जन्म के समय से ही संस्कारों अथवा मुहूर्तों का चयन भिन्न-भिन्न कामों के लिए किया जाता है. जन्म के बाद नामकरण मुहूर्त, मुंडन मुहूर्त, विद्यारंभ मुहूर्त, विवाह मुहूर्त, नौकरी का मुहूर्त और ना जाने कितनी ही बाते हैं जिनके आरंभ से पहले शुभ समय पर विचार करना आवश्यक समझा जाता है. वर्तमान समय में बहुत सी बातों के लिए मुहूर्त देखना कठिन सा प्रतीत होता है लेकिन फिर भी हम कुछ प्रमुख कामों में शुभ मुहूर्त की जानकारी अपने पाठकों को दे रहे हैं. इन सभी मुहूर्तों में अधिक मास, रिक्ता तिथियों (चतुर्थी, नवमी, चतुर्दशी), पितृ पक्ष, वैधृति आदि दुष्ट योग के साथ गुरु व शुक्र के अस्त का विचार भी अवश्य कर लेना चाहिए कि जिस समय के मुहूर्त है उस समय यह दोष तो नहीं हैं. विभिन्न कार्यों के लिए यह मुहूर्त निम्नलिखित हैं :-
मुहूर्त का नाम | शुभ तिथियाँ | शुभ वार | शुभ माह | शुभ नक्षत्र |
बच्चे का नामकरण | कृष्ण प्रतिपदा, दोनो पक्षों की 2,3, 7,10,11तिथियाँ, शुक्ल पक्ष की त्र्योदशी, पूर्णिमा | सूतकान्त, 10, 12, 13, 16 आदि दिनों में और सोम, बुध, गुरु व शुक्रवार | कोई भी माह अपनी सुविधानुसार ले सकते हैं. | अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, तीनों उत्तरा, हस्त, चित्रा, स्वाती, अनुराधा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती |
विद्यारंभ मुहूर्त | 2,3,5,7,10,11,12, शुक्ल तृतीया, पूर्णिमा | रविवार, सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार | 14 जनवरी से15 जुलाई आषाढ़ तक उत्तरायण मासों में | अश्विनी, मृगशिरा, रोहिणी, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, तीनों पूर्वा, हस्त, चित्रा, स्वाती, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, तीनों उत्तरा |
मुंडन संस्कार | कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, 2,3,5,6, 7,10,11, शुक्ल पक्ष की त्र्योदशी, पूर्णिमा | सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार | जन्म से 1, 3, 5 इत्यादि सालों में, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ मास तक, माघ, फाल्गुन उत्तरायणे | अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, चित्रा, स्वाती, ज्येष्ठा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती और जन्म नक्षत्र भी ले सकते हैं. |
नई नौकरी आरंभ करना | 2,3,5,6,7,10,11, 12 व पूर्णिमा तिथि | रविवार, सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार | उत्तरायण महीने शुभ हैं. | अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, तीनों उत्तरा, हस्त, चित्रा, अनुराधा, ज्येष्ठा, श्रवण, रेवती |
वाहन क्रय करना | कृष्ण प्रतिपदा, 2, 3,5,6,7,10,11,12, शुक्ल त्र्योदशी, पूर्णिमा | सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार | किसी भी माह में द्विपुष्कर व त्रिपुष्कर योगों में ले सकते हैं. | अश्विनी, तीनों उत्तरा, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, तीनों उत्तरा, तीनों पूर्वा, हस्त, चित्रा, स्वाती, अनुराधा, धनिष्ठा, रेवती |
गृहारंभ करना अथवा मकान बनाना नींव खोदना | कृष्ण प्रतिपदा, 2, 3,5,6,7,10,11,12, शुक्ल 13 व पूर्णिमा | सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार | वैशाख, ज्येष्ठ, श्रावण, भाद्रपद, मार्गशीर्ष, माघ, फाल्गुन शुभ हैं | अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुनर्वसु, पुष्य, तीनों उत्तरा, हस्त, चित्रा, स्वाती, अनुराधा, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती |
नव गृह प्रवेश | कृष्ण प्रतिपदा, 2, 3,5,7,10,11, शुक्ल 13 व पूर्णिमा | सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार | वैशाख, ज्येष्ठ, कार्तिक, मार्गशीर्ष, माघ व फाल्गुन | अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, तीनों उत्तरा, हस्त, चित्रा, स्वाती, पुष्य, अनुराधा, धनिष्ठा, रेवती |
सगाई का मुहूर्त | कृष्ण प्रतिपदा,2,3, 5,6,7,8,10,11,12, शुक्ल त्र्योदशी व पूर्णिमा तिथि | रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार | वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, मार्गशीर्ष, माघ, फाल्गुन | अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, मघा, तीनो पूर्वा, तीनो उत्तरा, हस्त, चित्रा, स्वाती, अनुराधा, मूल, श्रवण, धनिष्ठा, रेवती |
विवाह मुहूर्त | कृष्ण प्रतिपदा,2,3, 5,7,8,9,10,11,12, शुक्ल 13 व पूर्णिमा | रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार शुभ हैं, मंगल व शनि मध्यम हैं. | वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, मार्गशीर्ष, माघ, फाल्गुन, कार्तिक | रोहिणी, मृगशिरा, मघा, तीनो उत्तरा, हस्त, चित्रा, स्वाती, अनुराधा, मूल, श्रवण, धनिष्ठा, रेवती |
आप्रेशन कराने का मुहूर्त | 2,3,5,6,7,10,12, 13 | रविवार, मंगलवार, गुरुवार, शनिवार | किसी भी माह में दिए शुभ वार व तिथि में | अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, हस्त, चित्रा, स्वाती, अनुराधा, अभिजित, श्रवण |
भूमि खरीदने का मुहूर्त | कृष्ण प्रतिपदा, 5, 6,10,11 व पूर्णिमा | मंगलवार, गुरुवार, शुक्रवार | सभी माह में दी तिथियाँ व दिए वार ले सकते हैं. | मृगशिरा, पुनर्वसु, अश्लेषा, मघा, विशाखा, अनुराधा, तीनो पूर्वा, मूल, रेवती |
मुकदमा आरंभ करना | 3,5,8,10, शुक्ल त्र्योदशी | रविवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, मुकदमे आरंभ के दिन चंद्र व मंगल बली होने चाहिए. | किसी भी माह में दिए वार व तिथि में आरंभ कर सकते हैं. | भरणी, आर्द्रा, अश्लेषा, मघा, तीनों पूर्वा, ज्येष्ठा, मूल |
पशु खरीदने का मुहूर्त | कृष्ण प्रतिपदा, 2, 3,5,6,7,8,10,11, 12, शुक्ल 13 व 15 | रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शनिवार | किसी भी माह में दी तिथियों व वार में ले सकते हैं | अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, विशाखा, ज्येष्ठा, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती |
औषधि सेवन का मुहूर्त | कृष्ण प्रतिपदा, 2, 3,5,7,10,11,12, शुक्ल 13 | रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार | सभी माह ग्राह्य हैं | अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, चित्रा, पुनर्वसु, हस्त, अनुराधा, स्वाती, अभिजित, श्रवण, धनिष्ठा, जन्म नक्षत्र नहीं लेना है. |
मंत्र सिद्धि का मुहूर्त | 2,3,5,7,10,11, शुक्ल 13 व पूर्णिमा | रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार | सभी माह ग्राह्य हैं | अश्विनी, मृगशिरा, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, श्रवण, विशाखा |
दुकान अथवा बिजनेस अथवा बहीखाता शुरु करना | कृष्ण प्रतिपदा, 2, 3,5,7,10,12, शुक्ल 13 व पूर्णिमा | रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार, शनिवार | वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, मार्गशीर्ष, माघ, फाल्गुन | अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, तीनो उत्तरा, हस्त, चित्रा, अनुराधा, मूल, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती |