श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम
ईश्वर उवाच शतनाम प्रवक्ष्यामि श्रृणुष्व कमलानने । यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत सती ।।1।। ऊँ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी
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ईश्वर उवाच शतनाम प्रवक्ष्यामि श्रृणुष्व कमलानने । यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गा प्रीता भवेत सती ।।1।। ऊँ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी
श्रीमहाभागवत पुराण के अन्तर्गत वेदों द्वारा की गई दुर्गा स्तुति श्रुतय ऊचु: दुर्गे विश्वमपि प्रसीद परमे सृष्ट्यादिकार्यत्रये ब्रह्माद्या: पुरुषास्त्रयो
जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी । तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ।। मांग सिंदूर विराजत, टीको मृदमद
नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो अंबे दुख हरनी ।। निरंकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूं लोक फैली