मार्कण्डेय प्रोक्त मृत्युशमन “महामृत्युंजय स्तोत्र”
मार्कण्डेय मुनि द्वारा वर्णित “महामृत्युंजय स्तोत्र” मृत्युंजय पंचांग में प्रसिद्ध है और यह मृत्यु के भय को मिटाने वाला स्तोत्र
Astrology, Mantra and Dharma
मार्कण्डेय मुनि द्वारा वर्णित “महामृत्युंजय स्तोत्र” मृत्युंजय पंचांग में प्रसिद्ध है और यह मृत्यु के भय को मिटाने वाला स्तोत्र
शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्। प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये॥ नमोऽस्तु ते व्यास विशालबुद्धे फुल्लारविन्दायतपत्रनेत्र। येन त्वया भारततैलपूर्णः प्रज्वालितो ज्ञानमयः प्रदीपः॥
तस्मै नम: परमकारणकारणाय, दीप्तोज्ज्वलज्ज्वलितपिड़्गल लोचनाय । नागेन्द्रहारकृतकुण्डलभूषणाय, ब्रह्मेन्द्रविष्णुवरदाय नम: शिवाय ।।1।। श्रीमत्प्रसन्नशशिपन्नगभूषणाय, शैलेन्द्रजावदनचुम्बितलोचनाय । कैलासमन्दरमहेन्द्रनिकेतनाय, लोकत्रयार्तिहरणाय नम: शिवाय ।।2।।
इस स्तोत्र का जप जो भी व्यक्ति प्रतिदिन करता है उसे बारह ज्योतिर्लिंगो जैसे दर्शन करने के समान फल की
ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिंग निर्मलभासित शोभितलिंगम । जन्मजदु:खविनाशकलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम ।।1।। देवमुनिप्रवरार्चितलिंगं कामदहं करुणाकरलिंगम । रावणदर्पविनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम ।।2।। सर्वसुगंधिसुलेपित लिंगं बुद्धि
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय, भस्मांगरागाय महेश्वराय । नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय, तस्मै ‘न’काराय नम: शिवाय ।।1।। मन्दाकिनी-सलिल-चन्दन-चर्चिताय, नन्दीश्वर-प्रमथनाथ-महेश्वराय । मन्दारपुष्प – बहुपुष्प –