सन्तानगणपतिस्तोत्रमम्

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नमोSस्तु गणनाथाय सिद्धिबुद्धियुताय च ।

सर्वप्रदाय देवाय पुत्रवृद्धिप्रदाय च ।।1।।

अर्थ – सिद्धि-बुद्धि सहित उन गणनाथ को नमस्कार है, जो पुत्रवृद्धि प्रदान करने वाले तथा सब कुछ देने वाले देवता हैं।

 

गुरूदराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।

गोप्याय गोपिताशेषभुवनाय चिदात्मने।।2।।

अर्थ – जो भारी पेट वाले (लम्बोदर), गुरु (ज्ञानदाता), गोप्ता (रक्षक), गुह्य (गूढ़स्वरुप) तथा सब ओर से गौर हैं, जिनका स्वरुप और तत्व गोपनीय है तथा जो समस्त भुवनों के रक्षक हैं, उन चिदात्मा आप गणपति को नमस्कार है।

 

विश्वमूलाय भव्याय विश्वसृष्टिकराय ते।

नमो नमस्ते सत्याय सत्यपूर्णाय शुण्डिने ।।3।।

अर्थ – जो विश्व के मूल कारण, कल्याणस्वरुप, संसार की सृष्टि करने वाले, सत्यरूप, सत्यपूर्ण तथा शुण्डधारी हैं, उन आप गणेश्वर को बारम्बार नमस्कार है।

 

एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम: ।

प्रपन्नजनपालाय प्रणतार्तिविनाशिने ।।4।।

अर्थ – जिनके एक दाँत और सुन्दर मुख है, जो शरणागत भक्तजनों के रक्षक तथा प्रणतजनों की पीड़ा का नाश करने वाले हैं, उन शुद्धस्वरुप आप गणपति को बारम्बार नमस्कार है।

 

शरणं भव देवेश सन्ततिं सुदृढ़ां कुरू ।

भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गणनायक ।।5।।

 

ते सर्वे तव पूजार्थं निरता: स्युर्वरो मत: ।

पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम् ।।6।।

अर्थ 5-6 का – हे देवेश्वर ! आप मेरे लिए शरणदाता हो। मेरी सन्तान-परंपरा को सुदृढ़ करें। हे गणनायक ! मेरे कुल में जो पुत्र हों, वे सब आपकी पूजा के लिये सदा तत्पर हों – यह वर प्राप्त करना मुझे इष्ट है। यह पुत्रदायक स्तोत्र समस्त सिद्धियों को देने वाला है।

।। इति सन्तानगणपतिस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।