आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की,
मथुरा-कारागृह-अवतारी,
गोकुल जसुदा-गोद-विहारी,
नंदलाल नटवर गिरिधारी,
वासुदेव हलधर-भैया की ।। आरती ।।
मोर-मुकुट पीताम्बर छाजै,
कटि काछनि, कर मुरलि विराजै,
पूर्ण सरद ससि मुख लखि लाजै,
काम कोटि छबि जितवैया की ।। आरती ।।
गोपीजन-रस-रास-विलासी,
कौरव-कालिय-कंस-बिनासी,
हिमकर-भानु-कृसानु-प्रकासी,
सर्वभूत-हिय-बसवैया की ।। आरती ।।
कहुँ रन चढ़ै भागि कहुँ जावै,
कहुँ नृप कर, कहुँ गाय चरावै,
कहुँ जागेस, बेद जस गावै,
जग नचाय ब्रज-नचवैया की ।। आरती ।।
अगुन-सगुन लीला-बपु-धारी,
अनुपम गीता-ज्ञान-प्रचारी,
‘दामोदर’ सब बिधि बलिहारी,
बिप्र-धेनु-सुर-रखवैया की ।। आरती ।।