रेवती नक्षत्र का स्वामी ग्रह बुध है और इस नक्षत्र के देवता “पूषा” हैं जो सूर्य भगवान का ही एक रूप हैं. रेवती नक्षत्र की गणना गंडमूल नक्षत्रों में की जाती है जिसके लिए मूल शांति कराने का विधान हमारे शास्त्रों में दिया गया है. एक तो यह नक्षत्र गंडमूल नक्षत्रों में आता है, दूसरे अगर यह जन्म कुंडली में पीड़ित अथवा अशुभ प्रभाव में भी आ जाता है तब व्यक्ति को बहुत-सी बाधाओं तथा कष्टों का सामना करना पड़ सकता है. जीवन में तरक्की तथा उन्नति के रास्ते बंद हो सकते हैं तथा बार-बार असफलताओं का मुँह देखना पड़ सकता है. इस नक्षत्र के अशुभ तथा पाप प्रभाव को मिटाने के लिए कई प्रकार से उपाय किए जा सकते हैं.
रेवती नक्षत्र का स्वामी ग्रह बुध है और जब यह नक्षत्र पीड़ित होता है तब विष्णु भगवान की पूजा अवश्य करनी चाहिए. भगवान विष्णु के अवतारों की पूजा करके भी शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं. विष्णु सहस्त्रनाम का प्रतिदिन पाठ करने से अनेकों शुभाशुभ फलों की प्राप्ति होती है. विष्णु जी की 108 नामावली का पाठ भी किया जा सकता है. विष्णु भगवान अथवा उनके अवतारों के तीर्थ स्थानों की यात्राएँ करने से भी इस नक्षत्र के अशुभ प्रभाव को खतम किया जा सकता है.
कुछ विद्वानों के मत से हरे रँग का उपयोग अथवा समुद्री नीले रँग के उपयोग से भी इस नक्षत्र के शुभ फलों में वृद्धि की जा सकती है. कुछ का मत है कि कई रंगों के मिश्रण का उपयोग करना भी इस नक्षत्र को कल्याणकारी बनाता है.
रेवती नक्षत्र के पाप प्रभाव को मिटाने के लिए इस नक्षत्र के बीज मंत्र की एक माला का जाप प्रतिदिन 108 बार करना चाहिए. जिस दिन चंद्रमा का गोचर रेवती नक्षत्र से हो रहा हो अथवा जिस दिन पूर्णिमा तिथि हो उस दिन से इन बीज मंत्र का जाप आरंभ करना चाहिए. मंत्र जाप से शुभ फलों में वृद्धि होती है तथा यह कल्याणकारी फल प्रदान करते हैं.
बीज मंत्र है :-
“ऊँ लं”, “ऊँ क्षं”, “ऊँ ऎं” तथा “ऊँ आम्”
उपरोक्त मंत्रों में से किसी एक का जाप करना चाहिए. इन बीज मंत्रों का जाप प्रतिदिन नियमित रूप से करने पर अवश्य ही जीवनयापन सुखपूर्वक होता है. इस नक्षत्र के देवता “पूषा” की पूजा-अर्चना से भी इस नक्षत्र को बल मिलता है. अश्वत्थ की जड़ को चाँदी के ताबीज में बाजू अथवा गले में धारण करने से भी इस नक्षत्र के अशुभ प्रभाव खतम हो जाते हैं. सिल्क के कपड़े तथा धार्मिक अथवा प्राचीन पुस्तकों का दान करने से भी इस नक्षत्र को बल प्रदान किया जा सकता है.
इस नक्षत्र के वैदिक मंत्र का जाप करने से भी शुभ फलों में वृद्धि की जा सकती है. जिस दिन रेवती नक्षत्र पड़ रहा हो उस दिन से इस वैदिक मंत्र का जाप प्रारंभ करना चाहिए. इस वैदिक मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जाप करना चाहिए. जाप के साथ होम करने से अच्छे फल प्राप्त होते हैं लेकिन यदि किसी के लिए होम करना संभव ना हो तब वह केवल वैदिक मंत्र का ही जाप 108 बार करे, मंत्र है :-
ऊँ पूषन् तवव्रते वयं नरिष्येम कदाचन स्तोतारस्त इहस्मसि ।।
ऊँ पूष्णे नम: ।।
अश्विनी नक्षत्र के उपचार अथवा उपायों के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें :-
https://chanderprabha.com/2019/05/29/remedies-for-ashwini-nakshatra/