कार्तिक माह माहात्म्य – अठारहवां अध्याय
लिखता हूँ मॉ पुराण की, सीधी सच्ची बात । अठारहवां अध्याय कार्तिक, मुक्ति का वरदात।। अब रौद्र रूप महाप्रभु शंकर
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लिखता हूँ मॉ पुराण की, सीधी सच्ची बात । अठारहवां अध्याय कार्तिक, मुक्ति का वरदात।। अब रौद्र रूप महाप्रभु शंकर
भक्ति से भरे भाव हे हरि मेरे मन उपजाओ। सत्रहवां अध्याय कार्तिक, कृपा दृष्टि कर जाओ।। उस समय शिवजी के
सुनो लगाकर मन सभी, संकट सब मिट जायें । कार्तिक माहात्म का “कमल” पढो़ सोलहवां अध्याय ।। राजा पृथु ने