यदि सुबह सुवेरे नियमित रुप से गणेश चालीसा का पाठ किया जाए तो घर में खुशहाली रहती है. घर-परिवार में सुविधा-संपन्नता बनी रहती है. इस पाठ के करने से परिवार में बरकत बनी रहती है. आइए गणेश चालीसा का पाठ आरंभ करें.
दोहा – Doha
एकदन्त शुभ गज वदन विघ्न विनाशक नाम । श्रीगणेश सिद्धि सदन गणनायक सुख धाम ।।
मंगल मूर्त्ति महान श्री ऋद्धि सिद्धि दातार । सब देवन में आपको प्रथम पूज्य अधिकार ।।
वक्रतुण्ड श्री सिद्ध विनायक, जय गणेश सुख सम्पत्ति दायक ।।
गिरिराज नन्दन सब गुण सागर, भक्त जनों के भाग्य उजागर ।।
श्री गणेश गणपति सुख दाता, सम्पत्ति, सुत, सौभाग्य प्रदाता ।।
राम नाम में दृढ़ विश्वासा, श्रीमन नारायण प्रिय दासा ।।
मोदक प्रिय मूषक है वाहन, स्मरण मात्र सब विघ्न नशावन ।।
लम्बोदर पीताम्बर धारी, भाल त्रिपुण्ड्र सुशोभित भारी ।।
मुक्तापुष्प माल गल शोभित, महाकाय भक्तन मन मोहित ।।
सुखकर्त्ता, दु:खहर्त्ता देवा, सदा करत सन्तन जन सेवा ।।
शरणागत रक्षक गणनायक, भक्त जनों के सदा सहायक ।।
सकल शास्त्र सब विद्या ज्ञाता, धर्म प्रवक्ता जग विख्याता ।।
महाभारत श्री व्यास बनाया, तब लेखन हित तुम्हें बुलाया ।।
शुभ कार्यों में सब नर नारी, प्रथम वन्दना करें तुम्हारी ।।
मिट जाती बाधायें सारी, तुम हो सकल सिद्ध अधिकारी ।।
श्री गणेश जी के जो गुण गावे, उनके कार्य सफल हो जावे ।।
जो श्रद्धा से करे प्रार्थना, उनकी होती सिद्धि कामना ।।
श्री गणपति के जो गुण गाते, वे जन सकल पदारथ पाते ।।
जय गणेश-जय गणपति देवा, तीन लोक करते तब सेवा ।।
मास भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी, श्री विनायक प्रकट जयन्ती ।।
श्रद्धा से सब भक्त मनाते, दिव्य चरित महिमा यश गाते ।।
श्री गणेश निज भक्त सहायक, विघ्न विनाशक मंगल दायक ।।
रणथम्भौर दुर्ग गण नायक, महाराष्ट्र के अष्ट विनायक ।।
वेद्-पुराण-शास्त्र यश गावे, श्री गणेश सब प्रथम मनावे ।।
विघ्नेश्वर श्री सुरप्रिय स्वामी, भक्त करे जय गान स्मरामि ।।
सर्वाभीष्ट सिद्धि फलदायक, मोदक प्रिय गणपति गणनायक ।।
भाल चन्द्र गजमुख शुभकारी, पहले पूजा होय तुम्हारी ।।
भक्तजनों को शुभ वरदायक, श्री गणेश जय वरद विनायक ।।
श्री गणेश महिमा अति भारी, इससे परिचित सब नर-नारी ।।
गणपति की महिमा सब गाते, ऋद्धि-सिद्धि यश वैभव पाते ।।
संकट में जो गणपति ध्यावे, उनके सर्व कष्ट कट जावे ।।
ऋद्धि-सिद्धि बुद्धि बल दायक, सदा सर्वदा विजय प्रदायक ।।
वृन्दावन के सिद्ध विनायक, श्री गणेश गणपति गणनायक ।।
विघ्न विनाशक, नाम तुम्हारा, करो सिद्ध सब कार्य हमारा ।।
सब पर कृपा सदा प्रभु करना, दु:ख दारिद्रय शोक सब हरना ।।
श्री मंगल विग्रह सुखकारी, विनय करो स्वीकार हमारी ।।
पत्र पुष्प फल जल ले कर में, पूजा करे सदा हम घर में ।।
जो यह पठन करे सौ बारा, उन पर गणपति कृपा अपारा ।।
एक पाठ जो नित करते, उनकी सब विपदायें हरते ।।
रोग्-शोक बन्धन कट जाते, सुख्-सम्पत्ति संतति यश पाते ।।
शुभ मंगल सुन्दर फल पावे, श्री गणेश चालीसा गावे ।।
सफल गजानन करे कामना, भक्त ‘गदाधर’ रचित प्रार्थना ।
दोहा
श्रीगणेश गणपति प्रभो ! गणनायक महाराज ।।
करो सफल मन कामना, विघ्नेश्वर महाराज ।।
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै धरि ध्यान ।।
नित नव मंगल गृह लहै, मिलै जगत सन्मान ।।