रिलेशनशिप और कम्युनिकेशन 

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आज के लेख में हम रिलेशनशिप के बारे में बात करेंगे क्योंकि वर्त्तमान समय में काफी परेशानियां आपसी संबंधो में आ रही है। चाहे प्रेम संबंध हों या माता-पिता से संबंध हो या फिर बहन-भाइयो से हो, कहने का अर्थ है कि निजी और व्यावसायिक दोनों ही स्थानों पर सम्बन्ध सुधारने की जरुरत पड़ती रहती है।  किसी भी रिलेशनशिप के लिए आपसी वार्तालाप अति आवश्यक होता है। जब हम अपनी बात कह ही नहीं पाएंगे तब कैसे संबंधों को सुधारा जा सकता है !! इसलिए किसी भी सुदृढ़ संबंध के लिए बातचीत होते रहना जरुरी है।  

जन्म कुंडली में बुध ग्रह और तीसरा भाव बातचीत या ये कहें कि कम्युनिकेशन के लिए देखा जाता है। अगर बुध के साथ तीसरा भाव बली है तब कोई भी व्यक्ति अपनी बात को रखने में किसी तरह से हिचकिचाएगा नही।  इसके साथ अगर चंद्र भी बली है तब मन की बात कहने में किसी तरह का संकोच मुझे नहीं लगता कि किसी व्यक्ति को होगा। 

कोई भी रिलेशनशिप तब कमजोर पड़ना शुरू हो जाती है जब हम अपनी बात को ठीक से कह नहीं पाते हैं या कहने से हिचक जाते हैं। दुनिया में किसी भी कोने में हम चले जाएं, हमें २ प्रकार के व्यक्ति मिलते हैं – पहले वो जो बहुत अच्छे से अपनी बात को कहने में सक्षम होते हैं और दूसरे वो जो अपनी बात को ठीक से कह ही नहीं पाते है। जो बात को ठीक से नहीं कह पाते हैं उनका रिलेशन किसी के साथ भी बेहतर नहीं रह पाता है। चाहे उनका निजी जीवन हो या व्यावसायिक जीवन ही क्यों ना हो !! 

जो लोग ठीक से कम्युनिकेशन नहीं कर पाते हैं उनका बुध, कुंडली का तीसरा भाव, तीसरे भाव का स्वामी पीड़ित अवस्था में मिलेंगे ही मिलेंगे। इनके साथ अगर चन्द्रमा भी पीड़ित है तब मन भी सदा दुखी सा रहता है। ऐसे लोगों की निजी जिंदगी सबसे ज्यादा प्रभावित रहती है क्योंकि बात को ना समझते है और ना सही से खुद भी समझाने का प्रयास करते है। उसमें भी बड़ी समस्या ये कि इनके प्रेम सम्बन्ध मधुर नहीं रह पाते हैं और विवाह के बाद भी आपसी मधुरता ना के बराबर ही रहती है।  

किसी भी स्वस्थ रिलेशनशिप के लिए स्वस्थ वार्तालाप बहुत जरुरी है ताकि मन के भाव समझ सकें और समझा सकें। एक मजबूत रिलेशनशिप का आधार ही स्वस्थ बातचीत है। जो लोग मन की बात ठीक से कह नहीं पाते हैं उनके नजरिये का मेल किसी से नहीं हों पाता है जिसकी वजह से अन्य लोगों के साथ उनके मतान्तर शुरू हो जाते है और वैचारिक मतभेद रहने से दूरियां भी बढ़ने लगती है।  इसका अत्यधिक दुष्प्रभाव वैवाहिक जीवन और लव अफेयर में ज्यादा नजर आता है।  

जो लोग अपनी बात को कह नहीं पाते है उनके भीतर निराशा का भाव ज्यादा देखा जा सकता है। अपनी बात को हर समय कटाक्ष के साथ कहने की आदत बन जाती है। बहुत जल्दी से प्रतिक्रिया देते हैं और अपनी बात को ही सदा सही ठहराने की प्रवृति भी बन जाती है और कभी-कभी ग्रह अत्यधिक पीड़ित होने की वजह से मार पीट करने पर भी उतारू हो जाते हैं। 

उपरोक्त बातों के आधार पर हम कह सकते हैं कि अगर बुध, तीसरा भाव, तीसरे भाव का स्वामी और चन्द्रमा पीड़ित हों तब उनका उपचार जरूर करना चाहिए ताकि कम्युनिकेशन में परेशानियाँ उत्पन्न ना हों क्योकिं एक अच्छी वार्तालाप ही स्वस्थ संबंधों का आधार बनती है।