चंद्रमा जन्म कुंडली में जिस अवस्था में होगा उसी के अनुसार उसकी दशा/अन्तर्दशा में फल मिलेगें. इस लेख में चंद्रमा की भिन्न-भिन्न अवस्थाओं के अनुसार फलकथन कहने का प्रयास किया गया है.
परमोच्च व उच्च चन्द्र के फल – Results For Exalted Moon
अगर किसी की जन्म कुंडली में चंद्रमा अपने परमोच्च अंशों(चंद्रमा वृष राशि में 10 डिग्री पर परम उच्च होता है) पर स्थित है तब यह अपनी दशा/अन्तर्दशा में व्यक्ति को पुष्प, वस्त्रादि की प्राप्ति करा सकता है. जातक का महत्व इस दशा में बढ़ सकता है, धन की प्राप्ति, पुत्र रत्न की प्राप्ति भी इस दशा में हो सकती है. स्त्री सुख की प्राप्ति और विलास आदि में वृद्धि होती है.
अगर जन्म कुंडली में चंद्रमा अपनी उच्च राशि में स्थित है तब अपनी दशा आने पर यह स्त्री सुख देगा, पुत्र प्राप्ति, मिष्टान्न भोजन आदि की प्राप्ति कराएगा. वस्त्र-आभूषण आदि सुख की प्राप्ति कराएगा, विदेश यात्रा के साथ स्वजनों से विरोध इस दशा में हो सकता है.
मूल त्रिकोण चंद्र दशा का फल – Results Of Mool Trikona
यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा अपनी मूल त्रिकोण राशि मे स्थित है तब इसकी दशा/अन्तर्दशा में राजा से धन लाभ, भूमि, पुत्र, स्त्री लाभ हो सकता है. हर प्रकार से सुखी रहने के योग बनेगें. मातृ सुख भी मिलेगा और रतिसुख में वृद्धि होगी.
स्वराशिस्थ चंद्र दशा के फल – Results Of Own Sign
यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा अपनी राशि कर्क में स्थित है तब अपनी दशा/अन्तर्दशा में यह सरकार से सुख व धन लाभ कराता है और बंधु-बांधवों के साथ परिवार का सुख पाता है लेकिन व्यक्ति इस समय में कुछ बुरी आदतों का शिकार भी हो सकता है क्योंकि चंद्रमा भोग का कारक है और इसकी दशा में मन चंचल हो जाता है इसलिए व्यक्ति वेश्यागामी अथवा अनेको स्त्रियों से संबंध स्थापित कर सकता है.
अतिमित्र राशिस्थ चंद्र दशा के फल – Results For Atimitra Sign
यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा अपने अतिमित्र के घर में स्थित है तब वह अपनी दशा/अन्तर्दशा में जातक को सुखी व साधन संपन्न बना सकता है. अपनी विद्वता के आधार पर अर्थात अपनी कार्य कुशलता के आधार पर वह सरकार द्वारा सम्मानित होगा, भूमि तथा स्त्री-पुत्र सुख से संपन्न रहेगा.
मित्र राशिस्थ चंद्र दशा के फल – Results For Friendly Sign
यदि चंद्रमा जन्म कुंडली में अपनी मित्र राशि में स्थित है तब अपनी दशा/अन्तर्दशा में जातक को धन लाभ होता है और राजकीय अधिकारियों से उसकी मित्रता रहती है. व्यक्ति के सभी मनोरथ व उद्योग पूर्णता पाते हैं. जलीय पदार्थों की प्राप्ति, सुंदर वस्त्राभूषणों की प्राप्ति होती है और साथ ही व्यक्ति विलासी भी होता है.
समराशिस्थ चंद्र दशा के फल – Results For Neutral Sign
यदि चंद्रमा जन्म कुंडली में अपनी सम राशि में स्थित है तब अपनी दशा/अन्तर्दशा में यह जातक को स्वर्ण लाभ दे सकता है, भूमि का लाभ, थोड़ा सुख दे सकता है लेकिन जो अपने हैं उन्हें रोग आदि से कष्ट दे सकता है. इस दशा में व्यक्ति को विदेश यात्रा का सुख हो सकता है.
शत्रुराशिस्थ चंद्र दशा का फल – Results In Auspicios Sign
यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा अपनी शत्रु राशि में स्थित है तब यह अपनी दशा/अन्तर्दशा में वाहन आदि सुख की हानि कराता है. जो भी अलंकार आदि मिले हों उनकी भी हानि करा सकता है. विदेश यात्रा हो सकती है. व्यक्ति दास हो सकता है और दास नहीं भी होता तो भी दासता केसी परिस्थितियों में रह सकता है. देश-विदेश में भ्रमण करने वाला हो सकता है. अपने बंधुओं से हीन होने से सदा दुखी रह सकता है.
अतिशत्रु क्षेत्री चंद्र दशा के फल – Results Of Enemy Sign
यदि चंद्रमा जन्म कुंडली में अति शत्रु राशि में स्थित है तब इसकी दशा/अन्तर्दशा में कलह हो सकता है, धन खर्च हो सकता है, वस्त्रादि भी अच्छे नहीं होगे तथा व्यक्ति निम्न कोटि का भोजन करेगा. पुत्र व स्त्री आदि से कलह क्लेश रहेगा. भू-संपदा आदि से व्यक्ति सदा सन्तापित रह सकता है अर्थात भूमि सुख की प्राप्ति के लिए दुखी रह सकता है.
उच्च ग्रह युक्त चंद्र दशा का फल – Results With Exalted Planets
यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा किसी उच्च ग्रह के साथ स्थित है तब यह अपनी दशा में व्यक्ति को प्रसन्न रखता है. काम, स्त्री-पुत्रादि की वृद्धि होती है, दास-दासियों की कमी नहीं रहती और विनोद-गोष्ठियों की वृद्धि होती है.
शुभग्रह युक्त चंद्र दशा – Results With Auspicious Planets
यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा शुभ ग्रहों के साथ स्थित है तब इसकी दशा में शुभ कर्म सिद्ध होते हैं. गौ, भूमि, स्वर्ण, आभूषण आदि की प्राप्ति होती ह, व्यक्ति तीर्थ यात्राएँ करता है. इस दशा में व्यक्ति को परस्त्री सुख भी मिलता है.
पाप ग्रह से युत चंद्र दशा Results With Malefic Planets
यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा पाप ग्रहों के साथ स्थित है तब इसकी दशा में व्यक्ति को चोर तथा अग्नि का भय रहता है. राजकोप से कष्ट अर्थात सरकार से खौफ बना रह सकता है. पुत्र, स्त्री तथा बंधु-बाँधवों की हानि हो सकती है. व्यक्ति विदेश यात्रा करता है और उसके अशुभ कर्मों में वृद्धि हो सकती है.
पूर्ण चंद्र दशा के फल – Results Of Full Moon
यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा अपनी पूर्ण अवस्था में स्थित है तब इसकी दशा में व्यक्ति विद्या विनोदी होता है और इसी कारण वह सरकार द्वारा सम्मानित होता है. पुत्र-स्त्री तथा धन की प्राप्ति के साथ व्यक्ति अच्छे कर्म करने वाला भी होता है. पूर्ण चंद्रमा होने से व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास भी भरपूर होता है.
क्षीण चंद्र दशा का फल – Result Of Weak Moon Dasha
यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा अपनी क्षीण अवस्था में स्थित है तब इसकी दशा/अन्तर्दशा में हर प्रकारसे हानि हो सकती है चाहे वह पारीवारिक हानि हो या व्यवसायिक हानि हो. जो व्यक्ति है वह भी चित्त से उन्मादी होता है अर्थात चित्त में अशांति बनी रहती है और अपनी झुंझलाहट दूसरों पर निकालने की आदत बन सकती है. अपने ही मित्र तथा स्वजनों का विरोधी होगा, दुराचारी हो सकता है तथा ऋणी भी हो सकता है.
नीच राशि चंद्र दशा – Debilitated Moon Dasha
यदि किसी की जन्म कुण्डली में चंद्रमा नीच राशि में स्थित है तब चंद्रमा की दशा/अन्तर्दशा में विपत्ति, महान कष्ट, दुख, धनाभाव और व्यक्ति वनवासी तक हो सकता है. जातक को जेल तक जाने की नौबत आ सकती है. पैरों में कष्ट हो सकता है, अन्न के अभाव में शरीर कमजोर व काला पड़ सकता है. धनाभाव के कारण चोरी कर सकता है, अग्नि तथा राजा अथवा सरकार से भय हो सकता है. पुत्र तथा स्त्री सुख की हानि हो सकती है.
आरोहिणी तथा अवरोहिणी चंद्र दशा – Arohi/Avarohini Moon Dasha
आरोही दशा वह होती है जब कोई ग्रह अपनी नीच राशि से निकलकर उच्च राशि की तरफ बढ़ रहा होता है अर्थात नीच राशि और उच्च राशि के मध्य स्थित हो.
चंद्रमा जन्म कुंडली में आरोही अवस्था में स्थित है तो इसकी दशा/अन्तर्दशा में स्त्री व पुत्र सुख की प्राप्ति होती है. धन संबंधी समस्याएँ दूर होती हैं और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. वस्त्र आदि का सुख, दैहिक सुख तथा कीर्त्ति बढ़ती है. राज्यसुख अर्थात सरकार की ओर से किसी भी प्रकार से सुख मिलता है. अच्छे भोजन की प्राप्ति होती है और व्यक्ति की श्रद्धा देवादि व द्विजादि में बढ़ती है.
किसी भी ग्रह की अवरोहिणी अवस्था वह होती है जब वह जन्म कुंडली में उच्च राशि से निकलकर अपनी नीच राशि की ओर बढ़ रहा होता है अर्थात ग्रह उच्च व नीच राशि के मध्य स्थित होता है.
चंद्रमा जन्म कुंडली में जब अवरोहिणी अवस्था में स्थित होता है तब व्यक्ति को मनोविकार हो सकते हैं. स्वजनों से विरोध हो सकता है. सरकार से हानि हो सकती है, अग्नि तथा चोर भय हो सकता है. घर की सुख सहंति भंग होने की संभावना बनती है. पत्नी तथा पुत्र से कलह होता है. मित्रों से भी मनमुटाव की संभावना बन सकती है अथवा मित्रों से हानि या मित्र हानि हो सकती है. व्यक्ति का पतन जल में होने की संभावना बन सकती है.
उच्चांश चंद्र दशा – Moon Dasha Result On Exalted Degree
चंद्रमा जब जन्म कुंडली में अपने उच्च अंशों पर स्थित होता है तब इसकी दशा कई प्रकार से सुखदायी सिद्ध होती है. कई प्रकार के लाभ, सरकार से सम्मान, स्वास्थ्य वृद्धि तथा शारीरिक सुख मिलता है.
नीचांश चंद्र दशा – Result Of Moon Dasha On Debilitated Degree
जन्म कुंडली में चंद्रमा यदि अपने नीच अंशों पर स्थित है तब अपनी दशा/अन्तर्दशा में यह कई प्रकार से हानि करा सकता है. व्यक्ति कुत्सित भोजन करने वाला तथा कुत्सित राजसेवा वाला, मनोविकार से पीड़ित, निद्रा के वश में रहने वाला तथा आलस्यपन से भरा हुआ रह सकता है. इस दशा/अन्तर्दशा में व्यक्ति रोग-व्याधियों से घिरा हुआ रह सकता है विशेषकर नेत्र तथा पैरों से संबंधित विकार हो सकते हैं. शत्रु से पराजय देने वाली दशा हो सकती है तथा व्यक्ति को हतोत्साहित करने वाली भी साबित हो सकती है.
शुभदृष्ट चंद्र दशा – Benificial Aspect Moon Dasha
यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा शुभ ग्रहों से दृष्ट है तो अपनी दशा में यह व्यक्ति को परोपकारी बनाएगा. इस दशा में व्यक्ति महान कीर्त्तिवान बनेगा, अभीष्ट धन की प्राप्ति, बंधुओं का आगमन होगा. सरकार से सम्मानित होगा, जल साधनों से धन पाने वाला हो सकता है और सदा प्रसन्नचित्त रहने वाला होता है.
अशुभ दृष्ट चंद्र दशा – Malefic Aspect Moon Dasha
यदि जन्म कुंडली में चंद्रमा अशुभ ग्रहों से दृष्ट है तो इसकी दशा में व्यक्ति के सारे सत्कर्म विफलता पाते हैं. व्यक्ति के भीतर असंतोष बना रहने से क्रोध बढ़ जाता है. जातक कुत्सित भोजन करने वाला होता है और मातृ वियोग में तड़पता है. माता सुख से भी वंचित रह सकता है.