हस्तरेखा शास्त्र में हाथों की लकीरों के साथ हाथ से जुड़े हर पहलू का अपना विशेष महत्व होता है. हाथों का आकार-प्रकार क्या है, हाथों की रंगत कैसी है? हाथ हल्का है या भारी है आदि ना जाने कितनी ही बातें हैं जिनके आधार पर व्यक्तित्व का पता लगाया जा सकता है. इसी प्रकार हाथो की पांचों अंगुलियाँ भी बहुत ही महत्वपूर्ण मानी गई हैं और अंगुलियों के आकार प्रकार का काफी महत्व है. हर व्यक्ति का हाथ व अंगुलियाँ अपना भाग्य लेकर आती हैं जिस से हर कोई अपनी विशेषता रखता है. हस्तरेखा शास्त्र एक ऎसी विद्या है जिसमें व्यक्ति की अंगुलियों के झुकाव के आधार पर फलित किया जा सकता है. आज के इस लेख में हम पाठकों को अंगुलियों के झुकाव के आधार पर फलकथन बताने का प्रयास करेगें.
अंगुलियों का विश्लेषण – Analysis of Fingers
इस लेख को पढ़कर आप अपनी अंगुलियों को फैलाने का प्रयास करें. हम सभी की अंगुलियाँ हथेली से जुड़ी हुई हैं लेकिन उसका ऊपरी भाग स्वतंत्र हैं. अपनी सभी अंगुलियों को फैलाने के बाद देखें कि वह कितनी खुलती हैं और उनका आकार क्या हो गया है. यदि आपकी सभी अंगुलियाँ पूरी तरह से फैली हुई हैं और दूसरी अंगुली का सहारा नहीं ले रही हैं अर्थात उनकी तरफ झुकी हुई नहीं हैं, इसका अर्थ है कि आपकी अंगुली की जड़ में स्थित सभी पर्वत अपनी संतुलित अवस्था में स्थित हैं.
यदि हाथ की कोई अंगुली दूसरी अंगुली की ओर झुकी हुई है तो वह अपना गुण उस अंगुली को दे देती है जिसकी ओर वह झुकी हुई होती है. यदि सभी अंगुलियाँ एक-दूसरे की ओर झुकी हैं तब ऎसा व्यक्ति लचीला होता है अर्थात बहुत ही ढ़ीला ढ़ाला सा होता है. इनके विचार स्थायी नहीं रहते है और हर समय विचार बदलते रहना इनका स्वभाव बन जाता है. ऎसे व्यक्तियों की बातों को कभी दृढ़ नहीं समझा जा सकता है और ना ही इनके इरादे ही मजबूत बन पाते हैं. आज कुछ कहते हैं तो कल फिर बात बदल देते हैं. मध्यमा अंगुली(Middle FInger) को शनि की अंगुली माना जाता है और मध्यमा के मूल को अर्थात जहां से यह अंगुली हथेली में शुरु होती है, उसे शनि पर्वत कहा जाता है. यदि हाथ में सभी अंगुलियों का झुकाव मंध्यमा की ओर हो गया है तब शनि पर्वत के गुण बढ़ जाते हैं और मध्यमा की विशेषताओं में भी वृद्धि पाई जाती है.
पहली अंगुली – तर्जनी (First Finger or Index Finger)
यदि तर्जनी का झुकाव मध्यमा अंगुली की ओर हो गया है तब ऎसा व्यक्ति गंभीर नहीं होता है इस कारण वह किसी भी बात को कभी गंभीरता से नहीं लेता है. इसे हम ऎसे भी समझ सकते हैं कि व्यक्ति खुशमिजाज स्वभाव का होता है और सदा हल्के मूड में ही रहता है. ऎसा व्यक्ति कभी अकेला नहीं रह पाता है क्योंकि अकेलापन उसे पसंद नहीं और यह इसे काटने को दौड़ता है. यदि किसी व्यक्ति के हाथ में तर्जनी अंगुली का झुकाव अंगूठे की ओर पाया जाए तो उसका अंहकार कम हो जाता है और सभी से मिलकर बात करता है.
मध्यमा अंगुली (Middle Finger)
यदि मध्यमा अंगुली का झुकाव तर्जनी (First Finger) की ओर है तब ऎसा व्यक्ति अपनी गंभीरता और बुद्धिमत्ता तर्जनी अंगुली को दे देता है. ऎसा होने पर व्यक्ति के अंदर का अहं भाव कुछ कम हो जाता है फिर ऎसे व्यक्ति से बुद्धिमत्तापूर्ण बातों की आशा की जा सकती है. ऎसा व्यक्ति दिखावे में विश्वास नहीं रखता है और इन सभी बातों से दूर ही रहता है.
मध्यमा का झुकाव यदि अनामिका (Ring Finger) की ओर है तब ऎसा व्यक्ति आत्मविश्लेषण करने की क्षमता रखता है कि उसने जीवन में क्या खोया और क्या पाया है. आत्मविश्लेषण के बाद जो निचोड़ उसके सामने आता है उसी के आधार भविष्य की योजनाएँ बनाता है क्योंकि उसे समझ आ जाता है कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए.
यदि मध्यमा अंगुली हाथ में अच्छी हालत में हैं अर्थात किसी अंगुली की ओर झुकाव नहीं हैं, सीधी खड़ी है तब ऎसा व्यक्ति एंकातप्रिय होता है क्योंकि यह शनि की अंगुली है और शनि अलगाववादी ग्रह माना गया है. इसलिए इस अंगुली का अच्छी हालत में होना व्यक्ति को एकांतप्रिय बनाता है लेकिन यदि इसका जरा सा भी झुकाव अनामिका की ओर होने से एंकातप्रियता कम भी हो सकती है.
अनामिका अंगुली (Ring Finger)
अनामिका अंगुली यदि सीधी खड़ी है और किसी की ओर झुकाव नहीं है तब ऎसा व्यक्ति बहिर्मुखी प्रतिभा का धनी होता है लेकिन इसका जरा सा भी झुकाव इसके गुणों में कमी ला सकता है. यदि यह जरा भी मध्यमा की ओर झुकी तब बहिर्मुखता कम हो जाएगी. जितना ज्यादा झुकाव उतना ही बहिर्मुखता वाला गुण कम होता चला जाएगा.
कनिष्ठिका अंगुली (Little Finger) को स्वार्थ सिद्धि वाली कहा गया है लेकिन यदि अनामिका का झुकाव कनिष्ठिका की ओर है तब व्यक्ति की स्वार्थ सिद्धि कम हो जाती है और अपने बारे में सोचने के साथ दूसरों का भी ख्याल रखता है. व्यक्ति जो सदा अपना ही सोचता था उस सोच में कमी आती है. अपने साधनों की पूर्ति के साथ अन्य का भी ख्याल अब व्यक्ति को रहता है. कनिष्ठिका की ओर झुकने से अनामिका अपना एक गुण ओर इसे देती हैं और वह गुण है यश पाने की इच्छा. अनामिका का झुकाव कनिष्ठिका की ओर होने से व्यक्ति के अंदर यश पाने की इच्छा जाग सकती है.
कनिष्ठिका अंगुली (Little Finger)
अब हम सबसे छोटी अंगुली कनिष्ठिका के बारे में बताने का प्रयास करेगें. यदि कनिष्ठिका अंगुली अनामिका की ओर झुकी है तब कनिष्ठिका अपनी हित साधना की प्रवृति अनामिका को देती है. अनामिका की ओर झुकाव होने से कनिष्ठिका की यश पाने की इच्छा में स्वार्थ का भाव उत्पन्न हो जाता है जो कि अभी पहले भी बताया गया है.
अनामिका को कनिष्ठिका का साथ मिल जाता है जिससे यह शक्तिशाली हो जाती है और अनामिका की यश प्राप्ति में आदर्श की मात्रा कम हो जाती है अर्थात व्यक्ति यश पाना जाता है, विख्यात होना चाहता है लेकिन उसके मूल्य कम हो जाते हैं. यश प्राप्ति के लिए वह अपने आदर्शों की बली भी चढ़ा सकता है.
यदि कनिष्ठिका अनामिका की बजाय हथेली में बाहर की ओर झुकी होती है अर्थात किसी अंगुली की बजाय हथेली से बाहर झुक जाती है तब व्यक्ति का जीवन लापरवाहियों से भरा होता है और ऎसे व्यक्ति को कभी किसी की परवाह नहीं होती है. उसे दुनिया में किसी से कुछ लेना देना नही होता है.