शुक्र स्तोत्र
नमस्ते भार्गव श्रेष्ठ देव दानव पूजित । वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमो नम: ।।1।। देवयानीपितस्तुभ्यं वेदवेदांगपारग: । परेण तपसा शुद्ध शंकरो
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नमस्ते भार्गव श्रेष्ठ देव दानव पूजित । वृष्टिरोधप्रकर्त्रे च वृष्टिकर्त्रे नमो नम: ।।1।। देवयानीपितस्तुभ्यं वेदवेदांगपारग: । परेण तपसा शुद्ध शंकरो
जय वृहस्पति देवा, ऊँ जय वृहस्पति देवा. छि छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा.. तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी. जगतपिता
आरती श्री नवग्रहों की कीजै. बाध, कष्ट, रोग, हर लीजै.. सूर्य तेज़ व्यापे जीवन भर. जाकी कृपा कबहुत नहिं छीजै..
ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता. अपने सेवक जन को, सुख संपति दाता.. ॐ जय… सुंदर चीर सुनहरी,
ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता. अपने सेवक जन को, सुख संपति दाता.. ॐ जय… सुंदर चीर सुनहरी,
पीताम्बर: पीतवपु: किरीटी, चतुर्भुजो देवगुरु: प्रशान्त: । दधाति दण्डं च कमण्डलुं च, तथाक्षसूत्रं वरदोsस्तु मह्यम ।।1।। नम: सुरेन्द्रवन्द्याय देवाचार्याय ते