सभी ग्रहों के अपने-अपने उपग्रह होते हैं जो अप्रकाशित होते हैं. इन सभी नौ ग्रहों में से सबसे अधिक महत्व शनि का उपग्रह गुलिक रखता हैं. गुलिक को मांदि के नाम से भी जाना जाता है. जन्म कुंडली की विभिन्न गणनाओं में इसका अपना स्वतंत्र रुप से महत्वपूर्ण स्थान है. कुंडली में यह अत्यधिक अशुभ फल प्रदान करने में सक्षम होता है. गुलिक का उपयोग बच्चे के जन्म के समय संशोधन में भी किया जाता है. इस उपग्रह की अपनी राशि कुंभ को माना गया है. गुलिक की उच्च अथवा नीच राशि के विषय में कहीं कोई भी वर्णन नहीं मिलता है. विभिन्न भावों में गुलिक के होने के निम्नलिखित फल इस प्रकार से हैं :-
प्रथम भाव में गुलिक का फल – Effect of Gulik In First House
कुशल व निपुण ज्योतिषियों ने लग्न में गुलिक के फलों को शुभ नहीं माना है. यदि किसी जातक की जन्म कुंडली के लग्न में ही गुलिक स्थित है तब ऎसा व्यक्ति गलत सोहबत में पड़कर चोरी आदि करना सीखता है. ऎसा व्यक्ति किसी के सामने कुछ भी बोलने से हिचकता नहीं है और मुँहफट हो जाता है. यह वेदों अथवा दूसरे शास्त्रों के ज्ञान का अपमान करता है. इसके मस्तिष्क में कुछ बीमारी होती है. इसकी बुद्धि सुस्त सी व कमजोर होती है. संतान सुख भी कम होता है और व्यक्ति सदगुणों से रहित होता है. लग्न भाव में गुलिक के होने से व्यक्ति ज्यादा खाने वाला होता है, इसे पेटू भी कहा जा सकता है.
दूसरे भाव में गुलिक का फल – Effect of Gulik In Second House
जब किई व्यक्ति की जन्म कुंडली के दूसरे भाव में गुलिक स्थित होता है तब व्यक्ति देखने में भद्दा अथवा ज्यादा सुंदर नहीं होगा. ऎसा व्यक्ति दीन व दुखी रहता है. स्वार्थी होता है और धनाभाव में भी रहता है. इसे किसी की कोई लाज नहीं होती है और ना ही इसे किसी से लड़ने में ही कोई हिचक अथवा झिझक ही होती है. ऎसे व्यक्ति की वाणी कठोर होती है और यह अपने परिवार के लिए भी अनुकूल नहीं होता है. यह अपने किए वादों पर कभी कायम नहीं रहता है. यह बेवकूफी भरी बातें ज्यादा करता है और यौन सुख में लिप्त रहता है. ऎसे व्यक्ति को आंखों से संबंधित रोग परेशान करते हैं.
दूसरे भाव में गुलिक के प्रभावस्वरुप व्यक्ति का धन उसके नौकर द्वारा अथवा किसी निचले वर्ग के व्यक्ति द्वारा चुराए जाने की संभावना भी बनती है. ऎसा भी देखा गया है कि जिन चीजों को अत्यधिक संभाल कर रखा जाता है उन्हें अकसर जंग लग जाता है अथवा किन्हीं अन्य कारणों से वह खराब हो जाती हैं.
तीसरे भाव में गुलिक का फल – Effect of Gulik In Third House
जन्म लग्न के तीसरे भाव में गुलिक अथवा मांदि के स्थित होने पर व्यक्ति अत्यधिक आकर्षक होता है. ऎसा व्यक्ति अपने गाँव अथवा समाज का मुखिया होता है. यह सदाचार का पालन करने वाला व सदगुणों से युक्त होता है. यह राजा का प्रिय भी होता है और अपने सदा अच्छी बातों का पालन करने वाला होता है. तीसरे भाव में गुलिक की उपस्थिति से व्यक्ति अत्यधिक आत्म विश्वासी होता है. ऎसा व्यक्ति अपनी खुद की तारीफ भी करता रहता है. ऎसा व्यक्ति हर प्रकार से धन कमाने में खुद को व्यस्त रखता है. इसे थोड़ा सा लापरवाह भी कहा जा सकता है और यह निडर भी होता है.
चतुर्थ भाव में गुलिक अथवा मांदि का फल – Effect of Gulik In Fourth House
चतुर्थ भाव में गुलिक का फल शुभ नहीं माना गया है क्योकि इस भाव में गुलिक की उपस्थिति से व्यक्ति अस्वस्थ रहता है. इसे वात संबंधी विकार और पित्त संबंधी रोग होने की संभावना अधिक रहती है. ऎसा व्यक्ति दूसरों के लिए खुशी-खुशी त्याग करता है. सदा ही किसी ना किसी पाप कर्म में लिप्त भी रहता है इसलिए गलत तरीकों से ज्यादा धनार्जन करता है.
पंचम भाव में गुलिक का फल – Effect of Gulik In Fifth House
जन्म कुंडली के पंचम भाव में गुलिक के होने से व्यक्ति बहुत ज्यादा सराहनीय नहीं होता है. यह गरीब होता है, जीवनचक्र भी औसत ही रहता है. यह स्वार्थी किस्म के व्यक्ति होते हैं जिन्हें अपने ही बारे में सभी कुछ पता होता है. यह दूसरों से द्वेष भावना भी रखने वाले होते हैं. यह नपुंसक भी हो सकते हैं और इनका जीवन इनके जीवनसाथी द्वारा संचालित होता है यह उसी के कथनानुसार सभी काम करते हैं. यह नास्तिक होते हैं अथवा धर्म के विरुद्ध काम करते हैं क्योकि इन्हें धर्म में किसी तरह की कोई आस्था अथवा श्रद्धा नहीं होती है.
पंचम भाव में गुलिक के होने से व्यक्ति का स्वभाव अस्थिर रहता है, अशिष्ट, असभ्य तथा अनैतिकता का आचरण करने वाला होता है. संतान सुख इनका मध्यम ही रहता है अथवा संतान ना होने की भी संभावना बनती है. यह दूसरों पर आरोप प्रत्यारोप काफी करते हैं. ऎसा जातक अपनी शिक्षा के समय भी बहुत सी बाधाओं अथवा परेशानियों का सामना करता है और यह मानसिक रुप से थोड़े सुस्त रहते हैं.
छठे भाव में गुलिक का फल – Effect of Gulik In Sixth House
जिन जातको की जन्म कुंडली के छठे भाव में गुलिक स्थित होती है, उनके शत्रुओं की संख्या ना के बराबर रहती है. यह अपने सभी शत्रुओं को पराजित करते हुए आगे बढ़ते हैं. शारीरिक रुप से बली व मजबूत होता है और मजबूत अंगों वाला होता है. यह प्रतिभावान होता है और बुद्धिमत्ता से भी संपन्न रहता है. यह अपने जीवनसाथी के बहुत करीब होता है और उसका अत्यधिक प्रिय भी होता है. इन जातको में उत्साह की कमी नहीं होती है इसलिए सदा ही ऊर्जा से भरे रहते हैं. इनका मस्तिष्क स्थिर बुद्धिवाला रहता है और यह अन्य लोगों की मदद करते हुए आगे बढ़ते हैं.
जन्म कुंडली के छठे भाव में गुलिक की स्थिति से व्यक्ति मुकदमेबाजी में जीत हासिल करता है. ऎसा व्यक्ति वकीलो, न्यायाधीश व न्याय प्रणाली की मित्रता हासिल करता है. ऎसा व्यक्ति तंत्र विद्या की भी जानकारी रखता है और काले जादू व प्रेत विद्या की में भी रुचि रखता है. इसी विद्या के आधार पर यह अपनी आजीविका भी चलाते हैं और संसार में जरुरतमंद लोगों की मदद अपनी इस विद्या व तंत्र विद्या से करते हैं. यह योगा आदि में भी रुचि रखते हैं. इनके योग्य पुत्र उत्पन्न होते हैं और इनका स्वास्थ्य सामान्यत: अच्छा ही रहता है.
सप्तम भाव में गुलिक का फल – Effect of Gulik In Seventh House
सप्तम भाव को कलत्र भाव भी कहा जाता है अर्थात जीवनसाथी का भाव. जब इस भाव में गुलिक अथवा मांदि स्थित होती है तब व्यक्ति अपने जीवनसाथी के कहे अनुसार चलता है. इसमें बहुत सी कमियाँ भी पाई जाती है, जैसे कि यह अपने जीवनसाथी के अतिरिक्त बहुत से अन्य लोगों के पास भी जाते हैं. यह अपने जीवनसाथी के धन से जीवनयापन करते हैं. इनके मित्र कम होते हैं और इसी कारण अच्छी मित्रता से वंचित रहते हैं. यह अत्यधिक पाप कर्मों में लिप्त रहते हैं. यह दुर्बल अथवा क्षीण भी होते हैं. गुलिक के सप्तम भाव में स्थित होने से व्यक्ति का जीवन नीरस सा होता है और उसमें रस का अभाव रहता है, व्यक्ति उदास सा रहता है.
सप्तम भाव में गुलिक के स्थित होने से व्यक्ति का विवाह देरी से संपन्न होता है और कुछ व्यक्ति ऎसे भी होते हैं जिनके दो विवाह होते हैं. ऎसे व्यक्ति का जीवनसाथी सामान्यत: नौकरी करने वाला होता है और वह एक अच्छे साधन संपन्न परिवार से संबंधित होता है.
अष्टम भाव में गुलिक का फल – Effect of Gulik In Eighth House
अष्टम भाव में गुलिक की स्थिति से व्यक्ति सदा भूख के कारण परेशान रहता है. ऎसा व्यक्ति दीन व दुखी रहता है, यह निर्दयी भी होता है और इसे अत्यधिक क्रोध आता है. इसका हृ्दय बहुत कठोर होता है और दया भाव का अभाव रहता है. इसके पास बहुत अधिक मात्रा में धन नहीं होता है और अच्छे गुणों से यह विहीन होता है. अष्टम भाव में गुलिक के स्थित होने से यह दूसरे भाव को दृष्ट करती है जिससे व्यक्ति का चेहरा आभाहीन व कांतिहीन होता है, जिससे चेहरे पर कम चमक नजर आती है. कई बार चेहरे पर झांईयाँ होने के कारण कालापन भी झलकने लगता है. कई बार व्यक्ति को नेत्र संबंधी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है.
बहुत बार व्यक्ति के भीतर कैल्सियम की कमी का भी अहसास होता है. अष्टम भाव में गुलिक के होने से व्यक्ति को कब्ज की बहुत शिकायत रहती है जिसके कारण व्यक्ति बवासीर का भी शिकार हो जाता है. यदि ऎसे व्यक्ति के पिता की मृत्यु हो जाती है तब यह अपने पिता की संपत्ति को लेकर थोड़ा बेईमान हो जाता है.
नवम भाव में गुलिक का फल – Effect of Gulik In Ninth House
जिनके जन्म कुंडली के नवें भाव में गुलिक स्थित होती है वह जीवन में बहुत सी कठिनाईयों का सामना करते हैं. यह क्षीण होते हैं और बुरे कामों को करने की ओर ही इनकी प्रवृति रहती है. यह दया भावना कम ही रखते हैं और इनकी बुद्धि भी दुष्टता की ओर रहती है. यह किस्से कहानियाँ ज्यादा गढ़ते हैं और अपना ही बखान करते रहते हैं. नवम भाव को गुरुओं का स्थान भी माना जाता है, इसलिए नवम भाव में पाप ग्रह अथवा पाप प्रभाव इसके शुभ फलों को कम करता है. जब नवम भाव में गुलिक होती है तब व्यक्ति अपने गुरुओं तथा बड़ो का आदर व सम्मान कम ही करता है.
ऎसा व्यक्ति अपने पूर्वजों के लिए किसी भी प्रकार का कोई कर्म नहीं करता है. उनके प्रति कोई श्रद्धा भाव नहीं रखता है. ऎसे व्यक्ति के सामने दुर्भाग्य कई रुपों में आकर खड़ा हो जाता है. यह अपने पिता की ओर से किसी तरह की कोई खुशी अथवा लाभ नहीं पाता है और इसकी संतान भी इसे नजर अंदाज करती है.
दशम भाव में गुलिक का फल – Effect of Gulik In Tenth House
दशम भाव में गुलिक के होने के फल को अच्छा बताया गया है. इसके प्रभावस्वरुप व्यक्ति पुत्र संतान प्राप्त करता है. सदा प्रसन्न रहता है, ऎसा व्यक्ति बहुत सी चीजों का उपभोग करते हुए आनंद लेता है. ऎसे व्यक्ति के भीतर बहुत ही श्रद्धा भाव होता है और ईश्वर में पूर्ण आस्था रखने वाला होता है. ऎसा व्यक्ति योग साधना व मेडिटेशन में भी पूर्ण विश्वास रखता है और धर्म में पूर्ण आस्था रखते हुए उसकी शरण में जाता है.
दसवें भाव में गुलिक के होने से व्यक्ति के भीतर एक बड़ी खूबी यह होती है कि यह योग साधना करता है, भक्ति करता है और धार्मिक कार्यों में भाग लेता है. यह दर्शन शास्त्र का गहन अध्ययन करता है और इस कारण दर्शन के संदर्भ में इसके अपने कुछ मूल विचार होते हैं जिनके कारण अन्य लोग इन्हें नास्तिक समझने की भूल करते हैं.
एकादश भाव में गुलिक का फल – Effect of Gulik In Eleventh House
जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली के एकादश भाव में गुलिक स्थित होती है वह अपने आदमियों का नेता होकर उनका नेतृत्व करता है. ऎसा व्यक्ति अपने रिश्तेदारों के कामों को कराने में सदा व्यस्त रहता है. इसकी कद काठी मध्यम स्तर की होती है और यह अपने क्षेत्र का सम्राट होता है. ऎसा व्यक्ति उच्च स्तर के लोगों के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने में आनंद का अनुभव करता है. लेकिन इन सब के बावजूद व्यक्ति प्रतिभावान होता है. मेधावी व कुशाग्र बुद्धि वाला होता है, पराक्रमी होता है, नेता होता है, धनी-मानी होता है और सभी प्रकार की खुशियों से युत होता है.
एकादश भाव से बड़े बहन-भाईयों का विचार किया जाता है, इसलिए जब एकादश भाव में गुलिक स्थित होता है तब ऎसे व्यक्ति के अपने बड़े बहन-भाईयों से संबंधों में कटुता का भाव होता है और अकसर संबंध तनाव से भरे रहते हैं. ऎसा व्यक्ति अत्यधिक महत्वाकांक्षी भी होता है. ऎसा व्यक्ति अपने विवाह के बाद भी अन्य लोगों से संबंध स्थापित करता है.
द्वादश भाव में गुलिक का फल – Effect of Gulik In Twelfth House
जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली के द्वादश भाव में गुलिक स्थित होता है वह व्यक्ति निचले स्तर के कामों में ज्यादा लिप्त रहते हैं. ऎसे व्यक्ति अंगहीन भी हो सकते हैं और यह गलत कामों को करने की भी प्रवृति रखते हैं. यह आलसी, निष्क्रिय व अकर्मण्य व्यक्ति होते हैं. ऎसे व्यक्ति नीचे स्तर के लोगों के साथ यौन संबंध स्थापित करते हैं.
द्वादश भाव में स्थित गुलिक के कारण व्यक्ति सामान्यत: आर्थिक तंगी का सामना अधिक करता है. ऎसे व्यक्ति कोई भी काम करें लेकिन अपने व्यवसाय में यह किसी भी तरह का कोई विशेष लाभ नहीं पाता है. ऎसे व्यक्ति का जीवनसाथी अकसर बीमार ही रहता है, इसलिए इसके भीतर उत्तेजना व चिड़चिड़ापन ज्यादा रहता है.