वैशाख मास में स्नान, तर्पण, पूजन विधि और महिमा
अम्बरीष ने पूछा – मुने ! वैशाख माह के व्रत का क्या विधान है? इसमें किस तपस्या का अनुष्ठान करना
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अम्बरीष ने पूछा – मुने ! वैशाख माह के व्रत का क्या विधान है? इसमें किस तपस्या का अनुष्ठान करना
अम्बरीष ने कहा – मुने ! जिसके चिन्तन मात्र से पाप राशि का लय हो जाता है, उस पाप प्रशमन
सूतजी कहते हैं – महात्मा नारद के वचन सुनकर राजर्षि अम्बरीष ने विस्मित होकर कहा – “महामुने ! आप मार्गशीर्ष
भगवद्भक्ति के लक्षण तथा वैशाख स्नान की महिमा अम्बरीष बोले – मुनिश्रेष्ठ ! आपने बड़ी अच्छी बात बतायी, इसके लिए
मनुष्य शरीर प्राप्त करने की महिमा, धर्माचरण ही मुख्य कर्तव्य, शरीर और संसार की दु:खरूपता तथा नश्वरता, मोक्ष-धर्म-निरूपण गरुड़
धर्मात्मा जन का दिव्यलोकों का सुख भोगकर उत्तम कुल में जन्म लेना, शरीर के व्यावहारिक तथा पारमार्थिक दो रूपों का