इस ग्रह का सुगठित व सुंदर, साँचे में ढ़ला पतला शरीर है, मध्यम कद है, चौड़ी छाती तथा हाथ लम्बे हैं. गहरा भूरा रंग हैं. शुक्र ग्रह ज्ञान और विवेक दोनों का भण्डार है. कविता लिखते हैं, कवि हैं. साथ ही ये रसिक प्रवृति के राजसिक ग्रह हैं. इनमें कलात्मकता कूट कूटकर भरी है. शुक्र ग्रह आँखों की रोशनी के कारक हैं. यह ग्रह मीन राशि में उच्च के होते हैं और कन्या राशि म नीच के कहे जाते हैं.
यदि कुण्डली में शुक्र और बुध दोनों बली हैं तो जातक कलाकार बनेगा. ये सभी रंगों के कपडे़ पहनते हैं. शुक्र ग्रह की प्रकृ्ति वात व कफ़ दोनों हैं. शुक्र को मंत्री का दर्जा मिला है, ये दैत्यों के गुरु हैं. यदि कुण्डली में शुक्र कमजोर है और द्वितीय या द्वादश भाव में स्थित है तो जातक को नेत्र विकार हो सकते हैं.
परम्परागत रुप से शुक्र को असुर या दैत्य गुरु की पदवी प्राप्त है. शुक्र का वर्णन चौंसठ कलाओं के स्वामी रुप में होता है. यह बहुमुखी विकास और दुनियादारी के प्रतीक है. शुक्र यौन संबंधों का कारक है. शुक्र को पत्नी का कारक ग्रह माना जाता है लेकिन मतान्तर से जिनका रात का जन्म होता है उनकी कुण्डली में शुक्र चन्द्र के स्थान पर माता का कारक ग्रह हो जाता है.
शुक्र सब प्रकार की कलाओं का कारक ग्रह है. ललित कला, व्यवसायिक कला, गीत, नृ्त्य कला, अभिनय, साहित्य आदि का कारक ग्रह है. जिनकी कुण्डली में शुक्र बली है, वे जातक अभिनय, कविता, नृ्त्य आदि के क्षेत्र में रहकर आजीविका प्राप्त करते हैं या उन्हें इन सब में रुचि होती है.
आधुनिक समय में शुक्र इत्र, होटल, रेस्तराँ, फास्ट – फूड, आदि का कारक ग्रह है. साथ ही कम्प्यूटर सौफ्टवेयर का क्षेत्र भी शुक्र के अधिकार क्षेत्र में आता है. देह का व्यापार करने वालों का कारक ग्रह भी शुक्र ही है. शुक्र सिले हुए कपडे़ का कारक है, फैशन का कारक ग्रह है. सिनेमा, टेलीविजिन आदि का भी कारक है. यह 27 अंश पर परम नीच अथवा परम उच्च माने जाते हैं