भजन – 25 झुके तेरे दर पे सिर
झुके तेरे दर पे ये सिर मांगते हैं
प्रभु तेरी भक्ति का वर मांगते हैं
1) बुरे भाव से ना देखे हम किसी को
इन आँखों में तेरी नजर मांगते हैं
ह्रदय में ना चुभ जाए सुनकर किसी को
जुबां अपनी हर पल मधुर मांगते हैं
प्रभु तेरी भक्ति का………..
2) पुकारे कोई दिन अबला हमें गर
घड़ी पल में पहुंचे, वह वर मांगते हैं
हो बेताब जुल्मों सितम देख कर जो
तड़फता हुआ वो जिगर मांगते हैं
प्रभु तेरी भक्ति का……….
3) ना झोली फैलाए मुसीबत में भी हम
ये हाथों में अपने हुनर मांगते हैं
बने नाथ के, कर अनाथों की सेवा
हम अपनी गुजर में वह जर मांगते हैं
प्रभु तेरी भक्ति का……….
4) ना विचलित कभि हो हम अपने कर्म से
सदा ऎसा जीवन प्रहर मांगते हैं
करे कर्म दुनिया में जो भी प्रभुवर
हो न्याय संगत सुनकर मांगते हैं
प्रभु तेरी भक्ति का…………..
भजन – 26 जोगनिया
हमें तो जोगनिया बनाय गयो री
वो छोरा नंद का, लाला री
1) मोर मुकुट चंदा धरो सिर पे
हमारे सिर जटा धराय गयो री
वो छोरा नंद का………
2) आप तो खाय माखन मिश्री
हमें तो तनख सा चटाय गयो री
वो छोरा नंद का………….
3) आप तो पहने पीतांबरी वस्त्र
हमारे अंग भभूत रमाय गयो री
वो छोरा नंद का………..
4) आप जाय वृंदावन बैठो
हमें तो बरसाने बिठाय दियो रे
वो छोरा नंद का………..
5) आप तो रास रचावै मधुबन में
हमें तो घर पे ही छोड़ गयो री
वो छोरा नंद का……….
भजन – 27 लाला
बड़े दुखों से पाला री कोई गाली मत दीजो
चौथेपन मैने लाला जाया, वो भी रंग का काला री
कोई गाली मत दीजो………..
1) जो काहू की मटकी फोड़े, दो-2 नई मंगवा दूंगी
कोई गाली……….
2) जो काहू का माखन खाय, मैं तोल – 2 मंगवा दूंगी
कोई गाली……….
3) जो काहे के बछड़े खोले, मैं रस्सी से बंधवा दूंगी
कोई गाली………….
4) जो काहू की चुनरी फाड़े, मैं जयपुर से मंगवा दूंगी
कोई गाली……..
5) जो काहू संग रास रचावै, मैं सखियों को बुलवा लूंगी
कोई गाली………
6) चंद्र सखी भज बाल कृष्ण मन, मैं हृदय से लगा लूंगी….
भजन – 28 मोहे अपना बना ले श्याम
मोहे अपना बना ले श्याम
मेरो मन ना लागे सांवरिया
1) चंदा-2 क्या करे सांवरिया – 2
तुझे पूरा मोर मंगवा दूँ, मेरा मन ना…….
2) मुरली-2 क्या करे सांवरिया
तोहे पूरा बांस मंगवा दूँ, मेरा मन ना……..
3) माखन -2 क्या करे सांवरिया
तोहे बंसी नई मंगवा दूंगी, मेरा मन ना…….
4) सखिया -2 क्या करे सुन सांवरिया
तोहे राधा से मिलवाय दूंगी, मेरा मन ना…..
5) दाऊ-2 क्या करे सुन सांवरिया
तोहे ग्वालों से मिलवाय दूंगी, मेरा मन ना……
6) मैया-2 क्या करे सुन सांवरिया
तोहे भक्तों से मिलवाय दूंगी, मेरा मन ना……..
भजन – 29 अर्ज
तर्ज – मुझे प्यार है तुम्ही से
एक अर्ज मेरी सुन लो दिलदार हे कन्हैया
कर दो अधम की नैया भवपार हे कन्हैया
1) अच्छा हूँ या बुरा हूँ पर दास हूँ तुम्हारा
जीवन का मेरे तुम पर अब भार है कन्हैया
तुम हो अधम जनों के उद्धार करने वाले
मैं हूँ अधमजनों का सरदार हे कन्हैया
एक अर्ज………
2) करुणा निधान करुणा करनी पड़ेगी तुमको
वरना ये नाम होगा बेकार हे कन्हैया
ख्वाहिश ये है मुझको दृग बिन्दु रत्न लेकर
बदले में दे दो अपना कुछ प्यार हे कन्हैया
एक अर्ज……..
3) कुछ खास भी नहीं मैं, बस प्यार का हूँ भूखा
हे मेरे प्राण प्यारे मुझको गले लगा ले
अरमान मेरे दिल का बस पूरा आप करना
बुला लो अपने दर पे मुझको भी हे कन्हैया
एक अर्ज…….
भजन – 30 बुलावा
तर्ज – घुट्टी ज्ञान की पिला दे गुरु देव
मुझे ज्ञान दे दे प्रभु, दर्द मेरे तन मन में
1) पहला बुलावा मुझे ब्रह्मा जी का, मैं गई ब्रह्मा के पास
मुझे मिल गया वेदों का ज्ञान, दर्द मेरे तन मन में……..
2) दूसरा बुलावा मुझे विष्णु जी का, मैं गई विष्णु के पास
मुझे मिल गया बैकुण्ठ धाम, दर्द मेरे तन मन में……..
3) तीसरा बुलावा मुझे शंकर जी का, मैं गई शंकर के पास
मुझे मिल गया आत्म ज्ञान, दर्द मेरे तन मन में……….
4) चौथा बुलावा मुझे राम जी का, मैं गई राम जी के पास
मुझे मिल गया भक्ति का ज्ञान, दर्द मेरे तन मन में……….
5) पांचवां बुलावा मुझे श्याम जी का, मैं गई श्यामा के पास
मुझे मिल गया गीता का ज्ञान, दर्द मेरे तन मन का………
6) छठा बुलावा मुझे मेरी मैया का, मैं गई मैया के पास
मुझे मिल गया अटल सुहाग, दर्द मेरे तन मन का……
भजन – 31 आओ श्याम
तर्ज – लट उलझी सुलझा जा रे श्यामा
आओ श्याम दर्श दिखा जाओ, मैं तेरे दर पे खड़ी-2 रे श्याम…
1) आओ श्याम पनघट पे आओ-2
आकर गागर उठवा जा रे श्याम, मैं तेरे दर पे………
2) आओ श्याम यमुना तट पर – 2
कदम की डाली पे झूला झूल जा, मैं तेरे दर पे……..
3) आओ श्याम बंसी वट पे – 2
आके रास रचा जा रे मोहन, मैं तेरे दर पे……..
4) आओ श्याम ग्वालों के संग – 2
माखन खूब लुटा रे मोहन, मैं तेरे दर पे………
5) आओ श्याम मंदिरों में आ जा – 2
हम को दर्श दिखा जा रे मोहन, मैं तेरे दर पे…….
भजन – 32 आए हैं शरण तिहारी
तर्ज – गोकुल में छाई है बहार, आज मेरे श्याम आ गए
हम आए हैं शरण तिहारी, प्रभु हम को दे दे सहारा
1) मथुरा में कान्हा ने जन्म लिया है-जन्म लिया है
वृंदावन में है धूम मची, श्याम ने लिया अवतार
प्रभु हम को……….
2) देव देवकी धन्य हुए हैं, धन्य हुए हैं
कंस हमें अब मारे या छोड़े – 2 हमें खुशियाँ मिली बेशुमा
प्रभु हम को………..
3) नंद बाबा घर खुशियाँ आई – 2
यूथ के यूथ सब मिल जुल आये
सबने सुनाया मंगलाचार
प्रभु हम को……..
4) मथुरा वृंदावन एक हो गया – 2
गाँव शहर में हल्ला हो गया – 2, मेरी मंशा हुई साकार
प्रभु हम को………
5) खुशी की खबर सुन मैं भी आई – 2
नाचूँ गाऊं और बोलूँ बधाई -2, संतोष ने भजन सुनाया
प्रभु हम को……….
भजन – 33 राम दिन रात जपूं
राम दिन रात जपूं मैं, मुझे फिर भी ना मिले भगवान
1) अयोध्या में जन्म लिया श्रीराम – 2
अयोध्या की दाई मैं बनी, मुझे फिर भी ना………
2) गुरुवर के पास गए श्रीराम -2
गुरु की शिष्या मैं बनी, मुझे फिर भी ना……
3) सरयू पर आए श्रीराम – 2
सरयू की लहरे मैं बनी, मुझे फिर भी ना…….
4) जनकपुर में आ गए श्रीराम – 2
जनकपुर में आ गई, मुझे मिल गए श्री भगवान…..
5) अवधपुर में आ गए श्रीराम – 2
अवध रानी बन गई, मेरे मन में बसे श्रीराम
मुझे मिल गए………
राम दिन रात जपा मुझे मिल गए श्री राम
भजन – 34 दामोदर घनश्याम मेरे
दामोदर घनश्याम मेरे सांवरिया नंदलाल
दे दे आशीर्वाद श्यामा, दे दे आशीर्वाद
1) फरारी की सवारी दे दे जिसकी तेज रफ्तार
छोटी सी एक लॉटरी जो हो बेशुमार
बड़ा सा एक बंगला दे दे, स्विमिंग पूल हो साथ
दामोदर…………
2) सुंदर सी एक बहु दे दे जो हो लेक्चरार
सुघड़ सा एक पोता दे दे जो हो बसन्त बहार
घर अंगना मेरा सुंदर लागे, खिला रहे गुलजार
दामोदर…………
3) खाने में भी खास ना चाहिए, सांबर, बड़ा, सलाद
बर्गर पिज्जा साथ में पेप्सी भरा गिलास
बस इतना सा भोजन दे दे भरपूर रहे भण्डार
दामोदर………..
4) दमदम मेरी बिंदिया दमके, गले हीरो का हार
हाथों में हथफूल चमके जो हो वजनदार
छम छम मेरी पायल बाजै -2 चाल चलू मस्तान
दामोदर………..
5) साठ कली का घाघरा चुनरी जरीदार
सजधज कर मैं सतसंग जाऊँ सोलह करुं श्रृंगार
चार सखी मेरे संग में चालै, मेरी हिरणी जैसी चाल
दामोदर…………..
6) हाथ जोड़ विनती प्रभु हंस कर कही ये बात
क्षमा याचना चाहूँ मैं सिर पे रख दे हाथ
बस श्यामा मुझे दर्शन दे दे वही मेरा संसार
दामोदर………..
भजन – 35 भवन मंदिर शिवालय
भवन मंदिर शिवालय तीनों ही बनवा दूँगी
जो मेरे शम्भू मेरे घर आए, चरण पकड़ बिठा लूंगी
औ औ औ चरण गोरा शंकर के
1) चंदा कुण्डल और माला तीनों ही मंगवा दूंगी
जो मेरे शम्भू मेरे घर आए डमरू खूब बजा दूंगी
औ औ औ चरण…….
2) भभूत बघांबर मृग छाला तीनों ही मंगवा दूंगी
जो मेरे भोले मेरे घर आए मैं धूनी खूब रमा लूंगी
औ औ औ चरण……….
3) गोरा गणपति और नन्दी तीनों ही बुला लूंगी
जो मेरे शंकर मेरे घर आए बैल सवारी करा दूंगी
औ औ औ चरण……………
4) भांग आक और धतूरा तीनों ही मंगवा दूंगी
जो मेरे नाथ मेरे घर आए मैं बैठ भोग लगा दूंगी
औ औ औ चरण………
भजन – 36 श्याम सँग होली
तर्ज – राधा रानी हमारी सरकार
आओ – 2 री सखियों बृज धाम
श्याम सँग होली खेलें
1) नंद बाबा का कारो सो छोरो
कारो सा छोरो संगीलो सो छोरो
वापै मारो पिचकारी बेशुमार
श्याम संग…………
2) लाल गुलाबी रंग भरवाया
केसर केशु वामै घुलवाया
बदरा हो गए लालो लाल
श्याम संग…………..
3) सब सखियों मिल होली खेले
बरसानें हुड़दंग मचावै
खेलो खेलो रि आया नंदलाल बृजग्वाल
श्याम संग………….
4) चटक रंगीली साड़ी हमारी
नंद के छलिया ने कर दिनी गिली
सासु देगी गारी हजार
श्याम संग………….
भजन – 37 फोन मिलाओ
जरा फोन मिलाओ, श्याम से बात मुझे करनी है
1) जब री फोन मथुरा में मिलाया, घण्टी बजी देवकी ने उठाया
हैल्लो……..कौन ? कान्हा है! कान्हा गए वृंदावन में
बात मुझे………..
2) जब री फोन वृंदावन में मिलाया, घण्टी बजी यशोदा ने उठाया
हैल्लो……कौन ? कान्हा है ! कान्हा गए गऊ चराने
बात मुझे……….
3) जब री फोन गऊशाला मिलाया, घण्टी बजी ग्वालो ने उठाया
हैल्लो………कौन ? कान्हा है ! कान्हा गए सखियों संग
बात मुझे………….
4) जब फोन सखियों को मिलाया, घण्टी बजी राधा ने उठाया
हैल्लो………कौन ? कान्हा है ! कान्हा बसे मेरे मन में
बात कान्हा से करनी है………….
भजन – 38 भक्तों की हालत
तर्ज – देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान
देख तेरे भक्तों की हालत क्या हो गई भगवान
ये तो बदल गया इंसान…………..
1) तूने इंसा धरती पर भेजा, पुतला ये माटी का ऎसा
कर्म किया नहीं, धर्म किया नहीं, रही ना कोई पहचान
ये तो बदल गया…………….
2) लेखा जब इसका मांगा, हुआ ये कंगला रहा ना दाना
बुरी संगत में पड़ा है ऎसा, पल में हुआ कंगाल
ये तो बदल गया……….
3) दर दर भटका मिला ना सहारा, इंसा तूने कर्म बिगाड़ा
ऎसा भटका ठोकर खाई, गिरा जमीं पर आन
ये तो बदल गया………..
4) भज ले राम श्याम तू बंदे, कट जाएंगे सारे फंदे
राम श्याम में इतनी भक्ति की बन जाए बिगड़े काम
ये तो बदल गया………..
भजन – 39 शिव शंकर भोले
तर्ज – डूबतो को बचाने वाले
शिव शंकर भोले हमारे, मेरा जीवन है तेरे हवाले
1) तुम कैलाश पर्वत पर रहते और धरती पर गंगा बहाते
जो पापों को उतारे हमारे, मेरा जीवन………
2) तेरे माथे पे चंदन निराला और गले में सर्पों की माला
तेरे हाथ में डमरू बाजै, मेरा जीवन………..
3) तेरे संग में गोरा विराजै और गोद में गणपति साजै
इस परिवार के सद जाए, मेरा जीवन……..
4) बाघंबर चोला है तेरा और भूतों का रखते हो डेरा
इस रुप में लगते हो प्यारे, मेरा जीवन……..
5) नंदी की तुम करते सवारी, भांग तुम्हे लगती है प्यारी
अंग भभूत हुए हो रमाए, मेरा जीवन……..
भजन – 40 तुम, तुम हो कन्हैया
तुम, तुम हो कन्हैया……हम, हम है कन्हैया
हम तुमसे नहीं कम है कन्हैया……..
1) तुम्हरे सिर पर मोर मुकुट है, हमरे सिर पर तुम हो कन्हैया
ताज हमारे तुम हो कन्हैया, हम तुमसे नहीं कम हैं……..
2) तुम्हरे नैनों में काजल बसत है, हमरे नैनों में तुम हो कन्हैया
दया दृष्टि कर देना कन्हैया, हम तुमसे नहीं………..
3) तुम्हरे होंठ पे मुरली बजत है, हमरी जीव्हा पर तुम हो कन्हैया
रस मिठास भर देना कन्हैया, हम तुमसे नहीं कम है……….
4) तुम्हरे दिल में राधा कन्हैया, हमरे दिल में तुम हो कन्हैया
दिल में ही रह जाना कन्हैया, हम तुमसे नहीं कम है………..
5) तुम्हरे चरणों में खड़ाऊ पड़त है, हम चरणों की धूल कन्हैया
चरणों में जगह देना कन्हैया, हम तुमसे नहीं कम है………..
भजन – 41 श्यामा की याद
तर्ज – तेरी बंसी पे जाऊँ बली
मेरे श्यामा की याद मुझे आने लगी, घर बैठे ही मुझको सताने लगी
1) बन ठन के मैं घर से निकली
लाल हरी मैने चूड़ियाँ पहनी और मोतियन माँग भरी
मेरे श्यामा की याद………
2) रास्ते में मिल गए कृष्ण मुरारी
ललितादिक सखियाँ सभी प्यारी, सबसे मिल पाई मैने खुशी
मेरे श्यामा की याद………..
3) सिर पे मोर मुकुट, कानों में कुंडल
छवि है उनकी अदभुत सुंदर, मैं तो उनका ही मुखड़ा निहारने लगी
मेरे श्यामा की याद……….
4) काहे को संग प्रीत लगाई
राह देखते-देखते मैं तो हारी, काहे की तोसै लगी प्रीत
मेरे श्यामा की याद………
5) सपने में छवि कान्हा की आई
सोते-सोते संतोष मुस्काई, खुशियाँ मैने बेशुमार पाई
मेरे श्याम की याद………..
भजन – 42 दिखा दो लौ
दिखा दो लौ हमें भी तुम, अंधेरा ही अंधेरा है
1) जहाँ में जहां भी जाते हैं, दिखाई कुछ नहीं देता
जो दर्शक ना बने मेरे, भरोसा टूट जाएगा
दिखा दो लौ………..
2) दुनिया में आकर के बेकली मेरी बढ़ गई है
सहारा आप मुझे दे दो, नहीं तो चल ही देगें हम
दिखा दो लौ………
3) मेरे निष्काम ही ना मुझे आगे आने देते है
कर्मों का बोझ है भारी, इसे कैसे उठाऊंगा
दिखा दो लौ…………
4) मैं मंदिर में आपके आई, छवि प्यारी-2 पाई
चरणों में आपके बैठूँ, उमरिया यूँ ही बितानी है
दिखा दो लौ………
भजन – 43 बात मेरी सुन सांवरे
तुझे लीन्हो यशोदा ने मोल, बात मेरी सुन सांवरे
आज देती हूँ भेद खोल, बात मेरी सुन सांवरे……….
1) सखियों का श्याम तूमने माखन चुराया – 2
माता यशोदा ने ऊखल से बांधा – 2
बृज में मच गया शोर, बात मेरी सुन………
2) बाली उमरिया में माटी जो खाई – 2
माता यशोदा मारन को आई – 2
दिल की बड़ी है कठोर, बात मेरी सुन……
3) माता यशोदा तुमसे गऊए चरवाए – 2
गऊए चरवाए पानी भरवाए – 2
नौकर मिला है अनमोल, बात मेरी सुन……..
4) माता भी गोरी, नंदबाबा भी गोरे – 2
तुम तो काले कलूट, बात मेरी सुन………
5) मेरी बात का बुरा मत मानना
गुस्सा मत मानना, बुरा मत मानना
हंस कर कह दिया ताना मत जानना
सखियाँ खड़ी हथ जोड़, बात मेरी सुन……..
भजन – 44 सुख दुख
तर्ज – पकड़ लो हाथ बनवारी
सुख भी मुझको प्यारे हैं, दुख भी मुझको प्यारे हैं
मांगू मैं किसे भगवन, दोनो ही तुम्हारे हैं……
1) सुख में तेरा शुक्र करुँ और दुख में मैं आस करुँ
मुझे जिस हाल में रखो, प्रभु तुम को मैं याद करूँ
मांगू मैं किसे भगवन………….
2) ये सुख भी तुम हमें दे दो, सौभाग्य भी हमें दे दो
जो चाहे हमको दो भगवान, तुम तो नाथ हमारे हो
मांगू मैं किसे भगवन…………
3) मैने तो झोली फैला दी, प्रभु बस हाथ पैसारे हैं
सुख दो या प्रभु दुख दो, दोनो ही तुम्हारे हैं
मांगू मैं किसे भगवन……..
4) दुख ही तो मानव को इंसान बनाते है
सुख ही तो जीवन की गाड़ी को चलाते हैं
मांगू मैं किसे भगवन………
5) जीवन रुप के प्रभु जी दो ही तो किनारे हैं
मांगू मैं किसे भगवन दोनो ही तुम्हारे हैं
भजन – 45 मंदिर जाऊँगी
मेरे घर में सब करै मना, पर मैं मंदिर में जाऊंगी
1) मेरा ससुर कहै बहु ना जावै – 2
तुझे करना है काम घर का
पर मैं मंदिर में जाऊंगी………….
2) मेरी सास कहै बहु ना जावै
तू मेरे पैर दबा……..
पर मैं मंदिर में जाऊंगी………..
3) मेरी जेठानी कहै बहु ना जावै
जा रसोई में खाना बना…..
पर मैं मंदिर में जाऊंगी……..
4) मेरी ननद कहै, भाभी ना जावै
मैं भैया जी से जा बताऊँ…..
पर मैं मंदिर में जाऊंगी………
5) मेरा बालम कहै तू क्यों ना गई
तेरे सारे संकट मिट जावै, तू दर्शन कर आ…
भजन – 46 मैया रानी
मैया रानी बनूँ पुजारी शेर सवारी पर आ जाना
रात दिन तेरी सेवा करुंगा, फल मुझको तुम दे देना
1) पंडित बनूंगा, पूजा करुंगा
मंदिर में मुझे मिल जाना
रात दिन………
2) माली बनूंगा, कलियाँ चुनूंगा
फूलों में मुझे मिल जाना
रात दिन……..
3) दर्जी बनूंगा, लहंगा सिलूंगा
घोटे में मुझे मिल जाना
रात दिन……….
4) सुनार बनूंगा मुकुट बनाऊंगा
मोती में मुझे मिल जाना
रात दिन………..
5) करता बनूंगा, सेवा करूंगा
भवन में मुझे मिल जाना
रात दिन…….
6) भक्त बनूंगा, जगराता करूंगा
सत्संग में मुझे मिल जाना
रात दिन……
भजन – 47 श्याम बाबा खाटू
बाबा श्याम, मैं धाम आण की देखूँ बाट बड़ी
ना बुलावेगा जुल्म करेगा, मैं दासी थी खड़ी
1) श्याम घणी सज धज के बैठी, किस्मत खोल दे
खाटु नगरी आणा चाहूँ, मुस्कुरा कै बोल दे
ना बुलावैगा जुल्म करेगा, मैं थारी दासी खड़ी
2) दाल, बाटी, चूरमा बणा कै ल्याऊंगी
परदा कर कै भोग लगा लै, झोल जिमा दूंगी
छप्पन भोग छत्तीसों व्यंजन लिए मैं खड़ी
3) निर्बल को बल दे दे बाबा, ताकत कोनी सै
अपने हाथों घी की थारी, ज्योत लिए खड़ी
श्याम कुंड में जा नहाऊँ गीता लाऊँ मैं
4) फागुन शुक्ला एकादशी नै कीर्तन कराऊँ मैं
भजन खजाना ले ले कै सेवा कमाऊँ मैं
आशीर्वाद दे दे बाबा दर पै मैं खड़ी
5) तीन बाण धरी बाबा, शीश दानी सै
खाटु गाँव धाम बनाया, ऎसी बानी सै
संतोष थारै धाम पै शीश नवावैगी…………
भजन – 48 सुनो रघुनाथ
सुनो रघुनाथ तुमको पार, अब कैसे लगाऊँ मैं
1) चढ़ा के नाव मे तुम्हे, नाव क्यूँ अपनी गवाऊँ मैं
हजारो हैं यहाँ केवट, हजारो नाव जल में है
बुला लो दूसरा केवट नहीं अब नाव चलाऊँ मैं
2) उड़ी चरणों की रज कण से, शिला पाषाण की भारी
अगर जो उड़ गई नैया, कहो कैसे बचाऊँ मैं
अगर दो चार होती तो भले ही एक गंवा देता
रहे ना एक भी नौका, कमा के कहाँ से खाऊंगा
3) करुंगा पार मैं तुमको, शर्त मंजूर कर लो तुम
चरण पहले पखारुंगा, तुम्हे पीछे बिठाऊंगा
सुनो रघुनाथ……………
4) प्रभु प्रसाद मिले मुझको, मेरी विनती यही तुमसे
इसी नैया की रोजी से पालूँ परिवार मैं अपना
सुनो रघुनाथ………..
5) करुंगा पार मैं तुमको, हमें भी पार लगा देना
मेरे रघुनाथ मेरी कश्ती तुम्हारे ही हवाले है
सुनो रघुनाथ………..
भजन – 49 श्याम की मुरली
तर्ज – श्यामा आप चले वृंदावन
श्यामा मुरली बजाकर चल दिए, प्रभु बंसी सुनाकर चले गए
1) मुझे निंदिया आई सोने चली, सपनों में आए सांवरिया
मुख से निकला ठहरो प्रभु और हंस कर यूँ ही मुड़ गए
प्रभु बंसी…………
2) किसे कहूँ गम दिल का मैं, कोई तो आके सुने मेरी
मुझे लौ लगी है श्यामा की, गिरधर को बुला कर लाओ जरा
प्रभु बंसी………
3) प्रभु प्रेम की दीवानी हुई, दिल जख्मी किया
बेगाना हुआ, नैनो में आके सांवरिया कोई तो हाल जाने मेरा
प्रभु बंसी……..
4) भोर भई जब नींद खुली, हंस-हंस कर मैं पगली हुई
चाह लगी थी श्यामा की, सपनों में दर्शन दे गये
प्रभु बंसी……….
भजन – 50 राधे रानी
तर्ज – रेशमी सलवार कुर्ता जाली का
राधे रानी आए, तेरी कुंज गली
डगर – डगर में ढूंढे, ढूंढे गली – गली
1) राधे-2 रटते कहीं बीत ना जाए उमरिया
बरसाने मैं आऊँ और राह-2 नैन बिछाऊँ
डगर बृजरानी की, डगर – 2………….
2) कंचन महल छोड़े, मैं बन गई रे जोगनिया
राधे श्याम की जोड़ी देखते ही मैं हुई बावरिया
जोड़ी रजधानी की, डगर – 2…………..
3) अनुपम माधुरी दोनो, सूरत है भोली भाली
सिर मुकुट चन्द्रिका माथे, अधरन पे पान की लाली
रुप बृषभानी का, डगर – 2…………
4) आओ राधे श्यामा प्यारे, बृंदावन कुंज गलियन में
बृज धाम विहार करेगें, संग में राधा प्यारी
गोकुल दुलारी की, डगर – 2…………..
भजन – 51 राधे का लव लेटर
ओ राधे लव लेटर तुम लिखना
पोस्ट तुम कर देना – 2, राधे मेरिये
1) ओ राधे लव बहुत मैं करता हूं
बट टंग पर ला नहीं सकता हूँ
ओह, मैं टंग पर ला नहीं सकता…राधे मेरिये
ओ राधे……….
2) ओ राधे हार्ट बीट मेरी बढ़ गई – 2
ओ डियर जल्दी आजा – 2 राधे मेरिये
ओ राधे……….
3) ओ मुझे छेड़ते सुदामा ऊधो – 2
यू मथुरा में मिल डार्लिंग – 2 राधे मेरिये
ओ राधे………
4) ओ राधे होटल में लंच करेगें – 2
ओ डिनर कैंडिल लाईट करेगें – 2 राधे मेरिये
ओ राधे……….
5) ओ राधा मैं तेरा, तू मेरी – 2
प्रेम रस भर लेगें – 2 राधे मेरिये
ओ राधे………
6) ओ राधे फ्रेंड्स को लाना – 2
अकेले तुम मिल लेना, ओ अकेले मिल लेना
राधे मेरिये, ओ राधे……….
भजन – 52 पनिया भरन चलो
तर्ज – ज्योत से ज्योत जलाते चलो
मोहन को संग में लिवा ले चलो
रलमिल के पनिया भरन को चलो
1) यमुना तट पर रास रचेगा एक सखी यों बोली
रलमिल सब बारी बारी खेले आँख मिचौली
रलमिल…………
2) श्याम तुम्हे हम यमुना तट पर मलमल खूब नहलाएँ
मोर मुकुट और बाँसुरी देकर तुमको खूभ रिझाएँ
काली कमलिया उठा ले चलो
रलमिल……..
3) किया मशविरा सब सखियों ने श्यामा हम संग आए
माखन मिश्री दूध दही का हम सब भोग लगाएँ
मोहन से प्रीत लगाते चलो
रलमिल………
4) वन उपवन में जाकर मोहन गऊवे खूभ चराओ
ग्वाल बाल सब संग में ले लो कदम के नीचे बैठो
बांसुरी मधुर बजाते रहो
रलमिल……….
भजन – 53 चलते-चलते
मुझे कोई मिल गया था ब्रज राह चलते-चलते
मुझे कोई ले गया था – 2 उस शाम ढलते-2
1) मुस्कुरा कर कह रहा था, मैं हो गया तुम्हारा
जादू सा कर दिया था -2, मोहन ने हंसते-हंसते
मुझे कोई………..
2) बांकी अदा जो देखी, हैरान हो गई थी
अनमोल रत्न पाकर – 2, धनवान हो गई थी
मुझे कोई……….
3) मैं दीवानी हो गई थी, मस्तानी बन गई थी
चरणों में खो गई थी – 2, उस राह चलते-चलते
मुझे कोई…………
4) मुझे मिल गया सांवरिया, उस रात निधिबन में
मैं बावरिया हो गई थी-2, वो रात ढलते-ढलते
मुझे कोई………
5) ये अंखियाँ जन्म की प्यासी, मैं बन गई श्याम दासी
मैं कुर्बान हो गई थी, बृज रह चलते-चलते
मुझे कोई…………
भजन – 54 चूड़िया ले लो
चूड़िया ले लो राजबाला, मैं चूड़ियाँ बेचने वाला
1) ये फैजाबाद की चूड़ी सस्ती नगीने वाली
लगती है है प्यारी-2, लगती है न्यारी-2
जिसे पहने हर बाला, मैं चूड़ियाँ बेचने वाला…….
2) मेरी चूड़ी रंग बिरंगी, देखन में बड़ी रंगीली
आओ सखियों, आओ बहनो, छोटी और बड़ी लाया
मैं चूड़ियाँ………..
3) रेशमी चूड़ी, हरी, लाल, पीली
श्याम नाम वाली चमकीली चूड़ी
जिसे पहने कर्मों वाला, मैं चूड़ियाँ……
4) झोली भरी, सिर पे धरी
चटक – मटक चूड़ी भरी
गाँव शहर मनियारा आया, मैं चूड़ियाँ………..
5) तुम भी पहनो, हम भी पहने
जुग – जुग जीये पहनने वाले
गरीबो की रोजी वाला, मैं चूड़ियाँ………..
भजन – 55 कान्हा की शिकायत
अपने कान्हा की सुन लो शिकायत जो बताने के काबिल नहीं है
जो देता है दर्द दिलों को वो दिखाने के काबिल नहीं हैं…….
1) मैया पहली शिकायत हमारी, बागों में मिले थे मुरारी
उसने मारी जो नैन कटारी, मेरे हाथों से छूट गई डारी
जो देता है दर्द………..
2) मैया दूसरी शिकायत हमारी, पनघट पे मिले थे मुरारी
उसने फोड़ी जो मटकी हमारी, वो उठाने के काबिल नहीं है
जो देता है दर्द…………..
3) मैया तीसरी शिकायत हमारी, गलियों में मिले थे मुरारी
उसने फाड़ी जो चुनरी हमारी जो ओढ़ने के काबिल ना रही
जो देता है दर्द…………
4) मैया चौथी शिकायत हमारी महलो में मिले थे मुरारी
पकड़ी कलाई जो हमारी जो बताने के काबिल रही ना
जो देता है दर्द…………..
5) मैया पाँचवीं शिकायत हमारी सत्संग में मिले थे मुरारी
उसने फोड़ी जो ढोलक हमारी जो बजाने के काबिल ना रही
जो देता है दर्द……………
भजन – 56 मैं नहीं माखन खाया
तर्ज – मैं किस विधी उतरूँ पार
मेरा झूठा नाम लगाया री मैया, मैं नहीं माखन खाया
मैं उठा सवेरे वन मै गऊ चराने आया मैया
1) बात करै माखन की, मैं फिरूँ हूँ भूखा प्यासा
मैं ऊखल से बंधवाया, री मैया मैं नहीं माखन खाया
मेरा झूठा नाम…………..
2) ये सखियां मथुरा जाती, मुझको है रोज चिढाती
तेरा कान्हा बहुत सताया री, मैया मैं नहीं माखन खाया
मेरा झूठा नाम…………
3) यमुना तट गऊ चराता, मस्ती में अपनी रहता
मुझे फिर भी चोर बताया री मैया मैं नहीं माखन खाया
मेरा झूठा नाम………..
4) मैं सदन छोड़कर जाऊँ मुरली की टेर सुनाऊं
सखियों से तंग मैं आया री मैया मैं नहीं माखन खाया
मेरा झूठा नाम……….
भजन – 57 भक्ति की मस्ती
तर्ज – अरे माखन की चोरी छोड़ सांवरे मैं समझाऊं तोहे
श्यामा आजा दिल में समा जा, भक्ति की मस्ती में खो जाऊँ मैं
1) नौ लाख मैं गऊ बंधवाऊ माखन मिश्री तुम्हे खिलाऊँ
दूध, दही, ग्वाल बाल चाखे सेवा कमाऊ दिन रात
श्यामा आजा………..
2) सुंदर मूरत मोहन तुम्हारी जिस पर जाए माँ बलिहारी
मन मोहन मन भाए तोतली जुबाँ लगे प्यारी
श्यामा आजा…………
3) बांके हैं नंदलाल और यशोमति बांके घड़ी जन्मे मुरारी
बांके कन्हैया के बांके भैया, बांके है बृज ग्वाल
श्यामा आजा…….
4) मेरे गिरधारी नहीं तुलना तुम्हारी, तुमसे पहले नहीं देखा मुरारी
आजा मेरे पास तेरी पूजा करूँ दिन रात
श्यामा आजा………..
5) हर दम मैं रहूँ मस्तानी, लोक लाज दिनी बिसरानी
रुप रंग अंग अंग समानी, मैं गाऊँ खुशी के गीत
श्यामा आजा………
6) प्रेम की डोरी बांधी कान्हा से, दुनिया से नाता तोड़ा मैने
हुई बावरी प्रेम बंधन में मिल गया मन का मीत
श्यामा आजा……….
7) अपने चरणों में मुझे बिठा लो, अपना मुझको बना लो
रोम – रोम में मेरे बस जाओ, सुबह शाम जपूँ तेरा नाम
श्यामा आजा…………
भजन – 58 श्यामा के रंग हजारों
श्यामा के रंग हजारों हैं, इनके रंगों का क्या कहना
1) कोई काला कहे, कोई गोरा कहे
कोई कहे नटखट, कोई कहे ग्वाला
इनके नामों का क्या कहना, इनके कामों का क्या कहना
श्यामा आजा……….
2) इन्द्र कोप ढहाते है, पर्वत अंगुली पर उठाते हैं
पर्वत का उठाना क्या कहना, भक्तों को बचाना क्या कहना
श्यामा आजा…………
3) धरती पर जब जब आते, ये नई नई महिमा रचाते हैं
हर युग में आना क्या कहना, महिमा का रचाना क्या कहना
श्यामा आजा…………….
4) जब जब कंस ने जुल्म किया, तब तब नटवर ने रुप धरा
जुल्मों से बचाना क्या कहना, नटवर के रुप का क्या कहना
श्यामा आजा…………
5) बनवारी अब तो आ जाओ और दिल में हमारे बस जाओ
बनवारी का आना क्या कहना, दिल में समाना क्या कहना
श्यामा आजा……………..
भजन – 59 श्याम प्यारे से प्यार हो गया
ओ…….ओ…..ओ…..श्याम प्यारे से प्यार हो गया-2 दीदार हो गया
ओ ओ ओ ओ श्याम प्यारे का दीदार हो गया-2 दीदार हो गया मुझे प्यार हो गया
1) जब श्याम राधा संग आए, छवि नटखट की मन को भाए
ओ ओ ओ ओ आंखों में सुरुर आ गया, दीदार हो गया………
2) श्यामा की मैं राह निहारूँ, चरण धुली मस्तक पर लगाऊँ
आठो याम गाऊँ श्यामा-श्यामा, दीदार हो गया…………
3) जब मुरली की तान सुनुंगी, पुलकित हो मैं मगन हो जाऊँगी
निधिवन में मैं श्यामा आऊँ, दीदार हो गया………
4) तेरे नाम की माला जपूंगी, रात – दिन श्यामा मैं गाऊंगी
मैं जाऊँ कुर्बान श्यामा, दीदार हो गया……….
5) पापों को मेरे दूर भगाया, संतोष को गले लगाया
कर दो मेरा उद्धार श्यामा, दीदार हो गया…………..
भजन – 60 आ जाओ गिरधारी
मैने रो-रो रुदन मचाया, तुम आ जाओ गिरधारी
ओ मेरी भीगी – मेरी भीगी रेशमी साड़ी, कब आओगे मुरारी
1) मेरा अग्नि से जन्म हुआ है, द्रौपदी नाम धराई
ये कैसा खेल रचाया, तुम सुन लो कृष्ण कन्हाई
द्रुपद – 2 की मैं जाई, मेरी भीगी रेशमी साड़ी…………
2) तीर निशाने लागा मछली की आँख को छेदा
अपना निशाना लगाया और जीत कर अर्जुन आया
ये कैसी – 2 लीला रचाई, मेरी भीगी रेशमी साड़ी………
3) मां को आवाज लगाई, हम भिक्षा लाए माई
बिना देखे बोली माई, तुम बांटो पांचों भाई
वो थी-2 द्रुपद दुलारी, मेरी भीगी रेशमी साड़ी…….
4) शकुनी ने चाल चली थी, तुम खेलो सारे भाई
द्रौपदी को दाँव पर लगाया हारे थे पांचों भाई
ओ मेरी जान पर बन आई, मेरी भीगी रेशमी साड़ी………..
5) केश खींचकर लाया दु:शासन आन गिराई
लगा खींचने साड़ी मेरी लाज बचाओ गिरधारी
तुम आओ-2 कृष्ण मुरारी, मेरी भीगी रेशमी साड़ी…….
6) द्रौपदी ने टेर लगाई, मैं सभा मैं आन गिराई
आ जाओ कृष्ण मुरारी, मेरी सभा में लाज उतारी
मेरे आ गए, आ गए कृष्ण मुरारी, मेरी बढ़ गई रेशमी साड़ी………….
भजन – 61 मुझे अपना बना लो
तर्ज – मुझे प्यार की जिन्दगी देने वाले
मुझे अपना बना लो, हे दाता मेरे
मैं तेरा हूँ, तेरा हूँ मेरे विधाता
1) तेरे सिवा मेरा कोई ना सहारा
गले से लगा ले, मैं हू बेसहारा
ना है, ना है कोई दुनिया में मेरा
मैं हूँ तेरा…………..
2) जिन्दगी का मेला है एक झमेला
तेरा मेरा रिश्ता क्यों तू है भूला
मैं हूँ एक तेरा और तू है मेरा
मैं हूँ तेरा…………
3) तन में भी तुम हो, मन में भी तुम हो
जहाँ भी मैं देखूँ वहाँ तुम ही तुम हो
अपना बना लो-2 जाऊँ कहाँ मैं
मैं हूँ तेरा………….
4) नहीं भूल पाऊंगा दया दृष्टि तेरी
जुबाँ पर रहेगी दास्ताँ तुम्हारी
आँखों में तेरा नूर है समाया
मैं हूँ तेरा………
5) हजारो मिले पर अपना ना कोई समझे
किस को समझाए, कोई करा दो-2
भव पार बेडा, मैं हूँ तेरा…………
भजन – 62 श्याम प्यारे की जय
तर्ज – तुम्ही मेरी मंजिल तुम्ही मेरी पूजा
मेरे श्याम प्यारे की जय – 2 बोलो
मेरे मुरली वाले की जय – 2 बोलो
1) राधिका के संग में रमण बिहारी
रमण बिहारी गिरवरधारी
छवि है दोनो की है गजब निराली
मेरे मुरली वाले…………..
2) सांवरे कन्हैया काली कमलिया
कारे – कारे बदरा, कारी कारी गैया
और गोरे गोरे ग्वाल, गोरी सारी सखियाँ
मेरे मुरली वाले…………
3) बंसी बजाते कान्हा मन को लुभाते
बंसी की तान पे भक्तो को रिझाते
सांवरे की धुन की दुनिया दीवानी
मेरे मुरली वाले…….
4) वृंदावन की चली मैं डगरिया
तुमसे मिलने को तड़पे है जियरा
हमें कब मिलोगे बांके कन्हैया
मेरे मुरली वाले……….
भजन – 63 राम – श्याम दीवानी
चाहे हो राम दीवानी, चाहे हो श्याम दीवानी
दोनो की सूरत प्यारी, दोनो की मूरत प्यारी
1) शबरी ने राह निहारा, मीरा ने पीया जहर
दोनो ही थी दीवानी, दोनो ही थी मस्तानी
दोनो की सच्ची कहानी, दोनो………
2) कर्मा ने भोग लगाया, कुब्जा ने तिलक लगाया
कर्मा थी कर्मों वाली, कुब्जा थी भाग्यशाली
दोनो ही प्रेम दीवानी, दोनो………….
3) धन्ना ने दर्शन पाया, अर्जुन ने ज्ञान पाया
दोनो ही वो ज्ञानी, दोनो ही थे अभिमानी
दोनो ने मार्ग पाया, दोनो……….
4) हनुमंत बूटी लाए, सुदामा तंदुल लाए
दोनो ही थे दीवाने, भक्तों के चाहने वाले
दोनो थे भगवन प्यारे, दोनो……….
5) केवट ने पार लगाया, ऊधो संदेशा लाया
दोनो ने गीत गाया, दोनो ने यश पाया
दोनो ही थे मतवाले, दोनो………
6) सीता ने राम को पाया, राधा ने श्याम को पाया
भक्तो ने सब कुछ पाया, दोनो………
भजन – 64 मदन मोहन
तर्ज – दिल के अरमां आंसुओं में बह गए
मदन मोहन तेरी शरण में आ गए
बांसुरी सुनने हम मिल – जुल आ गए
1) मोहन रंग चुनरी रंगाई लाल चटक
ओढ़ चुनरी अंगना में बैठी सखियों संग
मोहन की मैं प्रेम पुजारन बन गई
मदन मोहन……….
2) मीठी-मीठी रस भरी कलियाँ खिली
रुप रंगीली छैल छबीली राधा मिली
क्या करें हम टेर लगाए आ गए
मदन मोहन………..
3) घूंघट पट जब खुल गए श्यामा मिले
नैनों से नैना जब मिले मन बस गए
नजरों ही नजरों में मोहन पा लिए
मदन मोहन………..
4) मोहन से लौ हम सदा ही लगाएंगे
रुठेगें मोहन चरण पड़ मनाएंगे
दास मोहन के सभी बन जाएंगे
मदन मोहन………..
भजन – 65 राधे गोविन्द
राधे गोविन्द मेरे गोकुल में आ गये
सोये हुये भाग्य मेरे आज जगा गये
1) सुआ सुआ रंग मेरी राधा को भा गया
मोर कण्ठ मेरे गोविन्द को छा गया
रंग रंगीले दोनो वृंदावन वाले
सोये भाग्य मेरे…………
2) चंदा की चांदनी है राधा मैया
सूरज जू धमके मेरे कृष्ण कन्हैया
जगमग जैसे हो चांद सितारे
सोये भाग्य मेरे……..
3) दमदम दमके राधे रानी की बिंदिया
मोर मुकुट वाले कुंवर सांवरिया
कजरारे नैन जोड़ी राधे सांवरे
सोये भाग्य मेरे……….
4) रूप सांवरी का दिल में समा गया
सांवर रंग मेरे मन को चुरा गया
मोहनी मूरत भक्तों के प्यारे
सोये भाग्य मेरे………..
भजन – 66 शेरां वाली माँ
शेरां वाली माँ चुन – चुन कलियाँ लाया
हारा वाली माँ हार बना कर लाया
1) सब लाते मैया सोने का टीका -2
मैया मेरी तो लाल रोली बिंदिया
शेरां वाली…………
2) सब तो चढ़ाते मैया हार गुलेबंद
मैया मेरा तो फूलों का हार
शेरां वाली…………
3) सब तो ओढ़ाते मैया शॉल दुशाले
मैया मेरी तो लाल रंग चुनरी
शेरां वाली………
4) सब तो चढ़ाते मैया काजू और पिस्ता
मैया मेरा तो हलुए का भोग बताशे
शेरां वाली…………
5) और चढ़ाते मैया मोहर अशर्फी
मैया मेरा टके का है दान
शेरां वाली……………
6) ऊँचे-2 पर्वत मैया बना है मंदिर – 2
मैया देना तुम भक्ति का दान
मैया देना तुम शक्ति का दान
शेरां वाली…………
भजन – 67 राधिका ओ मोहना
राधिका ओ मोहना तेरी जोड़ी पे हम मुग्ध हो गए
1) माथे पर बिंदिया है, बालो में चंदा है – 2
ओ राधिका ओ मोहना, बिंदिया चंदा पे हम सब मग्न हो गये – 2
ओ…..
2) मुखड़े पर नथनी है, कानों में कुंडल है – 2
ओ राधिका ओ मोहना, नथनी कुंडल पे हम सब मग्न हो गए – 2
ओ…….
3) कमर पे तगड़ी है, कंधे पर कमली है – 2
ओ राधिका ओ मोहना,तगड़ी कमली पे हम मग्न हो गए – 2
ओ………
4) पैरों में पायल है चरणों में संगत है – 2
ओ राधिका ओ मोहना तुम्हरे चरणों में हम सब मग्न हो गए – 2
ओ………
5) मंदिर में जोड़ी है मूरत में जोड़ी है
ओ राधिका ओ मोहना, तेरी जोड़ी पे हम मग्न हो गए – 2
ओ…………..
भजन – 68 अरे माली जगह खाली
अरे माली जगह खाली
लगा दे फूल की डाली
1) जब भंवरा आकर बैठेगा
खुशी से वो गुनगुनाएगा
कभी इस फूल कभी उस फूल
वो भंवरा पंख फैलाएगा
अरे माली………..
2) कलियाँ जब मुँह खोलेगी
तब माला मैं पुरोऊँगी
गले में भगवन के
मैं हाथों से पहनाऊँगी
अरे माली…….
3) सिंहासन जब लगाऊँगी
मैं फूलों से सजाऊँगी
चमेली गेंदा और गुलाब
खुश्बू निराली आएगी
अरे माली……
4) श्रृंगार जब करेंगे भगवन
मैं फूलों में छिप जाऊंगी
नजारा अपने भगवन का
मैं फूलों से ही निहारुंगी
अरे माली……..
भजन – 69 ना है दर दूजा
तर्ज – ओ मेरी महबूबा………..महबूबा महबूबा…तुझे जाना है तो जा
ना है दर दूजा, ना दूजा, ना दूजा
तुझे जाना है तो जा तेरी मर्जी मेरा क्या
1) तेरे पापों को माँ भुलाएगी, तू जो रोता है माँ हंसाएगी
लेकिन श्रद्धा से आके मस्तक झुका दे
दाती के नाम को तू मन में बसा ले
जै जै जै माँ -2 जयकारा जब भी तू लगाएगा
तू रोता हुआ तड़फता हुआ भी मुस्कुराएगा
तुझे जाना……………..
2) गुलशन खिलेगा तेरी जिन्दगानी का
पल्ला पकड़ ले अपनी माँ भवानी का
कह दे मैं सेवक हूँ दर पे रहूंगा, सारी उमर तेरी सेवा करुंगा
आजा आजा माँ – 2 जब भी तू बोलेगा
शेरां वाली माँ के भवना वाली माँ के तू दर्शन पाएगा
तुझे जाना…………..
3) सारे जहां को दाती तूने तारा है, मुझे क्यूँ दर से भुलाया है
मै तो लाल हूँ तेरा सुन माँ मेरी
कर भंवर से नैया पार तू मेरी
जय हो जय हो माँ -2 चरणों में तेरे पड़ा रहूंगा माँ
सुबह शाम नाम तेरा लेता रहूंगा माँ
तुझे जाना…………
भजन – 70 मैया अष्ट भुजाओं
मैया अष्ट भुजाओं वाली मेरे घर आना पड़ेगा
1) जो मैया तुम ना आओगी, भेजूंगी मोटरगाड़ी
गाड़ी के संग लॉरी, लॉरी में बैठ आना पड़ेगा
मैया अष्ट भुजाओ वाली……………….
2) जो मैया तुम ना आओगी, भेजूंगी लहंगा चोली
बिंदिया, रोली, सज धज कर तुमको आना पड़ेगा
मैया अष्ट भुजाओ वाली………….
3) जो मैया तुम ना आओगी, भेजूंगी लांगुरिया सारे
वो धूम मचावै लांगुरिया संग आना पड़ेगा
मैया अष्ट भुजाओ वाली………..
4) जो मैया तुम ना आओगी, भेजूं शेर सवारी
लगे हमें प्यारी शेर संग आना पड़ेगा
मैया अष्ट भुजाओ वाली……….
5) जो मैया तुम ना आओगी, भेजू संगत सारी
संगत है न्यारी-2, भक्तों के संग आना पड़ेगा
मैया अष्ट भुजाओ वाली…………
भजन – 71 भवन में रंग बरसे
रंग बरसे बहनों मेरी, भवन में रंग बरसे
1) किसने बहनों नींव खुदाई किसने ईंट लगाई
2) राजा दशरथ ने नींव खुदाई, चारों भाई ईंट लगवाई
3) किसने बहनो बाग लगवाए, किसने बहनो क्यारी लगवाई
4) बेटो ने बहनों बाग लगवाए, बहुओ ने भर दी क्यारी
5) किसने बहनों महल बनवाए, किसने भरी क्यारी
6) ससुर मेरे ने बहनो महल बनवाए सासड़ ने भरी फुलवारी
7) किसने बहनो मंदिर सजाए, किसने ठाकुर बैठाए
8) संतन ने बहनों मंदिर सजाए, भक्तों ने ठाकुर बैठाए
भवन में………….
भजन – 72 मैया पूछ रही राधा से
हे मैया पूछ रही राधा से, बता दे कहाँ गई थी आज
बता दे कहाँ गई थी आज – 2
1) खेलत – खेलत दूर निकल गई, पहुंच गई नंद गाँव
नंद बाबा की ठाकुरिया ने गोद लई बिठाय
हे मैया……..
2) लड्डुअन से मेरी गोद भराई, पुष्पन कियो श्रृंगार
मोतियन से मेरी माँग भरा दी, चूनर दियो उढ़ाय
हे मैया……….
3) केले के वहाँ खंभ गड़वाए, मंडप दियो सजवाय
नंद बाबा का कारा सा छोरा, संग दई बिठाय
हे मैया…………….
4) मेरो नाम पूछा वाने, बाबा का पूछा नाम
राधा नाम ले ले वाने आशीष दिए हजार
हे मैया…………..
भजन – 73 श्यामा दिल मेरा बस गया
तर्ज – अल्लाह ये अदा इन हसीनो की
श्यामा दिल मेरा बस गया तेरी बृज गलियों में
तेरे मथुरा में, तेरे गोकुल में
1) तूने वृंदावन में रास रचाया है, सखियों को खूब नचाया है
मैं भी आई हूँ तुम्हे मनाने को
श्यामा दिल………….
2) तेरे संग में वृषभान दुलारी है, हमें लगती बड़ी प्यारी है
इस जोड़ी पे जाऊँ बलिहारी मैं
श्यामा दिल…………….
3) हे! मेरे दीनानाथ मैं आई हूँ तेरे पास
अपनी दासी के सिर पर रख दो हाथ
मेरे नैनों में छवि तुम्हारी है
श्यामा दिल……….
4) सुना दे मुरली की टेर, क्यों लगा रहे हो देर
पिला दे मस्ती का जाम जिसमें हो श्याम नाम
झूमे गाए हम बृजधाम में
श्यामा दिल…………….
5) तुम मेरे मोहन मैं तुम्हारी दासी
सुनो ओ गोपाला, नंद के नंदलाला
अपने चरणों में मुझको जगह दे दो
श्यामा दिल…………..
भजन – 74 जगदम्बे का दीदार
जगदम्बे का जिसे दीदार हो गया
भवसिंधु से उसका बेड़ा पार हो गया
1) जिस पे मैया की दया दृष्टि हो गई – 2
कतरे – कतरे से धनवान बना सरशार हो गया
भवसिंधु……..
2) मेहर-ओ कर्म का उसका कोई ना शुमार है
बिगड़ी बनाई और उद्धार हो गया
भवसिंधु………..
3) धियानू भगत से कई भगत पार हुए
भक्ति की शक्ति से विख्यात हो गया
भवसिंधु………….
4) खैरात मैया मेरी झोली में डालो
मंगता भिखारी तेरे दर पे आ गया
भवसिंधु………
5) दीवाने को मैया चरणों में जगह दो
मैने पा लिया है सब कुछ भवपार हो गया
भवसिंधु………….
भजन – 75 मदन मोहन पर मुकदमा
मदन मोहन तुम्हारे पर मुकदमा मैं चलाऊँगी
मुझे बरबाद कर डाला, मुकदमें में लिखवाऊँगी
1) वो दिन याद करो मोहन, हम तुम यमुना पर मिलते हैं
हम तुम यमुना पे मिलते थे, कदम डाली झूला झूलते थे, ये सब
मुझे बरबाद…………..
2) वो दिन याद करो मोहन जब तुम निधिवन में मिलते थे
निधिवन में मिलते थे, झूम – झूम रास रचाते थे ये
मुझे बरबाद…………..
3) वो दिन याद करो मोहन, जब तुम ग्वालो संग आते थे
जब तुम ग्वालो संग आते थे, चोरी-चोरी माखन खाते थे
मुझे बरबाद……….
4) वो दिन याद करो मोहन, जब तुम लुक छिप आते थे
जब तुम छिप कर आते थे, मेरा चैन चुराते थे
मुझे बरबाद………….
5) वो दिन याद करो मोहन, जब तुम महलों में आते थे
जब तुम महलों में आते थे, मेरी बाँह पकड़ते थे ये सब
मुझे बरबाद…………
6) अरी राधे, अरी राधे मुकदमा तुम चला देना
मुकदमा तुम चला देना, दावा तुम कर देना
तुम अपनी कह सुना देना, मैं अपनी कह सुना दूंगा
मुझे बरबाद……………
भजन – 76 जल जाए जीव्हा पापिनी
जल जाए जीव्हा पापिनी, जपे ना हरी का नाम
जपे ना नाम काट के फेंको, भजे ना मुख से राम
1) पंछी पंख बिन, हाथी दंत बिन और पुरुष बिन दाम
नारी कंत बिन, त्याग संत बिन और सेवा बिन निष्काम
जल जाये जीव्हा………..
2) धेनु शीर बिन, धनुष तीर बिन और आबादी बिन गाँव
कूप नीर बिन, भक्ति पीर बिन और यात्री बिन ज्यों धाम
जल जाए जीव्हा………..
3) योगी ध्यान बिन, भक्ति ज्ञान बिन और जैसे मिष्ठान बिन आम
बहरा कान बिन, मुक्ति दान बिन और जैसे नाम बिन गुमनाम
जल जाए जीव्हा………….
4) देह नैन बिन, जीवन चैन बिन और राधा बिना श्याम
संतोष बाद में पछताएगी, भज ले हरी का नाम
जल जाए जीव्हा…………
भजन – 77 लगे है चुनरिया प्यारी
मुझे लगे है चुनरिया प्यारी, ओढ़े सुहागिन नारी
1) पाँच तत्व की मेरी चुनरिया, मेरी चुनरिया
तीन गुणों की शोभा न्यारी, कोई ओढ़े………..
2) महंगे मोल की ये मेरी चुनरिया, मेरी चुनरिया
इसके है दाम हजारी, कोई ओढ़े………
3) ये चुनरिया मेरे मायके से आई है, मायके से आई है
मेरे सतगुरु ने रंग डाली, कोई ओढ़े…………
4) चारो पल्ले फूल लहरिया, फूल लहरिया
बीच में चाँद सितारे, कोई ओढ़े……………
5) शबरी ने ओढ़ी ये तो मीरा ने ओढ़ी -2
ये तो उतरे नहीं उतारी, कोई ओढ़े……..
6) कहत कबीर सुनो भाई साधो – 2
करो हरि मिलन की तैयारी, कोई ओढ़े……….
भजन – 78 शिव डमरू बोले डम डम
तर्ज – बडे जन्मों के बाद चोला पाया
शिव डमरू बोले डम डम
शिव डमरू बोले डम डम
भेद खोले बम बम बम
जब भी बनता ये संसार
अंत में जाता सिधार
1) सब कुछ जानता बंदा, जान बूझ कर बनता अंधा
काम कोई ना सीधा किया, जो कुछ किया उलटा धंधा
पाप बढे पुण्य घटे, बोलो बम बम बम
शिव डमरू………….
2) लाला जी की सुनो जुबानी, बहुत मिलाया दूध में पानी
माल ब्लैक कर बहुत कमाया, समझा मै हूँ पैसे वाला
हुआ एक्सीडेंट फटा पेट, बोलो बम बम बम
शिव डमरू…………
3) सुन लो मेरे बहन और भाई, पूंजी तुमने यूँ ही गंवाई
बाहर के फैशन में आकर तुमने कर ली अपनी लुटाई
अब फूट गया पाप घड़ा, बोलो बम बम बम
शिव डमरू………….
4) कर्मों का फल धरती पर है, इंसां तू क्यो इसको भूला
कहीं पे मासा कहीं पे तोला, कहीं पर है खाली झोला
उस मालिक का कहना मान, बोलो बम बम बम
शिव डमरु………….
भजन – 79 कान्हा ने अवतार लिया
कान्हा ने अवतार लिया, भक्तों का बेड़ा पार किया
1) पूतना जहर लगाकर आई, माँ का रुप बना आई
बालक बन कान्हा दूध पीया, पूतना का उद्धार किया
कान्हा ने………….
2) शकटासुर का उद्धार करने, पालने में बालक बन लटके
लात मारा शकटा मारा, शकटासुर का उद्धार किया
कान्हा ने………
3) बकासुर का बगुला बन आया, ग्वाल बाल का राह निहारा
चोंच फाड़ बगुला मारा, बकासुर का उद्धार किया
कान्हा ने…….
4) भंवर कान्हा को उड़ा ले गया, आंधी तूफान ने गजब ढाया
राह बीच भंवर को मारा, भंवर का उद्धार किया
कान्हा ने……….
5) कंस था कान्हा का मामा, क्रोध में केशों को खींचा
केश खींच कंस को मारा, कंस का बेड़ा पार किया
कान्हा ने………….
भजन – 80 नादान बालक
हे! नादान बालक ईश्वर का नाम रट ले
विनती सुनेगें तेरी, प्रभु नाम जप ले
1) बालक बना फिरे तू, किस्मत का मारा-मारा
नादानियों में तूने जीवन का जुआ हारा
हे! किस्मत के मारे बंदे, खुलवाले अपने ताले
विनती सुनेंगे………..
2) मानव का जीवन पाया, कभी राम जाप ना गाया
तन को तो खूब धोया, पर मन को कभी ना धो पाया
जीवन सफल बना ले, कट वाले फंदे सारे
विनती सुनेंगे………….
3) तेरी बंदगी ही तुझको दर पे ना आने देती
जहाँ हो रही है पूजा, वहाँ आगे कभी ना आने देगें
हरि हर के आगे आ तू और शीश को झुका ले
विनती सुनेगें……………
4) हरि नाम जप ले, भक्ति का जाम भर ले
भगवान दिखाई देगें, कट जाएंगे पाप तेरे
मुक्ति मिलेगी तुझको, तू राम राम जप ले
विनती सुनेगें…………
भजन – 81 श्यामा संग यारी हो गई
तर्ज – अफसाना लिख रही हूँ
श्यामा संग यारी हो गई, श्यामा निभा देना
तुम नंद के नंदलाला हो, ग्वालों के संग आ जाना
1) कुंज बिहारी मिल गए, मेरे मन को भा गए -2
आंखों में लाली आ गई, दिल धक – 2 करने लगा
तुम नंद……………
2) वृंदावन में बंसी बाज रही, टंकार तीनो लोक गई -2
बंसी की हुई दीवानी मैं, मस्ताने बन आ जा
तुम नंद………….
3) दीवानगी ने गुल खिलाया, दुनिया भूल गई मैं
मुझे श्याम से मिला के -2, खुल गया किस्मत का ताला
तुम नंद…………
4) मोहन के नैनन बाणो ने मन को उलझा दिया -2
दिल मेरा ले लिया है -2, उसे वापिस ना करना
तुम नंद…………
5) मैं पगली दीवानी हो गई, श्यामा ने थाम लिया
मेरे कुंज बिहारी आ गए, उन्हें जाने ना देना
तुम नंद…………..
भजन – 82 पकड़े गए कृष्ण भगवान
पकड़े गए कृष्ण भगवान – 2
ललिता बनी पुलिस काँस्टेबल
राधा पुलिस कप्तान
1) मौन खड़े थे कृष्ण कन्हैया, जज बन बैठी यशोदा मैया
नीची गर्दन किए खड़े थे, सारे जग के रास रचैया
हुआ मुकदमा तो उनके होने लगे बयान, पकड़े…….
2) ग्वाह बने ग्वाल सब आकर, बना मुशंका था बैरिस्टर
बंदी बने हुए थे नटवर, बहस हुई दोनों में बराबर
किया गया चालान, पकड़े गए……….
3) जिनके यहाँ हजारो गैया, माखन रोज खिलावे मैया -2
ऊँचे से छींके पे धरी मलईया, कैसे उतारे कृष्ण कन्हैया
झूठा केस, झूठे सभी बयान, मुकदमा खारिज, पकड़े………..
4) घर आए मेरे कृष्ण कन्हाई, यशोदा माँ ने मंगल गाया -2
सखियों ने मिल रास रचाया, ग्वालों ने संग साथ निभाया
बृज गाँव में धूम मच गई, खुशियाँ आ गई, जय बोलो गोपाल
पकड़े गए…………….
भजन – 83 राम बिना कैसी मुक्ति
राम बिना तेरी कैसी होगी मुक्ति
भजन बिना तेरी कैसी होगी भक्ति
1) जब बंदे तूने जन्म लिया था -2
पढ़े क्यूँ ना वेद, लिखी क्यूँ ना तख्ती
राम बिना तेरी……….
2) जब बंदे तुझपे आई जवानी – 2
खेला, उछला खूब बजाई तूने सीटी
राम बिना……….
3) जब बंदे तुझपे आया बुढ़ापा – 2
रोया घुटने टेक, जवानी तेरी मिट गई
राम बिना तेरी………..
4) आई जब रेल, स्टेशन पर रुक गई
तू सोया चादर तान, टिकट तेरी कट गई
राम बिना तेरी……..
5) धर्मराज तेरा लेखा माँगे -2
बताए कौन सी बात, कहानी सारी रुक गई
राम बिना तेरी……..
भजन – 84 मेरे संग में धोखा हो गया
बहन अब मैं क्या यत्न बनाऊँ
मेरे संग में धोखा हो गया जी
1) बड़ी मुश्किल से लड़का बड़ा किया
हुआ जवान उसने मुख को मोड़ा
सब परिवार से किया किनारा
अब अपनी दुल्हन का हो गया रे
बहन मैं…………
2) कभी मैने तीर्थ व्रत नहीं किया
पैसा किसी के हाथ रखा नहीं
बहुत कमाया, पेट भरा नहीं
अब घर इनका हो गया रे!
बहन मैं……….
3) कभी गई ना मैं सत्संग में
उमर बिता दी लड़ाई जंग मैं
अब तो बात रही ना किसी ढ़ंग मैं
ये मुश्किल मौका आ गया रे!
बहन मैं………..
4) मेरी कोई नहीं सुनता बात
मैं कुछ बोलूँ तो हिला दे हाथ
मैं तो जल भुन कै हो गई राख
सूख कर काँटा हो गई रे!
बहन मैं…………
5) मेरी तो चली गई थानेदारी
चाबी छीनी अलमारी की सारी
अब तो मैं करूँ कुत्तो की रखवाली
घर मैं रहना मुश्किल हो गया रे!
बहन मैं……..
6) मैने कभी गुरु का कहा ना माना
उनको मैने नहीं पहचाना
वो तो रोज देते थे शिक्षा
बात उनकी सौ की निकली रे!
बहन मैं……….
भजन – 85 हनुमान बलबंका
हनुमान बलबंका क्षण में पहुंचे लंका
बोल रावण बोल सीता देगा कि नहीं!!
1) कितनी देर हो गई रावण, हाय तुझको समझाने में
मुक्ति होगी रावण तेरी शरण प्रभु के जाने में
तेरे जैसा मूर्ख जग में होगा या नहीं !!
बोल रावण बोल……….
2) चोरी करने वाला देखो, वीर नहीं कहलाता है
धीरज, धर्म और बुद्धि सभी नष्ट हो जाते हैं
दशकधर कहना मेरा मानेगा या नहीं !!
बोल रावण…………..
3) हर लाया तू जग जननी को, सीता जनक दुलारी को
जो चाहे तू कर ले रावण, भज ले अवध मुरारी को
लंका चौपट होगी तब रोवेगा या नहीं !!
बोल रावण………
4) कहत मंदोदरी सुन पिया रावण, तुमने एक ना मानी है!
अब है जान लई मैने तेरी, लंका होत वीरानी है
राम की शरण पड़ेगा, कि दर्शन होगा य नहीं !
बोल रावण…………
भजन – 86 हे केसरी नन्दन
हे केसरी नन्दन जग में तुम सा नहीं
काज राम के सवारे ऎसा बली नहीं………….
1) मुख में मुद्रिका दबाई और छलाँग लगाई
समुद्र लाँघ गये तनिक देर ना लगाई
दुर्लभ काम कपि पल में करें
सरल भाव रखे और महिमा रचे
हे केसरी नन्दन……..
2) कहे तुलसीदास हनुमत राम का है भक्त
करे हृदय में निवास और चरणो का दास
कंचन गौर वर्ण तेरे घुंघराले बाल
तीनो लोक हनुमत तेरी टंकार
हे केसरी नन्दन……..
3) श्रीराम कहे तुम भरत के समान
कैसी महिमा रची कपि सेवा किनी
मेरे प्रभु बार – बार करूँ प्रणाम
सीता, राम, लखन तीनो मेरे भगवान
हे केसरी नन्दन…………
4) भक्ति का दान मुझे दे दो श्रीराम
और शक्ति का दान मुझे दे दो हनुमान
ऎसा गुणगान गाया हनुमत यश है पाया
बोलो जै जै राम बोलो जै जै सीता राम
हे केसरी नन्दन……….
भजन – 87 मेरे परम परमात्मा
तर्ज – ईश्वर तुम्ही दया करो
मेरे परम परमात्मा तुम बिन हमारा कौन है
दुर्बलता, दीनता हरो बिगड़ी मेरी बना देना
1) प्यासे की प्यास बुझा देना, अमृत मुझको पिला देना
गिरते हुए को उठा देना, बिगड़ी मेरी बना देना…….
2) माता भी तू ही पिता भी तू ही, बंधु भी तू ही सखा भी तू ही
हम को तुम सहारा देना, बिगड़ी मेरी बना देना…..
3) कर्त्ता भी तुम ही भर्ता भी तुम ही, देवो के देव देवेश्वर तुम हो
शरण में अपनी जगह देना, बिगड़ी मेरी बना देना………
4) गरीब की गरीबी मिटा देना, तंदुल का भोग लगा लेना
मुझ सुदामा को दर्शन देना, बिगड़ी मेरी बना देना……….
भजन – 88 माधव घनश्याम आजा मेरी दिल्ली में
हे माधव घनश्याम आजा मेरी दिल्ली में
1) मथुरा से तुम्हें रेल मिलेगी
दिल्ली आकर ही रुकेगी
उसी में बैठकर आ, आजा मेरी………
2) स्टेशन पर तुम्हें खड़ी मिलूंगी
बुके हाथ लिए रहूंगी
पहचान लेना मेरे श्यामा, आजा मेरी…..
3) ऊँचे पर आसन बिछाऊँ
उस पर श्यामा तुम्हें बिठाऊं
भोग लगाऊँ दिन रात, आजा मेरी……
4) ईच्छा मेरी पूर्ण करना
सुख समृद्धि मुझे देना
सेवा कमाऊं दिन रात, आजा मेरी…..
5) बस इतना सा बल मुझे दे दो
मेरा विवेक बनाए रखना
कृपा करो महाराज, आजा मेरी…….
भजन – 89 नारायण वन – वन भटक कर
वन – वन भटक कर तपस्या करुंगी
1) कब आओगे नारायण कब मैं मिलूंगी – 2
पेड़ो से पूछा, डाली से पूछा, पत्तों से पूछा
कब आएंगे आएंगे…………
पंछी से पूछा, भंवरे से पूछा, फूलों से पूछा
कब आएंगे………….
2) पेड़ो ने बोला मेरी जड़ में मिलेंगे
डाली ने बोला कलश में मिलेंगे
पत्तों ने बोला लहरों में मिलेगें
कब आएंगे………
3) पंछी ने बोला गरुड़ पर मिलेगें
भंवरे ने बोला फूलों में मिलेगें
फूलों ने बोला माला में मिलेंगें
कब आएंगे……….
4) पेड़ो को देखा जड़ में नारायण
डाली को देखा कलश में नारायण
पत्तों को देखा लहरों में नारायण
कब आएंगे…………
5) गरुड़ को देखा बैठे नारायण
भंवरे को देखा गुणगुणाए नारायण
फूलों को देखा खुश्बु में नारायण
कब आएंगे……….
6) मंदिर में देखा विराजे नारायण
दर्शन मैने पाए मिल गए नारायण
धन्य हुई मुझे मिल गए नारायण
कब आएंगे……..
भजन – 90 श्यामा श्यामा भजते बीती री उमरिया
तर्ज – नगरी – नगरी द्वारे – द्वारे
श्यामा श्यामा भजते-2 थकती नहीं मेरी जीव्हा
गिरवरधारी अरज हमारी सुन लो हे कन्हैया
1) प्रेम नगर की डगर कठिन है कैसे आऊँ मोहना – 2
सांवली सूरत मोहनी मूरत देख देख भरे नैना -2
तक तक राह थक गए नैना, आ जाओ सांवरिया – 2
श्यामा…..
2) मुझ दुखियारी के दुखड़े मिटा दो, बन जाओ खिवैया
निर्धन धन से अबला नारी हूँ, ओ मेरे नाथ नथैया
दया दृष्टि मुझ पर डालो, हे यशोदा के लाला
श्यामा……….
3) मधुबन की लताओं में, बांसुरी की झंकारों में
वंशीवट और यमुना तट पर मोर पंख बन जाऊँ मैं
हे मधुसूदन माधव कृष्णा ले लो मेरी खबरिया
श्यामा………
4) दर – दर ठोकर खाई श्यामा, अब कहाँ जाऊँ मैं
मैं तो श्यामा बाट निहारूँ, रो-रो थक गए नैना
बृज भूमि में बुलाओ मुझे हे मेरे गोपाला
श्यामा………..
भजन – 91 मोहन तेरी याद में
तर्ज – मोहन प्यारे ने हाय मेरा दिल लूटा
मोहन तेरी याद में चैन सुकून सब खोये
चैन सुकून हैं खोये हां हां आहे भर – भर रोये
1) क्या कहे तुम हो हरजाई
तुम्हें हमारी याद ना आई
जन्मों पुराना रिश्ता श्यामा
कैसे भूले मेरे गिरधारी
तुमको परवाह क्या भक्तों – 2
तुम तो रात रात भर सोये
मोहन………
2) सखियाँ ही ना रोई, सारा ब्रज मण्डल तेरी याद में रोया
क्या कहे कान्हा किस से कहे
सब ने होश हैं खोये
शिकवा तुम से इतना श्यामा – 2
तुम मिलने भी ना आए
मोहन…..
3) कभी तुम्हारे हम थे अपने
आज किए हैं सब बेगाने
प्रेम करने की सजा भी
हम सब मिल कर खूब पाए
प्रीत रीत हमें सिखा दो
मेरे प्रीतम प्यारे, मोहन……….
4) हमने अपने दामन को आँसुओं से है भिगोया
रुठे क्यूँ हो मेरे मोहन
तुम्हें मनाने सब मिल आए
मान भी जाओ गिरधर मेरे
हम दर तेरे पे आए
मोहन……….
भजन – 92 ऎ जी राम लखन जी
ऎ जी राम लखन जी करिए बाजार की सैर – 2
1) देखिए दुकान ये कपड़ो की खुली हुई
डिजाईन बेशुमार हैं साड़ियों की लाईन लगी
नेट और पूनम है सिल्क जरीदार देखो
चुनरी सितारों जड़ी सुहाग की निशानी ले लो
ऎ जी जल्दी खरीदो सालियाँ बाहर बुलावै
ऎ जी……….
2) मेक अप की दुकान श्रृंगार के सामान वाली
कंघा शीशा नेल पॉलिश लाईनर महंगे वाला
बिंदी है नग वाली चूड़ियाँ कांच वाली
खुश्बू है जिसकी भारी केवड़ा गुलाब ले लो
साबुन डव है शैंपू पैंटीन देखो
पाउडर बढ़िया वाला सोलह श्रृंगार कर लो
ऎ जी राम लखन मेक अप जल्दी करवाओ
ऎ जी……..
3) आगे चलो महाराज ये है मिठाई वाला
मिठाईयाँ इसकी करती है कमाल देखो
लड्डू बरफी बतीशा जलेबियों के थाल भरे
दूध और रबड़ी फलूदे के गिलास भरे
ब्रेक फास्ट लंच और डिनर कैंडल लाईट कर लो
ऎ जी जल्दी बोलो आर्डर बुक करवाओ
ऎ जी……
4) सर्राफे की दुकान आई जेवरों से भरी हुई
सोने के हैं जेवर सारे, साथ में रानी हार देखो
गुलेबन्द, बाजूबन्द, झुमके और नथ देखो
अंगूठी में है हीरा जड़ा नीलम और पन्ना देखो
माथे की श्रृंगार पट्टी पैरों की पाजेब ले लो
ऎ जी जल्दी खरीदो तुमने सीता ले जानी
ऎ जी……….
भजन – 93 काला काला मत करै गुजरी
काला काला मत करै गुजरी मत काले का जिकर करै
काला रंग है पैर मोरनी, रो रो वो तो रुदन करै – 2
1) काले तो हैं बाल कृष्ण जिस पर सोहना मुकुट सजै
काले काले नैन कटीले, देखे बिना जिसे मन ना भरै
इन नैनो में बसाऊँ मूरत, सूरत मुझको प्यारी लगै
काला रंग हैं………
2) काली है ये अम्बर बदली, जिसके बरसे जगत भरै
कड़क बिजली बीच में कड़के जिसके गिरे काला धुंआ उठे
थल पर जल ही जल पड़ने से सारा जल जीवन सुखी रहै
काला रंग है……..
3) काले थे वो नाग सारे जिस पै नाथ नथैया करै
कारी कारी यमुना तीरे सखियों के संग रास करै
सखियाँ नृत्य करै कान्हा संग, प्यारी प्यारी मन को लगै
काला रंग है……..
4) काला तो है कान्हा का काजल जिस पै सखियाँ तुरत मरै
काली थी कान्हा की कमली, जो कांधे पै खूब सजै
सोहने सोहने पैर कान्हा के मस्तानी कान्हा चाल चलै
काला रंग है…….
5) कारी कारी गईयाँ सारी जो कान्हा के संग में रहै
सांवरा है रंग कान्हा का, जिस पै सारा जगत मिटै
कान्हा है भक्तो के प्यारे भक्त जै जै कार करै
काला रंग है……..
6) ऊधो कहे सब सखियाँ काली, कान्हा को काला कहै
ग्वाल बाल सब संग में राजी सब कान्हा कान्हा करै
चन्द्र सखी भज बाल कृष्ण मन भव सागर से सब उतरे
काला रंग है……….
भजन – 94 सुख रास बिहारी की जै जै
अरे माखन की चोरी छोड़, बृज की मुरली मैं बन जाऊं -2
सुख रास बिहारी की जै जै, रस रुप बिहारी की जै जै
1) यमुना तट के बंसी वट के, अन्नदाता अनादि की जै जै
बृज के गोपिन गोप कुमारन सुख सखा की जै जै
बृज की मुरली…………..
2) राजेश्वरी दिन रात रटूं, मनमोहन बनवारी की जै जै
प्रेम से बोलो बोलत डोलो, बाँके बिहारी की जै जै
बृज की मुरली………….
3) बृज भूमि, हे! सखा हमारी, बृज के ऊधो की जै जै
रसिको के संग मस्त रहूं, बृज बाल गोपाल की जै जै
बृज की मुरली…………
4) नित बाँके की कुब्जा रानी, राधा रमण की जै जै
बृज कि रज मस्तक लगाऊँ, सब सखी बाला की जै जै
बृज की मुरली……..
भजन – 95 राधे श्याम बोलो
राधे श्याम, राधे श्याम बोलो जग वालो
मिट जाएंगे संकट सारे राधे श्याम बोलो
1) बरसाने की राधे रानी, नन्द के लाला मेरे मुरारी
गौर वर्ण मेरी राधे रानी, श्यामल रंग मेरे गिरवरधारी
राधे श्याम……………
2) ललिता के सँग राधे रानी, ऊधो के सँग न्यायकारी
रास रचाए राधे रानी, नाग नथैया मेरे काली
राधे श्याम………
3) लाल हरा लहंगा राधे रानी, पीला पटका रमण बिहारी
पायल पहने मेरी राधे रानी, बंसी बजाए मेरे लाल बिहारी
राधे श्याम……………
कहत कबीर सुन मेरे साधो, दोनो ही भक्तों के प्यारे……..
भजन – 96 झूला
बंसी बट पर आओ,
यमुना तट पर आओ मेरी सखियों
1) आये सावन का जब जब महीना
मेरा मन ना करे झूला झूलन का
गीत गाओ मल्हार – 2
मेरी सखियों……….
2) झूला लस्कर का डालो मेरी सखियों
राधे को बिठाओ पटली पर
झोटा दे रहे नन्दलाल – 2
मेरी सखियों………
3) बदरा तो आये उमड़ घुमड कर
पीहू पीहू बोले पपीहा भी
ठण्डी पड़ रही फुहार – 2
मेरी सखियों………..
4) रेशम की डोरी, पटली है रंगाली
राधे श्याम की जोड़ी बनी है छबीली
मैं तो हो गई निहाल, देखत हुई निहाल
मेरी सखियों…….
भजन – 97 दहिया गिराये मेरा माखन चुराये
सांवला सलोना गोपाला बृजग्वाला
दहिया गिराये मेरा माखन चुराये
1) दूध बिलोने जब बैठती हूँ
बंहिया पकड़ के बैठ जाता है
मटकी फोड़े मेरा माखन गिराए – 2
दहिया…………
2) रास्ते से जब गुजरती हूँ
तेरा कान्हा राह रोकता है
सुन री मैया, कान्हा तेवर दिखाए
दहिया………..
3) डाँटती हूँ तो भाग जाता है
बुलाती हूँ तो रुठ जाता है
ऊखल से वो ना बंध पाए
दहिया………..
4) मेरा कान्हा तो भोला भाला
सखियों का ही मन काला
मेरे कान्हा को ना तुम सताओ
दहिया………
5) मैं हूँ गरीबनी गरीब मेरा लाला
बड़े दुखों से सखियों इसे पाला
मेरे कान्हा को नजर ना लग जाए
दहिया……..
भजन – 98 करो तुम प्रेम रघुवर से
करो तुम प्रेम रघुवर से तुम्हे भगवान मिल जाएंगे
तुम्हे भगवान मिल जाएंगे तुम्हे श्रीराम मिल जाएंगे
1) कौशल्या मात का प्यारा तुम लक्ष्मण वीर की छाया
हम दर पै जिसकी आए हैं वो दशरथ नंद दुलारे हैं
करो……
2) वो भीलनी प्रेम की प्यासी, राम दर्शन की अभिलाषी
रिझाया अपने भगवान को, लगा के भोग बेरों का
करो……….
3) भक्त धन्ना रहा भूखा, दर्श पत्थर में पाए थे
जो भजतेराम रघुवर है, वो कष्टो से छूट जाते हैं
करो………
4) प्रेम से पाँव धो धो कर, केवट ने राम दर्श किए
किया था पार रघुवर को, खुशी केवट ने पाई थी
करो………
5) अवधपति राम आए हैं, दर्श हमको कराए हैं
हम निर्गुण भक्तो को भव से प्रभु ने पार लगाया है
करो…………
भजन – 99 आओ मिलजुल काम करें
आओ मिलजुल काम करें
आओ मिलजुल काम करें
लेके नाम भगवान का, अपना मार्ग साफ करें
1) राह राह चलते जाओ, जो मिले दीन दुखी
दुख उनका हरते जाओ, आओ………..
2) जर्रे जर्रे से निकले प्रभु नाम
जो इनको सिमरे उनके बनते बिगड़े काम आओ…
3) अपने हाथों से काम करो, जो कुछ तुम्हें मिलता
थोड़ा उसमें से दान करो, आओ……..
4) अपमान कभी ना सहो, जो दूसरों का करते बुरा
भला उनका भी करते चलो, आओ………
5) दुख दर्द हरते चलो, बेदर्दी ना करना
सदा नाम कमाया करो, आओ………
6) संतो संग रहा करो, बांह पकड़ो
और भव को पार करो, आओ…….
भजन – 100 मोक्ष दे दे भगवान
तर्ज – मेरे दिल में गई समाये भक्ति
मुझे मोक्ष दे दे भगवान
मुझे मोक्ष दे दे भगवान, ना चाहिए मुझे धन – दौलत
1) मुनियों जैसी तपस्या करूँ और संतों जैसा जाप करुँ
मेरी पूरी करो अरदास, ना चाहिए……
2) लेखे मेरे ऎसे लिख दो, धर्मराज मुझे मुक्ति दे दे
मेरी विनती सुनो सरताज, ना चाहिए……
3) कर्म धर्म मेरे सामने ना आए, करनी का फल कभी ना सताए
मृगतृष्णा मिटा दो आज ओह आज, ना चाहिए……
4) मोह माया से बचा क रखना, चरणों में मुझे अपने रखना
रहूँ निशदिन आपका तात -2 ओह तात, ना चाहिए………
5) मुझे प्राणों से प्यारी लगे बृज भूमि और बृज मण्डल में बसाए रखना
बृज वासियों में रहूँ मैं मस्त, ना चाहिए………
भजन – 101 नजर नजर में फर्क है कितना
नजर नजर में फर्क है कितना, आ तुम्हें हम बतलाएँ
दो तरह की नजर का भेद तुम्हे हम समझाएँ
1) ईर्ष्यालु नजर पड़ी पत्थर पर, टुकड़े उसके हो जाते
सीधी नजर पड़ी पत्थर पर तो पत्थर फूल बन जाते
नजर नजर……….
2) तिरछी नजर पड़ी महल पर, दरार उसमें आ जाती
सीधी नजर पड़े दाता की, रंगारंग उत्सव मन जाते
नजर नजर……………
3) टेढ़ी नजर पड़ी धंधे पर, धंधा चौपट हो जाए
सीधी मेहर अगर हो जाए, भरपूर भंडारे भर जाए
नजर नजर………..
4) नजर अगर जग की हो थोड़ा हम संभल जाएं
एक कोर प्रभु कृपा की कर दो, नजर से नजर मिला पाएं
नजर नजर………….
5) अपनी नजर से हे मालिक ज्योति हमें दिखा देना
आप ही रखवाले सब के, आप से क्या हम छिपाएं
नजर नजर……….
भजन – 102 तेरा कोई ना साथ निभाएगा
तर्ज – एक हार बड़ा सोहना
तेरा कोई ना साथ निभाएगा, हंस अकेला उड़ जाएगा
1) तूने डाले गले में झमेले, दो दिन के हैं सारे मेले
महल चौबारे सारे छूटेगें, रिश्ते नाते भी हटेगें
तेरे हाथ ना कुछ भी आएगा, हंस अकेला उड़ जाएगा
तेरा……….
2) घर में रख ले घोड़े हाथी, अंत समय का कोई ना साथी
ना कुछ तेरा ना कुछ मेरा, दुनिया है एक रैन बसेरा
समय बीत गया पछताएगा, हंस अकेला उड़ जाएगा
तेरा…………
3) प्यार जो करते सांझ सवेरे, मतलब के हैं मीत तेरे
भाई बहन और कुटुम्ब कबीला, सांसो तक है रिश्ता नाता
जो बोया काट पाएगा, हंस अकेला उड़ जाएगा
तेरा……..
4) वक्त बचा है संभल जा प्राणी, जीवन की तू मत कर हानि
नैया अपनी पार करा ले, उस दाता का ध्यान लगा ले
तेरा संकट मिट जाएगा, हंस अकेला उड़ जाएगा
तेरा……………
भजन – 103 कितने रुप तुम्हारे हमें बतला देना
तर्ज – मिले ना तुम तो हम घबराए
मेरे विष्णु भगवान नारायण कितने रुप तुम्हारे
हमें बतला देना
कभी आए हो राम रुप में कभी बने हो श्याम
हमें बतला देना
1) अवध कुंवर की शोभा तीन लोक से न्यारी – राम – 2
राम राम सुमरिए, दाम लगे ना कोई कौड़ी
प्रीत की डोरी बांध कर देखो मिल जाएंगे राम
हमें बतला देना
2) श्याम साँवरे मथुरा के बंसी बजैया – श्याम – 2
जगमग ज्योति, पँख फैलाऊं बृज राजा
हम पर कृपा करनी होगी चिन्ता हरो सरताज
हमें बतला देना
3) दीनो के तुम हो रघुवर, राजाराम एक बार आओ – राम – 2
प्रभु तुम नाथ पिता हो, मैं निर्बल हूँ गरीब हूँ
करुणानिधि नाम तुम्हारी महिमा अपरंपार है
हमें बतला देना
4) अर्जुन सखा हो मोहन गीता ज्ञान दिलाया – श्याम – 2
कभी तुम बने हो मोहन द्रुपत के रखवाला
ज्योतिसर उपदेश सुनाया कौरवों से रण रचवाया
हमें बतला देना
5) राम रामायण है, श्याम है भागवत गीता – राम श्याम
राम से रावण सिधारे, श्याम ने कंस पछाड़ा
हर युग में अवतार लिया है, राम श्याम है सहारे
हमें बतला देना
भजन – 104 बधाई
गोकुल में छाई है बहार, आज मेरे श्याम आ गए
नंद जी ने लिया अवतार, आज मेरे श्याम आ गए
1) भादो की आठम को जन्म लिया है – 2
कंस की जेल में कृष्ण हुआ है
विनती सुनाई करतार – आज मेरे
नंद जी………
2) वासुदेव ने दिल में विचारा – 2
कानों से सुनते हैं कंस ने मारा – 2
दिल में किया ये विचार – आज मेरे
नंद जी……….
3) रातो ही रातों में जमुना पे आए – 2
पलने में डालकर ललने को ले आए – 2
यमुना में पानी बेशुमार – आज मेरे
नंद जी……..
4) यमुना को पार किया गोकुल में आए – 2
यशोदा कि गोद से लड़की ले आए – 2
नंद जी की हुई जय जयकार – आज मेरे
नंद जी…………
5) घर में ही आज मेरे गुलशन खिला है – 2
कहने कि बात नही हीरा मिला है – 2
खुशियाँ मनाए दिन रात – आज मेरे
नंद जी……….
भजन – 105 सीता राम भजो
सीता राम, सीता राम, सीता राम भजो
1) जिसने बंदे तुझे मानव जन्म दिया है
उस मालिक का ना कभी ध्यान किया
कुछ मन से विचारा करो
सोते जागते सीताराम पुकारा करो
सीताराम………
2) बंदा अहसान कर के जतलाता है
मालिक सब कुछ देकर भूल जाता है
फिर उसको तूने भुला दिया
जिसने तेरे लिए जग में अवतार लिया
सीताराम………………..
3) जिसके बिना हम रह नहीं पाते
उस मालिक के तेज को हम नहीं जानते
फिर हवा ये कैसी चलाई है
बंदे कर्मों के हिसाब से खिंचाई है
सीताराम………
4) मालिक अगर सूरज चाँद ना बनाता
आँखे चाहे जितनी हो दिखाई नहीं देता
फिर भी तू शुक्रगुजार नहीं
जिसने तुझे बनाया, उससे प्यार नहीं
सीताराम…………
भजन – 106 बागों में गए बजरंगी
उन बागों में गए बजरंगी जिसमें झूले जानकी
सात समुंदर लांघ कर मैं लाया निशानी राम की
1) सीता मैया लाया हूँ मैं एक निशानी राम की
देख देख हरषाओ माँ जय बोलो श्रीराम की
सीता माता सोच रही थी कौन आ गया राम जी
सात समुंदर……
2) इस मुंदरी में मीना जड़ रहा श्रीराम चंद्र जी के नाम का
सच्ची सच्ची कहूँ मेरी मैया मैं सेवक श्रीराम का
सेवा निश दिन करूँ चरणों में चारो धाम माँ
सात समुंदर………..
3) इस मुंदरी में सीता मैया नाम सिर्फ राम है
और साथ में सीता मैया लक्ष्मण का प्रणाम है
मैया मूरत दोनो की हृदय में लाया राम जी
सात समुंदर…………
4) मुंदरी में संदेश लिखा है राम लखन के आने का
और भरोसा इस मुंदरी में राम के अग्नि बाण का
लंका से ले जाने का, 2 करो भरोसा राम जी
सात समुंदर…………
5) इस मुंदरी में सत्य धर्म और हरि भक्तों की प्रीत है
कहे संतोष इस मुंदरी में राम नाम की जीत है
जय बोलो बजरंग बली की – 2 पता लगाया राम जी
भजन – 107 चली चली रे मैं दुर्गा मंदिर
तर्ज – चली चली रे पतंग मेरी चली रे
चली चली रे मैं दुर्गा मंदिर चली रे!
लेके हाथों में थाल और फूल श्रृंगार
मैं तो चली रे………
1) भक्तो, ऊँचे पहाड़ो बना मंदिर
उसमें मैया है अति सुंदर
ध्वज, नारियल लेके तेरी भेंट चढ़ाने
मैं तो आई रे…..मैं तो चली रे……
2) मैया शुम्भ निशुम्भ संहारे
भक्तों के कष्ट निवारे
मैया नव निधान हरे दुखड़े हजार
मैं तो आई रे…..मैं तो चली रे…..
3) मैया त्रिपुर सुंदरी तुम हो
और महालक्ष्मी भी तुम हो
मैया जगतमयी उपकारमयी
मैं तो आई रे…..मैं तो चली रे…..
4) मैया उज्जवल ज्योति निराली
दिन रात रहे भाग्यशाली
तेरी आरती गाऊँ और भोग लगाऊँ
मैं तो आई रे…..मैं तो चली रे…..
भजन – 108 स्वयं
बुलाओ ना तुम, मैं खुद आ रहा हूँ
चरण पर चढ़ाने को दिल ला रहा हूँ
1) तुम्हारी खतम कर के असीम दूरी
खतम कर के अपनी ये मंजिल अधूरी
खतम करने की कामना कर के पूरी
मिटाने खुद को मैं स्वंय आ रहा हूँ
चरण पर चढ़ाने को दिल ला रहा हूँ…….
2) गगन की गगनता को भी आप नाप कर के
धरती को चरण के तले दाब कर के
उदधि को पवन के सदृश लाँघ कर के
मैं मिलने को तुम से बढ़ा आ रहा हूँ
चरण पर चढ़ाने को दिल ला रहा हूँ………..
3) सुखद स्वर्ग के पुष्प को उड़ाता
नरक कीच को कीच में ही डुबाता
मिलन की खुशी में मिलन गीत गाता
मैं मिलने को तुमसे चला आ रहा हूँ
चरण पर चढाने को दिल ला रहा हूँ……….
4) अवधि बेकली की अधिक बढ़ गई है
उमड़कर नयन में घटा चढ़ गई है
छलकने को बाहर नदी बढ़ गई है
पुतलियों में भर-भर प्रलय ला रहा हूँ
चरण पर चढ़ाने को दिल ला रहा हूँ……….
यहाँ से जो भजन आरंभ है वह भगवान की प्रीत से अलग हैं जो देश व समाज को समर्पित हैं –
भजन – 109 माँ
एक जहां में धरती माता और एक जहां में जननी माता
अंतर क्या दोनो में बोलो, कहलाती हैं दोनो माँ
1) धरती माँ हमें अन्न धन देती, वंश बढ़ाती जननी माँ
दोनो ही कर्त्तव्य निभाती, प्रण निभाती दोनो माँ
नमन करे हम दोनों को भाग्य विधाता है माता
अंतर क्या………..
2) धरती माँ हमें राह दिखाती, चलना सिखाती जननी माँ
धरती पर दरिया बहते, प्यार बहाती जननी माँ
उसी प्यार में बह जाते हैं माँ हमारी जगदाता
अंतर क्या………..
3) धरती माँ हमें मान देती, ज्ञान देती जननी माँ
धरती माँ छाया देती, ममता का आँचल जननी माँ
छाया आँचल दोनो मिल गए और हमें चाहिए क्या
अंतर क्या…………..
4) धरती पर घर बनाते और उस घर को स्वर्ग बनाती जननी माँ
धरती पर फल फूल खिलते, घर में खिलते बच्चे माँ
बलिहारी जाए तुम पर हम, ऎसी है ये दाता
अंतर क्या…………
5) धरती से हमें जीवन मिलता, प्राण डालती जननी माँ
दोनो ही जीवनदाता है, दोनो ही कहलाती माँ
बार – बार प्रणाम तुम्हें माँ, रक्षक है दोनो माता
अंतर क्या…………
भजन – 110 तूफान में नैया
इस देश की है आज भी तूफान में नैया
भारत में फिर से आ जाओ, बलराम हे कन्हैया
1) सब ओर पड़ा है सूखा, आधा है देश भूखा
घनघोर है महंगाई, जनता भी तंग आई
देश में छोटे बड़े अजगर है, हे कन्हैया
डसते हैं आज भी, हे नागों के नथिया
भारत में……….
2) महलों में है दीवाली, कुटिया में रात काली
कुछ लोग सुख जीते, कुछ लोग आंसू पीते
इस देश की ये सूरत, आ जाओ है जरुरत
लाखो सुदामाओ की है सुनसान सब डगरिया
भारत में………..
3) ये सोच रहे हैं सभी, ऎसा ना था वक्त कभी
बच्चे ना दूध पाते हैं, माँ बाप छटपटाते हैं
हे! दीन बंधु आओ, करुणा निधान आओ
कटती हैं लाखो तेरी गैया, हे गोपाल
भारत में…………
भजन – 111 पंछी
पंछी तेरी अजब कहानी, एक शिकारी ने तुझको पकड़ा
1) पिंजरे अंदर पंछी बैठा, बंद कर के वो शिकारी लौटा
बुझ गया है मेरा जीवन, शिकारी तूने मुझको पकड़ा
मैं पंछी उड़ने वाला तूने क्या ये मुझको पकड़ा
पंछी……….
2) मैं गगन में उड़ने वाला तूने मुझ पर डाका डाला
मुझ पंछी को बंद किया और तूने मुझ पर फंदा डाला
महक मेरी को तूने रौंदा, तू इंसा है मन का तगड़ा0
पंछी…………
3) गगन की गगनता को कैसे निहारूँ, कैसे उड़ू और पंख फैलाऊं
धिक्कार तुझे है हे मानव, पंखों को तूने मेरे जकड़ा
क्रोध की डोर से मुझको बांधा, बंद कुंए में मुझको डाला
पंछी…………
4) अपनी विवशता को कैसे बताऊँ, अपनी पीड़ा किसे सुनाऊँ
आठो प्रहर का पहरा बिठाया, सदमा मुझको गहरा लगाया
मैं आसमां को छूने वाला, तूने मेरा कर्म बिगाड़ा
पंछी…………..
5) क्या करूँ मैं भूखा मरता, खाने का नहीं दाना मिलता
बुझ गई बाती उजड़ गया ताना, इंसा तूने मुझको मारा
तुम इंसा हो बड़े निराले हम पंछी को कैसे पछाड़ा
पंछी…………
भजन – 112 मस्ती
मुझे मेरी मस्ती कहां लेकर आई
मेरे सिवा जहां कोई भी नहीं है…….
1) पी के बहक गया महफिल में बैठा
बहकता गया मैं बहकता गया हूँ
उठने का मुझे मिला ना सहारा
2) उलफत में उलझा, किनारा नहीं था
किसी का भी मुझको सहारा नहीं था
बेचैन हूँ मै बेचैनियों में
3) ठुकराया अपनो ने धोखा दिया
हुआ है क्या, कभी मुझे समझ ना आया
जिल्लत का मुझे होश ना आया
4) घर भी खोया, जर भी खोया
आया जमीं पर जी भर के रोया
घर में किसी ने ना मुझको अपनाया
5) उठा जब जमीं से चक्कर आया
मस्ती में अपनी सब कुछ गंवाया
कंगाल होकर के घर में आया
6) बुजुर्गों ने मुझको सच ही कहा था
संभल जा, जल्दी घर से ना जा
कहना किसी का मैने कभी ना माना
भजन – 113 दुनियादारी
ये है दुनिया बड़ी सयानी, जिसे देखो सभी है ज्ञानी
1) एक शराबी से मैने पूछा –
क्यों खराब कर ली है जवानी
वो बोला – क्या तुम मुझको बताते
तुम भी हर रोज अंगूर खाते
उसी अंगूर रस का है ये पानी
ये है………….
2) एक दिन बोला मैं एक जुआरी से
संभल जा तू इस बीमारी से
बोला वो मैल का ये मेला
ये तो युधिष्ठिर ने भी है खेला
मैने बात पुरखों की है मानी
ये है……………
3) पूछा जेब कतरे से क्यों जेब काटते हो
निर्धन और गरीबों का क्यूँ खून चाटते हो
वो बोला भाई इसमें है क्या बुराई !!
जेब काटना तो हाथो की है सफाई
दुनिया में हैं हमें भी रोटी खानी
ये है………
4) दहेज के भिखारी से जब पूछा
क्यों दहेज लेते हो नारी से
वो बोला – ये तो लेन – देन है
मुझे भी तो बेटी को देना है
ये रस्म तो है निभानी
ये है………….
5) ऎसे ही हैं बहुत से किस्से और कहानी
जिन्हें कभी ना अपनाना है
संतोष तुम ऊँचा नाम करो
सदा ही सच्चा काम करो
क्योकि हमारा जिस्म है एक दानी
ये है…………..
भजन – 114 बुराई
बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सहो
1) दीन दुखियों को देखो, गले से लगाओ
देंगे दुआएँ फल उसका तुम पाओ
मन को देखो, तन को ना देखो
सच को देखो और और सब को दिखाओ
बुरा मत देखो…………..
2) करोगे बुराई अगर तुम किसी की
स्वर्ग द्वार पर ताला लगेगा उसी दिन
सत्संग में जाओ बचन सच्चे सुन आओ
सुनो सुनाओ जीवन सफल बनाओ
बुरा मत देखो…………
3) वाणी को अपनी मीठी बनाओ
जीव्हा पर अपनी सच को बसाओ
अमृत घुलेगा अमृत पिलाओ
सच्चाई को अपनी राह बनाओ
बुरा मत देखो………
4) अगर कोई तुम्हारी राह भटकाए
उसे भी तुम अच्छा मार्ग दिखाओ
अच्छा बनो और सभी को अच्छा बनाओ
नरक द्वार पर अपने ताला लगाओ
बुरा मत देखो…………
भजन – 115 बँटवारा
एक है माता और पिता, सात हम भाई हैं
देखो दुनिया वालो, हमने पार्टी अलग बनाई है
1) घर है एक पर उसमें अलग – अलग कोने हैं
दो भाई तो सिख बने बाकी पाँच मोने हैं
यहाँ तो खिचड़ी अपनी-अपनी सब ने पकाई है
देखो दुनिया………….
2) साठ साल से बापू तो कांग्रेसी कहलाते हैं
एक भाई तो सोशलिस्ट, दूसरा कम्यूनिस्ट है
तीसरे ने भाजपा पार्टी बनाई है
देखो दुनिया……
3) चौथा भाई तो मेरा आपका दीवाना है
पांचवां भाई किसान मजदूर का परवाना है
ओढ़ने वाले ज्यादा हैं, छोटी पड़ी रजाई हैे
देखो दुनिया………….
4) सिख भाई हैं जो मेरे उनका क्या कहना है
एक अकाली दल का नेता, दूसरा जत्थेदार है
घर पूरे में रहती रोज लड़ाई है
देखो दुनिया…………
5) एक भाई ने दूसरे का घर जलाया है
तीसरे ने मेरा लुंगी कुर्ता चुराया है
मैने भी उसकी खटिया में आग लगाई है
देखो दुनिया…………
6) हिन्दु, मुस्लिम, सिख और ईसाई
आपस में सब बनो तुम भाई
आओ मिलकर काम करें
देश का ऊँचा नाम करें
सबसे अच्छी और ऊंची प्रेम सगाई है
देखो दुनिया……….
भजन – 116 गऊ माता
जिसके आँचल से दूध नहीं, अमृत की धाराएँ आती हैं
वह कालजयी, जग जननी ही, श्रीगोमाता कहलाती है
1) जिसके गोबर से भिन्न – 2 जैविक खाद मिले
ऊर्वरा खेती हो जाती है, उन्नत फसलों का प्रसाद मिलें
ऊर्जा का साधन बन कर जो घर आँगन को चमकाती है
वह कालजयी………….
2) गोमूत्र परम गुणकारी है, जिसमें है संजीवनी शक्ति
जीवन को रोग विमुक्त करे, दैवी पावन अभिव्यक्ति है
जो पर्यावरण की चौखट से प्रदूषण को हटाती है
वह कालजयी…………
3) गोदुग्ध धरा का अमृत है, अमृत है जो तन मन को बल देता है
बुद्धि, विवेक, सौंंदर्य और मेधा का दिव्य प्रणेता है
ऎसे अनुपम उपहारों की जो सौगाते बरसाती है
वह कालजयी…………
4) कभी कामधेनु, कभी कपिला बन, सृष्टि को उज्जवल करती है
जो वातावरण सुधारती है और विश्व का मंगल करती है
जिसके वरदान से हर काया, अनमोल रत्न बन जाती है
वह कालजयी…………..
भजन – 117 गौमाता
गऊ माता सुख की दाता, मेरे अंगना में आ जाना
रात – दिन तेरी सेवा करुंगी, मेरे घर में ही रहना
1) कार्तिक शुदी गोपाष्टमी को माँ तेरी पूजा होती है
भक्त परिक्रमा कर गोधूली को मस्तक पर लगाते हैं
रविवार को भक्तजन गोबर से शुद्ध घर को करते
गऊ माता………..
2) तेरे पंच तत्व से पंचागम चरणामृत बनता है
जिसके पीने से हे! माँ जीवन सफल हो जाता है
नमन करे तेरे चरणो में उसको तुम स्वीकार करो
गऊ माता……………
3) जितने माँ बछड़े जाय वो सब हल में जोत लिए
अन्न धन हम को मिला उन्हीं से घर में भरपूर भंडार हुआ
इसी रुप में गैया जी श्यामा तुम पर बलिहारी गए
गऊ माता…………….
4) गऊ के संग रहते कान्हा बंसी मधुर बजाते हैं
ग्वाल बाल मस्ती में मिल – जुल माखन खूब चुराते हैं
चंद्र सखी भज बाल कृष्ण मन भव से पार हो जाते हैं
गऊ माता…………
भजन – 118 तुलसी रानी
मैं तुझसे पुछूँ, ऎ! तुलसी रानी
किस विध कृष्ण पाए मेरे राम
1) सावन महीने सखी साग ना खाया
भादवा महीने दही ना खाई मेरे राम
आसुज में सखी पितर जमाए
कार्तिक ठण्डे जल नहाई मेरे राम
मैं तुझसे……..
2) मंगसर में सखी माँग भराई
पौष मैं रजाई ना ओढ़ी मेरे राम
माघ मैं सखी जमीं पर सोई
फागुन फगवा ना खेली मेरे राम
मैं तुझसे…………..
3) चैत्र मैं सखी फल फूल खिल गए
तोड़ काकड़ी ना खाई मेरे राम
वैसाख मैं सखी गरमी पड़ै है
कभी पंखा ना चलाया मेरे राम
मैं तुझसे…………..
4) जेठ मैं सखी तपत बहुत है
बिना मांगे पानी दिया मेरे राम
आषाढ़ मैं सखी इन्द्र बरसे
कभी ना छतरी ओढ़ी मेरे राम
मैं तुझसे………..
5) बारह महीने सखी तप किया था
जब कृष्ण वर पाए मेरे राम
जब हम गावै बारह महीनो
भक्तजन गंगा नहावै मेरे राम
मैं तुझसे……………
श्याम और राम की वर्णमाला
1) जय,जय,जय श्री राघव राम
2) जय, जय, जय श्री माधव राम
3) अवध निवासी सीता राम
4) मथुरा वासी राधेश्याम
5) जय दुख भंजन सीता राम
6) असुर निकंदन राधेश्याम
7) धनुषधारी सीता राम
8) मुरलीधारी राधेश्याम
9) भवभय भंजन सीता राम
10) जन मन रंजन राधेश्याम
11) जय रघुनंदन सीता राम
12) जय यदुनंदन राधेश्याम
13) जय सुखकारी सीताराम
14) जय दुखहारी राधेश्याम
15) दशरथ नंदन राघवराम
16) नंद के नंदन राधेश्याम
17) कौशल्या के प्यारे राम
18 यशोदा के नैन तारे श्याम
19) जय दुख नाशक सीता राम
20) प्रेम प्रकाशक राधेश्याम
21) तुलसी भाए सीता राम
22) सुर लुभाए राधेश्याम
23) अधम उधारन सीता राम
24) कलिमद मारन राधेश्याम
25) रघुपति राघव राजा राम
26) यदुपति यादव मोहन श्याम
27) जयति खरारी राघव राम
28) जयति मुरारी माधव श्याम
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा
हे नाथ नारायण वासुदेवा, हे नाथ नारायण वासुदेवा
कृष्ण नाम की वर्णमाला
1) कन्हैया 2) कृष्ण 3) केशव 4) चक्रधारी 5) नन्दलाला 6) माधो 7) श्यामसुंदर 8) मुरारी 9) राधावर 10) बंसी बजैया 11) रघुवीर 12) नटवर 13) नन्दनन्दन 14) गजाधर 15) अमर 16) अजर 17) अविनाशी 18) निरोत्तम 19) अर्जुन सखा 20) सांवरिया 21) सांवला 22) गोपाल 23) दामोदर 24) बृजनाथ 25) दयालु 26) दीनबन्धु 27) जगदीश 28) दीनानाथ 29) जगतदाता 30) जगतपिता 31) बावन 32) यशोदालाल 33) नारायण 34) बिहारी 35) मदन मोहन 36) कृष्णनिधि 37) सर्वरक्षक 38) ईश्वर 39) सर्वशक्तिमान 40) सर्वव्यापक 41) मनहरण 42) बांके बिहारी 43) गोपीनाथ 44) बृजवल्लभ 45) गोवर्धनधारी 46) घनश्याम 47) परमानन्द 48) पतितपावन 49) ज्योतिस्वरुप 50) राधास्वामी 51) राधारमण 52) माधव 53) मधुसूदन 54) रघुपतिराम 55) हरि 56) मुरली मनोहर 57) श्यामा 58) कल्याणकारी 59) अनन्त 60) परम पिता 61) प्रभु 62) परम पवित्र 63) गोसाईं 64) भगत वत्सल 65) वासुदेव 66) परमात्मा 67) दुखहर्ता 68) विधाता 69) निरंजन 70) काली 71) नाग नथैया 72) अभय 73) अन्तर्यामी 74) सर्वाधार 75) अद्वैत 76) घटघट के वासी 77) दीन 78) नाथ 79) दाता 80) परमेश्वर 81) रमणीक 82) निराकार 83) निरविकार 84) अच्युत 85) न्यायकारी 86) जगत 87) कर्ता 88) त्रिभुवननाथ 89) शंकर 90) विष्णु 91) सत्यनारायण 92) ज्योतिस्वरुप 93) संहरता 94) पालनकर्ता 95) केशव 96) गोपीवल्लभ 97) राधेश्याम 98) सत्यस्वरुप 99) आनन्ददाता 100) दयलु 101) अनादि 102) विश्वकर्ता 103) पूर्णपरमात्मा 104) स्वामिन 105) सतचित 106) आनन्दस्वरुप 107) कृष्णा 108) भक्तसखा
संक्षिप्त रामायण
1) अवधपुरी में जन्मे राम – सीता राम सीता राम
2) दशरथ नन्द दुलारे राम – सीता राम सीता राम
3) कौशल्या के प्यारे राम – सीता राम सीता राम
4) सुमित्रा नैन के तारे राम – सीता राम सीता राम
5) चारों भाई मन भाये राम – सीता राम सीता राम
6) कैकेयी के दुलारे राम – सीता राम सीता राम
7) अवधपुरी के निवासी राम – सीता राम सीता राम
8) गुरुवर के शिष्य राम – सीता राम सीता राम
9) भवभय के भंजन राम – सीता राम सीता राम
10) रघुपति राघव राजाराम – सीता राम सीता राम
11) धनुषधारी है मेरे राम – सीता राम सीता राम
12) जय सुखकारी श्रीराम – सीता राम सीता राम
13) तुलसी के मन भाये राम – सीता राम सीता राम
14) अधम उद्धारण मेरे राम – सीता राम सीता राम
15) दुख के हरता है श्रीराम – सीता राम सीता राम
16) गुरुवर के संग जाते राम – सीता राम सीता राम
17) राक्षसों के संहारे राम – सीता राम सीता राम
18) जनकपुरी को जाते राम – सीता राम सीता राम
19) जनक स्वंयवर रचाये राम – सीता राम सीता राम
20) धनुष को तोड़ा श्रीराम – सीता राम सीता राम
21) सीता को अपनाये राम – सीता राम सीता राम
22) अवधपुरी में आये राम – सीता राम सीता राम
23) राजतिलक की तैयारी राम – सीता राम सीता राम
24) कैकेयी क्रोधित हुई मेरे राम – सीता राम सीता राम
25) मंथरा संग कैकेयी आई मेरे राम – सीता राम सीता राम
26) मंथरा चाल चली मेरे राम – सीता राम सीता राम
27) कैकेयी रुठ गई मेरे राम – सीता राम सीता राम
28) दशरथ से वचन लिए मेरे राम – सीता राम सीता राम
29) दशरथ वचन निभाया मेरे राम – सीता राम सीता राम
30) राम बनवास दिलाया राम – सीता राम सीता राम
31) राम लखन सीता गये बनवास – सीता राम सीता राम
32) पंचवटी में किया विश्राम – सीता राम सीता राम
33) शूर्पनखा आई मेरे राम – सीता राम सीता राम
34) शूर्पनखा परपंच रचाई – सीता राम सीता राम
35) शूर्पनखा ने अपमान कराया राम – सीता राम सीता राम
36) रावण भेष बदला मेरे राम – सीता राम सीता राम
37) रावण भिक्षा मांगी मेरे राम – सीता राम सीता राम
38) बीच में लक्ष्मण रेखा राम – सीता राम सीता राम
39) सीता भिक्षा लाई मेरे राम – सीता राम सीता राम
40) रावण हरण किया मेरे राम – सीता राम सीता राम
41) जटाऊ ने सब देखा श्रीराम – सीता राम सीता राम
42) जटाऊ ने शोर मचाया राम – सीता राम सीता राम
43) जटाऊ रावण संग हुआ संग्राम – सीता राम सीता राम
44) जटाऊ जमीन पर गिरा मेरे राम – सीता राम सीता राम
45) राम लखन ने देखा मेरे राम – सीता राम सीता राम
46) जटाऊ कथा सुनाई मेरे राम – सीता राम सीता राम
47) जटाऊ प्राण त्यागे श्रीराम – सीता राम सीता राम
48) राम विलाप किया मेरे राम – सीता राम सीता राम
49) लक्ष्मण धीर बंधाई राम – सीता राम सीता राम
50) सिया सिया पुकारे राम – सीता राम सीता राम
51) हनुमत सुग्रीव मिले मेरे राम – सीता राम सीता राम
52) हनुमत को मिले श्रीराम – सीता राम सीता राम
53) अपना कष्ट बताया राम – सीता राम सीता राम
54) हनुमत दूत बने है राम – सीता राम सीता राम
55) लंका में गये हनुमान – सीता राम सीता राम
56) सीता भेंट किनी राम – सीता राम सीता राम
57) सीता हनुमत हुई पहचान – सीता राम सीता राम
58) सीता को मुद्रिका दिखाई हनुमान – सीता राम सीता राम
59) सीता की मुद्रिका पहचान – सीता राम सीता राम
60) मुद्रिका देख सीता हैरान – सीता राम सीता राम
61) हनुमत भूख लगी मेरे राम – सीता राम सीता राम
62) हनुमत तोड़ फल खाये मेरे राम – सीता राम सीता राम
63) टूटे फल देख आये बागबान – सीता राम सीता राम
64) बागबान मार गिराये हनुमान – सीता राम सीता राम
65) रावण दरबार लगाया राम – सीता राम सीता राम
66) अक्षय हनुमत युद्ध हुआ मेरे राम – सीता राम सीता राम
67) अक्षय कुमार को मारा हनुमान – सीता राम सीता राम
68) पूंछ में आग लगाई मेरे राम – सीता राम सीता राम
69) हनुमत लंका फूंकी मेरे राम – सीता राम सीता राम
70) हनुमत मेघनाद हुआ संवाद – सीता राम सीता राम
71) रावण हनुमत युद्ध हुआ मेरे राम – सीता राम सीता राम
72) विभीषण तलवार पकड़ी राम – सीता राम सीता राम
73) रावण कुंभकरण के महल गए राम – सीता राम सीता राम
74) रावण हाल सुनाया राम – सीता राम सीता राम
75) विभीषण शरण गए श्रीराम – सीता राम सीता राम
76) रावण अंगद हुआ संवाद – सीता राम सीता राम
77) अंगद पाँव जमाया राम – सीता राम सीता राम
78) अंगद का पाँव उठा ना राम – सीता राम सीता राम
79) किष्किन्धा पहुंचे श्रीराम – सीता राम सीता राम
80) अंगद ने हाल सुनाया मेरे राम – सीता राम सीता राम
81) लक्ष्मण मेघनाद युद्ध हुआ श्रीराम – सीता राम सीता राम
82) लक्ष्मण मूर्छित हुए मेरे राम – सीता राम सीता राम
83) हनुमत वैद्य बुलाए श्रीराम – सीता राम सीता राम
84) वैद्य बूटी मंगाई मेरे राम – सीता राम सीता राम
85) कौन बूटी लाए मेरे राम – सीता राम सीता राम
86) हनुमत बूटी लाएंगे मेरे श्रीराम – सीता राम सीता राम
87) हनुमत पर्वत गये मेरे राम – सीता राम सीता राम
88) रावण माया रची मेरे राम – सीता राम सीता राम
89) बूटी समझ ना आई मेरे राम – सीता राम सीता राम
90) पर्वत सारा लाए हनुमान – सीता राम सीता राम
91) संजीवनी बूटी आई मेरे राम – सीता राम सीता राम
92) लक्ष्मण मूर्छा खुली मेरे राम – सीता राम सीता राम
93) कुंभकरण मारे गए मेरे राम – सीता राम सीता राम
94) लक्ष्मण मेघनाद युद्ध हुआ मेरे राम – सीता राम सीता राम
95) लक्ष्मण हाथ मरा मेघनाद – सीता राम सीता राम
96) राम रावण युद्ध हुआ घमासान – सीता राम सीता राम
97) राम के हाथ रावण सिधाए मेरे राम – सीता राम सीता राम
98) लक्ष्मण ने रावण से शिक्षा ली मेरे राम – सीता राम सीता राम
99) विभीषण को राज्य दिया श्रीराम – सीता राम सीता राम
100) आये अयोध्या नगरी श्रीराम – सीता राम सीता राम
101) नन्दी गाँव भरत मिलाप श्रीराम – सीता राम सीता राम
102) भरत राज्य सौंपे श्रीराम – सीता राम सीता राम
103) अयोध्यावासी हुए खुशहाल – सीता राम सीता राम
104) सीता के संग में श्रीराम – सीता राम सीता राम
105) हनुमत भक्त बने श्रीराम – सीता राम सीता राम
106) राम लखन सीता मेरे राम – सीता राम सीता राम
107) चरणों में बैठे हनुमान – सीता राम सीता राम
108) जय जय जय श्रीराम – सीता राम सीता राम
आरती जगदीश जी की
ऊँ जय जगदीश हरे, प्रभु जय जगदीश हरे ।। टेक
भक्तजनों के संकट, क्षण में दूर करे ।। ऊँ ।।
जो ध्यावै फल पावै, दुख विनसै मनका ।। प्रभु ।।
सुख – सम्पत्ति घर आवै, कष्ट मिटै तन का ।। ऊँ ।।
मात – पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी ।। प्रभु ।।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी ।। ऊँ ।।
तुम पूरन परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।। प्रभु ।।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ।। ऊँ ।।
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्त्ता ।। प्रभु ।।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्त्ता ।। ऊँ ।।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति ।। प्रभु ।।
किस विधि मिलूँ दयामय ! मैं तुमको कुमती ।। ऊँ ।।
दीनबन्धु दुखहर्त्ता, तुम ठाकुर मेरे ।। प्रभु ।।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा मैं तेरे ।। ऊँ ।।
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा ।। प्रभु ।।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ।। ऊँ ।।
भजनों के इस संग्रह में मैं अपने भाईयों जगदीश व रामशरण, भाभी, कमला और अनामिका का धन्यवाद देती हूँ जिन्होंने इस संकलन में मेरा मार्गदर्शन किया। इसके साथ ही मैं अपनी पुत्रवधु वंदना और अनीता की भी आभारी हूँ जिन्होंने मेरी त्रुटियों को समय-समय पर सही किया।
संतोष देवी
जीवन में हर व्यक्ति किसी ना किसी समस्या से परेशान है, अपनी इन समस्याओं का समाधान पाने के लिए संपर्क करें ज्योतिषाचार्या – चन्द्रप्रभा से।
संपर्क सूत्र – 9582881489
ईमेल – cprabha123@gmail.com
हर प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम व भागवत कथा के लिए संपर्क करें :-
भागवत कथा आचार्य एवं संयोजक श्री अभिषेक भारद्वाज
संपर्क सूत्र – 09996090550