नामकरण संस्कार

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भारतीय ज्योतिष में नामकरण संस्कार को सोलह संस्कारों में से एक संस्कार के रुप में महत्ता प्राप्त है. व्यक्ति के जीवन में नाम का व्यवहारिक ही नही अपितु धार्मिक तौर पर भी खास महत्व है. नाम का चयन करते वक्त यह देखा जाता है कि नाम सुन्दर होने के साथ-साथ अर्थपूर्ण भी अवश्य होना चाहिए..

नामकरण निर्धारण  
जन्म के समय चन्द्रमा जिस नक्षत्र अथवा राशि में होता है उसी राशि व नक्षत्र के नामा़क्षर से बच्चे का नाम रखा जाता है तथा वह राशि उसकी जन्म राशि होती है. इस तरह नामाक्षर के आधार पर रखा गया नाम प्रमाणिक तौर पर बच्चे की उन्नति और व्यक्तित्व के निर्माण में सहायक होता है.

लेकिन वर्तमान में नाम सिर्फ नाम न होकर फ़ैशन का विषय बन गया है. लोग नाम की सार्थकताके साथ-साथ इसकी सुन्दरता व आकर्षता के प्रति कुछ ज्यादा ही गंभीर होते दिखाई दे रहे हैं. लोग चाहते हैं कि उनका नाम लोगों से अलग सुन्दर, सार्थक तथा नामाक्षर के अनुकूल हो, यही कारण है कि आज के सन्दर्भ में अच्छे नाम का चुनाव करना कठिन कार्य बन गया है.

अगर नाम जन्म नक्षत्र की राशि पर न रखा जा सके तो कुछ वैकल्पिक स्त्रोत हैं जिनके आधार पर हम अनुकूल नाम का चुनाव कर सकते हैं. जैसे- मित्र राशि के आधार पर- जिस ग्रह की राशि में आपका जन्म हुआ है उसके मित्र राशियों से जो नाम बन रहा हो आप उसके आधार पर भी नाम का चुनाव कर सकते हैं.

सूर्य राशि के आधार पर- जन्म के समय सूर्य जिस राशि में स्थित हो उसके आधार पर जो नाम बन रहा हो उसके आधार पर भी आप अनुकूल नाम का चुनाव कर सकते हैं.जन्म लग्न के आधार पर-  लग्न और लग्नेश का बली होना व्यक्ति के मन स्थिति और सफलता के लिए अत्यधिक आवश्यक होता है. अत: लग्न में स्थित राशि के नामाक्षर के आधार पर भी हम अनुकूल नाम का चुनाव कर सकते हैं.

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